राजस्थान में जल स्थापत्य (तालाब एवं बावड़ी)
राजस्थान में जल स्थापत्य (तालाब एवं बावड़ी) MCQ Quiz और Test Series: राजस्थान के प्रसिद्ध किलों जैसे चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, जैसलमेर, मेहरानगढ़, रणथम्भौर, आमेर आदि से संबंधित 100+ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर दिए गए हैं। यह MCQ RPSC, RSMSSB, REET, Patwar, Police, LDC, Teacher और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। हर सवाल के साथ सही उत्तर और explanation दिया गया है, ताकि परीक्षा की तैयारी को मजबूत किया जा सके। राजस्थान के किलों के इतिहास, वास्तुकला, निर्माणकर्ता, और महत्वपूर्ण घटनाओं पर आधारित ये प्रश्न आपके GK को बेहतर बनाएंगे।
Subject | राजस्थान की कला एवं संस्कृति |
Topic | राजस्थान में जल स्थापत्य (तालाब एवं बावड़ी) |
Mode | Multiple Choice Questions (MCQ) |
Questions | 100 |
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राजस्थान में जल स्थापत्य (तालाब एवं बावड़ी) MCQ
- दूध बावड़ी कहां स्थित है?
A. रतनगढ़
B. चित्तौड़गढ़
C. माऊण्ट आबू
D. लूणकरणसर
उत्तर: C
व्याख्या: दूध बावड़ी माउंट आबू (सिरोही) में स्थित है। यह अधर देवी मंदिर के पास प्रसिद्ध बावड़ी है। इसे धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। राजस्थान की अन्य प्रसिद्ध बावड़ियों में अधर देवी की बावड़ी (बूंदी), नीमराणा की 9 मंजिला बावड़ी (अलवर) और त्रिमुखी बावड़ी (देबारी, उदयपुर) शामिल हैं। - प्रसिद्ध ‘बाटाडू कुआं’ राजस्थान के किस जिले में स्थित है?
A. बाड़मेर
B. जयपुर
C. भरतपुर
D. दौसा
उत्तर: A
व्याख्या: बाटाडू कुआं बाड़मेर जिले में स्थित है। इसे “रेगिस्तान का जलमहल” भी कहा जाता है। यहाँ संगमरमर की विशाल गरुड़ प्रतिमा स्थापित है। इसका निर्माण रावल गुलाबसिंह ने करवाया और यह 1947 के अकाल राहत कार्यों से जुड़ा है। यह आसपास के कई गाँवों के लिए एकमात्र पेयजल स्रोत था। - दूध बावड़ी किस जिले में स्थित है?
A. आमेर, जयपुर
B. सिरोही
C. बूंदी
D. झालावाड़
उत्तर: B
व्याख्या: दूध बावड़ी सिरोही जिले के माउंट आबू में स्थित है। यह अधर देवी मंदिर की तलहटी में बनी हुई है और अपनी विशिष्ट स्थापत्य शैली के लिए प्रसिद्ध है। पास ही उदयपुर का दूध तलाई तालाब भी उल्लेखनीय है। - रेगिस्तान का जलमहल किसे कहा जाता है?
A. बाटाडू का कुआं, बाड़मेर
B. महिला बाग झालरा, जोधपुर
C. रानी जी की बावड़ी
D. सरड़ा पानी की बावड़ी
उत्तर: A
व्याख्या: बाटाडू का कुआं (बाड़मेर) को “रेगिस्तान का जलमहल” कहा जाता है। इसकी खूबसूरती और संगमरमर की गरुड़ प्रतिमा इसे विशेष बनाती है। इसके आकर्षक प्रवेश द्वार पर गाय की आकृति बनी हुई है। यह बाड़मेर के जलसंचय इतिहास का प्रमुख उदाहरण है। - निम्नलिखित में से कौनसी (बावड़ी-स्थान) सुमेलित है?
A. चांद बावड़ी – आभानेरी
B. त्रिमुखी बावड़ी – चुरू
C. नौलखा बावड़ी – जयपुर
D. झालीबाब बावड़ी – सीकर
उत्तर: A
व्याख्या: सही मेल है चांद बावड़ी – आभानेरी (दौसा)। इसे प्रतिहार राजा चांद ने 8वीं शताब्दी में बनवाया था। यह बावड़ी लगभग 3500 सीढ़ियोंवाली है और पास ही हर्षमाता का मंदिर भी स्थित है।
अन्य विकल्प गलत हैं:
- त्रिमुखी बावड़ी – देवारी, उदयपुर (राजसिंह द्वारा)
- नौलखा बावड़ी – डूंगरपुर, रानी प्रेमल देवी द्वारा
- झालीबाब बावड़ी – कुंभलगढ़ क्षेत्र में स्थित है।
- नौ मंजिला बावड़ी कहां है तथा उसका निर्माता कौन था?
A. आभानेरी (दौसा), चांद राजा
B. नीमराणा (अलवर), टोडरमल
C. बूंदी, रानी नाथावती
D. भाण्डारेज (दौसा), दीप सिंह
उत्तर: B
व्याख्या: नीमराणा (अलवर) की बावड़ी 9 मंजिला है और इसका निर्माण टोडरमल ने करवाया था। यह स्थापत्य कला का अनूठा उदाहरण है। 29 दिसम्बर 2017 को इस बावड़ी पर ₹5 का डाक टिकट भी जारी किया गया। अन्य बावड़ियाँ – चांद बावड़ी (दौसा) प्रतिहार राजा चांद द्वारा, रानीजी की बावड़ी (बूंदी) रानी नत्थावती द्वारा तथा भाण्डारेज बावड़ी (दौसा) दीप सिंह द्वारा बनवाई गई थीं। - डूंगरपुर के निकट नौलख बावड़ी किसने बनवाई थी?
A. नाथावती
B. प्रेमल देवी
C. रामरसदे
D. किशोरी देवी
उत्तर: B
व्याख्या: नौलखा बावड़ी डूंगरपुर के पास स्थित है, जिसे महारावल आसकरण की रानी प्रेमल देवी ने वि.सं. 1643 (1587 ई.) में बनवाया था। इसमें अंकित प्रशस्ति वागड़ क्षेत्र के चौहान इतिहास का ज्ञान कराती है। यह बावड़ी जल प्रबंधन और स्थापत्य कला दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। - कथन (A) वर्षा जल संग्रहण जल संरक्षरण की एक प्रभावशील विधि है। कारण (R) पश्चिमी राजस्थान में परम्परागत जल संरक्षण की विधियां अभी भी प्रभावशील हैं।
A. A और R दोनों सही हैं और R, A का सही स्पष्टीकरण है।
B. A और R दोनों सही हैं किन्तु R, A का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
C. A सही है R गलत
D. A गलत है R सही है।
उत्तर: B
व्याख्या: वर्षा जल संग्रहण वास्तव में जल संरक्षण की एक प्रभावी विधि है। राजस्थान में परंपरागत प्रणालियाँ जैसे नाड़ी, टांका, बावड़ी, टोबा, खड़ीन आदि लंबे समय तक उपयोगी रहीं। लेकिन आज बड़े बांधों और नदियों की परियोजनाओं के कारण ये विधियाँ उपेक्षित हो गई हैं। इसलिए A और R दोनों सही हैं, पर R सीधे A का स्पष्टीकरण नहीं है। - निम्नलिखित में से कौनसी राजस्थान में परम्परागत जल संरक्षण की विधि नहीं है?
A. खड़ीन
B. टांका
C. टोबा
D. नाली
उत्तर: D
व्याख्या: राजस्थान में प्राचीन समय से खड़ीन, टांका, टोबा, कुई, तालाब, नाड़ी, जोहड़, पोखर, झालरा, बावड़ी जैसी पारंपरिक जल संरक्षण प्रणालियाँ रही हैं। इनमें से नाली पारंपरिक विधि नहीं है। विशेषकर खड़ीन पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा जैसलमेर में विकसित की गई थी और टांकाग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित हैं।
10. “हाड़ी रानी की बावड़ी” कहाँ स्थित है?
A. टोडारायसिंह
B. मालपुरा
C. उनियारा
D. पिपलु
उत्तर: A
व्याख्या: हाड़ी रानी की बावड़ी टोडारायसिंह (टोंक) में स्थित है। इसका निर्माण टोडा नरेश राव रूपाल की पत्नी हाड़ी रानी (देवा हाड़ा की राजकुमारी) ने करवाया था। यह मध्यकालीन स्थापत्य का उत्कृष्ट उदाहरण है और आज भी ऐतिहासिक धरोहर के रूप में प्रसिद्ध है।
- चाँद बावड़ी स्थित है?
A. बैराठ (कोटपूतली-बहरोड़)
B. नीमराना (कोटपूतली-बहरोड़)
C. आभानेरी (दौसा)
D. टोडारायसिंह (टोंक)
उत्तर: C
व्याख्या: चाँद बावड़ी आभानेरी (दौसा) में स्थित है। इसका निर्माण प्रतिहार राजा चाँद ने 8वीं शताब्दी में करवाया था। यह बावड़ी लगभग 19.5 मीटर गहरी है और इसमें लगभग 3500 सीढ़ियाँ बनी हैं। पास ही प्रसिद्ध हर्षद माता का मंदिर भी स्थित है। - निम्न में से कौनसी बावड़ी जोधपुर में स्थित नहीं है?
A. चाँद बावड़ी
B. एंजन बावड़ी
C. कांतन बावड़ी
D. ख्वाजा बावड़ी
उत्तर: D
व्याख्या: ख्वाजा की बावड़ी टोंक में स्थित है। जबकि एंजन बावड़ी, कांतन बावड़ी और अन्य प्रसिद्ध बावड़ियाँ जोधपुर जिले में मिलती हैं। - उदय बावड़ी कहाँ स्थित है?
A. डूंगरपुर
B. बाँसवाड़ा
C. उदयपुर
D. चित्तौड़गढ़
उत्तर: A
व्याख्या: उदय बावड़ी डूंगरपुर में स्थित है। इसका निर्माण महारावल उदयसिंह द्वारा करवाया गया था। यह बावड़ी जल प्रबंधन और स्थानीय स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण है। - निम्न में से असत्य कथन का चयन कीजिए-
A. पन्ना मीणा की बावड़ी – जयपुर
B. चाँद बावड़ी – जोधपुर
C. नागर सागर कुण्ड – बूंदी
D. खातन बावड़ी – उदयपुर
उत्तर: D
व्याख्या: सही तथ्य यह है कि खातन बावड़ी चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित है, न कि उदयपुर में। अन्य विकल्प सही हैं – पन्ना मीणा की बावड़ी जयपुर, चाँद बावड़ी दौसा (आभानेरी) और नागर सागर कुण्ड बूंदी में हैं। - बड़गाँव की बावड़ी कहाँ स्थित है?
A. कोटा
B. झालावाड़
C. बूंदी
D. बारां
उत्तर: A
व्याख्या: बड़गाँव की बावड़ी कोटा जिले में स्थित है। यह क्षेत्रीय स्तर पर जल संरक्षण और स्थापत्य कला का प्रमुख उदाहरण मानी जाती है। - निम्न में सत्य है-
A. नौलखा बावड़ी – डूंगरपुर
B. दूध बावड़ी – उदयपुर
C. पर्चा बावड़ी – बाड़मेर
D. डाकणिया बावड़ी – अलवर
उत्तर: A
व्याख्या: सही जोड़ी है नौलखा बावड़ी – डूंगरपुर। इसका निर्माण रानी प्रेमल देवी ने करवाया था। बाकी विकल्प गलत हैं – दूध बावड़ी माउंट आबू (सिरोही), पर्चा बावड़ी रूणेचा (जैसलमेर) तथा डाकणिया बावड़ी लवाण (दौसा) में स्थित हैं। - निम्न में से जोधपुर जिले में स्थित नहीं है-
A. तापी बावड़ी
B. उदय बावड़ी
C. हरबोला की बावड़ी
D. सुगदा की बावड़ी
उत्तर: B
व्याख्या: उदय बावड़ी डूंगरपुर में स्थित है, जिसका निर्माण महारावल उदयसिंह ने करवाया था। जबकि तापी, हरबोला और सुगदा की बावड़ीजोधपुर जिले की प्रसिद्ध बावड़ियाँ हैं। - बाई राज की बावड़ी किस स्थान पर स्थित है?
A. बनेड़ा (भीलवाड़ा)
B. नाडोल (पाली)
C. ओसियां (जोधपुर)
D. मांडलगढ़ (भीलवाड़ा)
उत्तर: A
व्याख्या: बाई राज की बावड़ी बनेड़ा (भीलवाड़ा) में स्थित है। यह बावड़ी अपने स्थापत्य और ऐतिहासिक महत्व के लिए जानी जाती है। - मेड़तणी की बावड़ी किस जगह पर स्थित है?
A. जयपुर
B. झुंझुनूं
C. नागौर
D. सीकर
उत्तर: B
व्याख्या: मेड़तणी की बावड़ी झुंझुनूं जिले में स्थित है। यह स्थानीय जल संरक्षण परंपरा का महत्वपूर्ण उदाहरण है।
20. निम्न में से कौनसी बावड़ी बूंदी में स्थित है?
A. काका जी की बावड़ी
B. नागर सागर कुण्ड
C. रानी जी की बावड़ी
D. उपर्युक्त सभी
उत्तर: D
व्याख्या: बूंदी को बावड़ियों का नगर कहा जाता है। यहाँ पर काका जी की बावड़ी, नागर सागर कुण्ड और रानी जी की बावड़ी सभी स्थित हैं। इसलिए सही उत्तर “उपर्युक्त सभी” है।
- निम्न में से जोधपुर में कौनसी बावड़ी स्थित है?
A. भिका जी की बावड़ी
B. झालरा बावड़ी
C. हरबोला की बावड़ी
D. फूल बावड़ी
उत्तर: C
व्याख्या: हरबोला की बावड़ी जोधपुर में स्थित है। जबकि भिका जी की बावड़ी अजमेर में, झालरा बावड़ी सीकर में और फूल की बावड़ी (छोटी खाटू) डीडवाना-कुचामन जिले में स्थित है। - निम्न में से झुंझुनूं जिले में कौनसी बावड़ी स्थित नहीं है?
A. खेतानों की बावड़ी
B. चेतनदास की बावड़ी
C. मेड़तणी की बावड़ी
D. झालरा बावड़ी
उत्तर: D
व्याख्या: झालरा बावड़ी सीकर में स्थित है, न कि झुंझुनूं में। जबकि खेतानों की बावड़ी, चेतनदास की बावड़ी और मेड़तणी की बावड़ी सभी झुंझुनूं जिले की प्रसिद्ध बावड़ियाँ हैं। - उम्मेदसिंह ने 1858 ई. में अपनी गणिका के नाम से कौनसी बावड़ी का निर्माण करवाया?
A. चमना बावड़ी
B. चाँद बावड़ी
C. फूल बावड़ी
D. चौखी बावड़ी
उत्तर: A
व्याख्या: उम्मेदसिंह ने 1858 ई. में चमना बावड़ी का निर्माण अपनी गणिका के नाम से करवाया। यह ऐतिहासिक दृष्टि से अद्वितीय है और उस काल की सामाजिक व सांस्कृतिक स्थिति को दर्शाती है। - निम्न में से भीलवाड़ा जिले में कौनसी बावड़ी स्थित नहीं है?
A. चमना बावड़ी
B. चौखी बावड़ी
C. बड़ी बावड़ी
D. बाई राज की बावड़ी
उत्तर: C
व्याख्या: बड़ी बावड़ी भाण्डारेज (दौसा) में स्थित है। जबकि चमना बावड़ी, चौखी बावड़ी और बाई राज की बावड़ी भीलवाड़ा जिले से संबंधित हैं। - रानी प्रिमल देवी द्वारा निर्मित बावड़ी है?
A. रानी जी की बावड़ी
B. नौलखा बावड़ी
C. घोसुण्डा बावड़ी
D. चाँद बावड़ी
उत्तर: B
व्याख्या: नौलखा बावड़ी डूंगरपुर में स्थित है। इसका निर्माण महारावल आसकरण की रानी प्रिमल देवी द्वारा वि.सं. 1643 में करवाया गया था। यह वागड़ क्षेत्र की प्रमुख ऐतिहासिक धरोहर है। - 29 दिसम्बर 2017 को जारी डाकटिकटों के अनुसार राजस्थान की निम्न में से किस बावड़ी पर 15 रुपये का डाकटिकट जारी किया गया था?
A. रानी जी की बावड़ी
B. पन्ना मीणा की बावड़ी
C. नागर सागर कुण्ड
D. चाँद बावड़ी
उत्तर: C
व्याख्या: दिसम्बर 2017 में राजस्थान की 6 बावड़ियों पर डाक टिकट जारी हुए थे। इनमें नीमराणा की बावड़ी और नागर सागर कुण्ड (बूंदी) पर 15-15 रुपये, जबकि तूरजी का झालरा पर 5 रुपये का डाक टिकट जारी किया गया। इसके अलावा रानी जी की बावड़ी, पन्ना मीणा की बावड़ी और चाँद बावड़ी पर भी टिकट जारी किए गए। - काकाजी की बावड़ी कहाँ स्थित है?
A. बूंदी
B. दौसा
C. पाली
D. जयपुर
उत्तर: A
व्याख्या: काकाजी की बावड़ी बूंदी में स्थित है। बूंदी को “बावड़ियों का नगर” कहा जाता है क्योंकि यहाँ पर रानी जी की बावड़ी, नागर सागर कुण्ड और अन्य ऐतिहासिक बावड़ियाँ भी मौजूद हैं। - ‘तूर जी का झालरा’ नामक बावड़ी किस जिले में स्थित है?
A. नागौर
B. बीकानेर
C. अजमेर
D. जोधपुर
उत्तर: D
व्याख्या: तूर जी का झालरा जोधपुर में स्थित है। इसका निर्माण महाराजा अभयसिंह की रानी तूर कंवर ने 1748 ई. में करवाया। इस पर 29 दिसम्बर 2017 को 5 रुपये का डाक टिकट भी जारी किया गया। - रेगिस्तान के जलमहल के नाम से प्रसिद्ध ‘बाटाडू का कुआँ’ किस स्थान पर स्थित है?
A. तनोट (जैसलमेर)
B. बायतु (बाड़मेर)
C. गजनेर (बीकानेर)
D. ओसियां (जोधपुर)
उत्तर: B
व्याख्या: बाटाडू का कुआँ बायतु (बाड़मेर) में स्थित है। इसका निर्माण रावल गुलाब सिंह ने करवाया था। यह संगमरमर की कला से निर्मित है और “रेगिस्तान का जलमहल” कहलाता है।
30. निम्न में से खेतानों की बावड़ी किस जिले में स्थित है?
A. बीकानेर
B. सीकर
C. झुंझुनूं
D. चुरू
उत्तर: C
व्याख्या: खेतानों की बावड़ी झुंझुनूं जिले में स्थित है। यह जिले की ऐतिहासिक एवं स्थापत्य धरोहरों में से एक है और स्थानीय जल संरक्षण प्रणाली का उत्तम उदाहरण है।
- निम्न में से असत्य कथन की पहचान कीजिए-
A. दूध बावड़ी माउंट आबू में स्थित है।
B. कांतन बावड़ी ओसियां में स्थित है।
C. एंजन बावड़ी जोधपुर में स्थित है।
D. हाड़ी रानी की बावड़ी गागरोन में स्थित है।
उत्तर: D
व्याख्या: हाड़ी रानी की बावड़ी टोडारायसिंह (टोंक) में स्थित है, न कि गागरोन में। यहाँ पर प्रसिद्ध फिल्म “पहेली” की शूटिंग भी हुई थी। - अनारकली की बावड़ी का निर्माण किसने करवाया-
A. प्रिमल देवी
B. अनारकली
C. भावल देवी
D. नाथावत
उत्तर: B
व्याख्या: अनारकली की बावड़ी छत्रपुरा (बूंदी) में स्थित है। इसका निर्माण रानी नाथावत की दासी अनारकली ने करवाया था। यह उस समय की सामाजिक और स्थापत्य परंपराओं को दर्शाती है। - निम्न में से किस बावड़ी का निर्माण डूंगरपुर के महारावल उदयसिंह ने करवाया था?
A. शाही बावड़ी
B. घोसुण्डा बावड़ी
C. काकाजी की बावड़ी
D. उदय बावड़ी
उत्तर: D
व्याख्या: उदय बावड़ी डूंगरपुर में स्थित है। इसका निर्माण महारावल उदयसिंह ने करवाया था। यह वागड़ क्षेत्र की महत्वपूर्ण धरोहर है। - राजस्थान की कौनसी बावड़ी, बावड़ियों का सिरमौर कहलाती है?
A. नौलखा बावड़ी
B. चाँद बावड़ी
C. रानी जी की बावड़ी
D. घोसुण्डा बावड़ी
उत्तर: C
व्याख्या: रानी जी की बावड़ी बूंदी में स्थित है। इसे 1699 ई. में राव राजा अनिरुद्ध की विधवा रानी लाडकँवर नाथावत ने बनवाया था। इसे स्थापत्य की भव्यता के कारण “बावड़ियों का सिरमौर” कहा जाता है। - हाड़ी रानी की बावड़ी कहाँ स्थित है?
A. नाडोल
B. टोडारायसिंह
C. आभानेरी
D. नीमराणा
उत्तर: B
व्याख्या: हाड़ी रानी की बावड़ी टोडारायसिंह (टोंक) में स्थित है। इसका निर्माण टोडा नरेश राव रूपाल की पत्नी हाड़ी रानी ने करवाया था। यह मध्यकालीन जल स्थापत्य का उत्कृष्ट उदाहरण है। - चाँद बावड़ी कहाँ स्थित है?
A. आमेर
B. सीकर
C. आभानेरी
D. भानगढ़
उत्तर: C
व्याख्या: चाँद बावड़ी आभानेरी (दौसा) में स्थित है। इसे 8वीं शताब्दी में गुर्जर प्रतिहार शासक चाँद ने बनवाया था। यह 19.5 मीटर गहरी है और इसमें लगभग 3500 सीढ़ियाँ हैं। पास ही हर्षद माता का मंदिर भी है। - पन्ना मीना का कुंड स्थित है-
A. उदयपुर
B. नाथद्वारा
C. जयपुर
D. जैसलमेर
उत्तर: C
व्याख्या: पन्ना मीना का कुंड जयपुर (आमेर, जयगढ़ के पास) में स्थित है। यह एक प्रसिद्ध सीढ़ीदार कुंड है और 29 दिसम्बर 2017 को इस पर 5 रुपये का डाक टिकट जारी किया गया था। - चाँद बावड़ी राजस्थान के किस जिले में स्थित है?
A. अलवर
B. दौसा
C. जयपुर
D. टोंक
उत्तर: B
व्याख्या: चाँद बावड़ी आभानेरी, बांदीकुई (दौसा) जिले में स्थित है। इसे 8वीं शताब्दी में प्रतिहार राजा चाँद ने बनवाया था। यह 13 मंजिला, लगभग 100 फीट गहरी बावड़ी है, जिसे “अंधेरे-उजाले की बावड़ी” भी कहते हैं। - ‘आभानेरी’ बावड़ी की अवस्थिती, निम्न में से किस जिले में है?
A. उदयपुर
B. दौसा
C. बूंदी
D. सीकर
उत्तर: B
व्याख्या: आभानेरी बावड़ी (चाँद बावड़ी) दौसा जिले में है। यह लगभग 100 फीट गहरी और 3500 सीढ़ियों वाली बावड़ी है। इसे गुर्जर प्रतिहार शासक राजा चाँद ने बनवाया था। सामने हर्षमाता मंदिर स्थित है और यह महामारू शैली में निर्मित है।
40. बूंदी में स्थित “रानी जी की बावड़ी” का निर्माण किसने करवाया?
A. रानी पद्मिनी
B. रानी नाथावती
C. रानी विजया देवी
D. रानी गायत्री
उत्तर: B
व्याख्या: रानी जी की बावड़ी बूंदी में स्थित है। इसे 1699 ई. में राव राजा अनिरुद्ध की विधवा रानी नाथावत लाडकँवर ने बनवाया था। इसे “बावड़ियों का सिरमौर” कहा जाता है और इस पर 29 दिसम्बर 2017 को 5 रुपये का डाक टिकट जारी किया गया।
- आभानेरी के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौनसे विकल्प सही हैं?
(1) यहां निर्मित हर्षत माता मंदिर प्रतिहारों के सामंत चौहानों ने बनवाया था।
(2) यहां की चांद बावड़ी विश्व प्रसिद्ध है।
(3) यहां का पिप्पलाद माता का मंदिर प्रसिद्ध है।
सही कूट चुनिए-
(A) केवल (2)
(B) (1) और (2)
(C) (1), (2) और (3)
(D) केवल (3)
उत्तर: B
व्याख्या: आभानेरी (दौसा) में स्थित हर्षत माता का मंदिर मूलतः विष्णु मंदिर था, जिसका संबंध गुर्जर प्रतिहार वंश से है। यहाँ की चाँद बावड़ी विश्व प्रसिद्ध है, जिसे “अंधेरी-उजाले की बावड़ी” भी कहते हैं।
- रानी जी की बावड़ी का निर्माण किसके द्वारा कराया गया था?
A. हाड़ी रानी द्वारा 1680 ई. में राव अनिरुद्ध सिंह के काल में
B. भीमसिंह द्वारा 1705 ई. में राव बुद्धसिंह के काल में
C. लाड़ कंवरों द्वारा 1708 ई. में राम सिंह के काल में
D. लाड़ कंवरों द्वारा 1700 ई. में बुद्धसिंह के काल में
उत्तर: D
व्याख्या: रानी जी की बावड़ी, बूंदी में स्थित है। इसे 1699 ई. में राव राजा अनिरुद्ध की विधवा रानी लाड़कँवर नाथावत जी ने अपने पुत्र बुद्धसिंह के काल में बनवाया था। इसे “बावड़ियों का सिरमौर” कहा जाता है। - राजस्थान के किस जिले में ‘रानी जी की बावड़ी’ स्थित है?
A. कोटा
B. बूंदी
C. झालावाड़
D. बारां
उत्तर: B
व्याख्या: रानी जी की बावड़ी बूंदी जिले में स्थित है। इसे 1699 ई. में राव राजा अनिरुद्ध की विधवा रानी नाथावत ने बनवाया था। बूंदी को “बावड़ियों का शहर” और “छोटी काशी” भी कहा जाता है। - राजस्थान का कौन सा शहर ‘बावड़ियों का शहर’ कहा जाता है?
A. बूंदी
B. बाड़मेर
C. कोटा
D. टोंक
उत्तर: A
व्याख्या: बूंदी को “बावड़ियों का शहर” कहा जाता है। यहाँ की प्रसिद्ध बावड़ियाँ हैं – रानी जी की बावड़ी, नागर सागर कुण्ड, काकाजी की बावड़ी, अनारकली की बावड़ी और भावल देवी की बावड़ी। - सेठानी का जोहड़ा कहाँ स्थित है?
A. चुरू
B. सीकर
C. जयपुर
D. झुंझुनूं
उत्तर: A
व्याख्या: सेठानी का जोहड़ा चुरू जिले में स्थित है। यह पारंपरिक जल संरचना है और स्थानीय जल संरक्षण का महत्वपूर्ण उदाहरण माना जाता है। - राजस्थान में सर्वाधिक बावड़ियाँ किन जिलों में स्थित हैं?
A. बूंदी व अलवर
B. जोधपुर व जालौर
C. जयपुर व भरतपुर
D. जोधपुर व नागौर
उत्तर: B
व्याख्या: राजस्थान में सबसे अधिक बावड़ियाँ जोधपुर और जालौर जिलों में पाई जाती हैं। यहाँ लगभग 700-800 बावड़ियाँ दर्ज की गई हैं। - चाँद बावड़ी में कितनी सीढ़ियाँ बनी हुई हैं?
A. 2500
B. 4500
C. 4000
D. 3500
उत्तर: D
व्याख्या: चाँद बावड़ी आभानेरी (दौसा) में स्थित है और इसमें लगभग 3500 सीढ़ियाँ बनी हैं। यह लगभग 19.5 मीटर गहरी और स्थापत्य कला का अद्वितीय उदाहरण है। - प्रसिद्ध रानी जी की बावड़ी किस जिले में स्थित है?
A. दौसा
B. बूंदी
C. अलवर
D. टोंक
उत्तर: B
व्याख्या: रानी जी की बावड़ी बूंदी जिले में स्थित है। इसका निर्माण राव राजा अनिरुद्ध सिंह की विधवा रानी नाथावत लाडकँवर ने 1699 ई. में अपने पुत्र बुद्धसिंह के शासनकाल में करवाया था। इसे “बावड़ियों का सिरमौर” कहा जाता है। - लम्बी बावड़ी कहाँ स्थित है?
A. धौलपुर
B. करौली
C. अलवर
D. कोटा
उत्तर: A
व्याख्या: लम्बी बावड़ी धौलपुर जिले में स्थित है। यह जल संरचना स्थापत्य कला और जल संरक्षण का उत्कृष्ट उदाहरण है।
50. राजस्थान में बावड़ियों का शहर किसे कहा जाता है?
A. अलवर
B. जयपुर
C. बूंदी
D. भरतपुर
उत्तर: C
व्याख्या: बूंदी को “बावड़ियों का शहर” कहा जाता है। यहाँ पर रानी जी की बावड़ी, नागर सागर कुण्ड, काकाजी की बावड़ी, अनारकली की बावड़ी जैसी प्रमुख बावड़ियाँ स्थित हैं।
- निम्न में से दूध बावड़ी कहाँ स्थित है?
A. नाडोल
B. ओसियां
C. रूणिचा
D. माउंट आबू
उत्तर: D
व्याख्या: दूध बावड़ी माउंट आबू (सिरोही) में अधर देवी मंदिर की तलहटी में स्थित है। इस बावड़ी का पानी देखने में दूध जैसा सफेद दिखाई देता है, इसलिए इसे दूध बावड़ी कहा जाता है। - निम्न में से कौनसा कथन सत्य है-
A. झालरा बावड़ी सीकर में स्थित है।
B. फूल बावड़ी छोटी खाटू (डीडवाना-कुचामन) में स्थित है।
C. तापी बावड़ी नागौर में स्थित है।
D. कथन 1 व 2 दोनों सत्य हैं।
उत्तर: D
व्याख्या: झालरा बावड़ी सीकर में स्थित है और फूल बावड़ी छोटी खाटू (डीडवाना-कुचामन) में स्थित है। जबकि तापी बावड़ी जोधपुर में है, नागौर में नहीं। इसलिए सही उत्तर कथन 1 और 2 दोनों है। - राजस्थान की सबसे गहरी व कलात्मक बावड़ी कौनसी है?
A. त्रिमुखी बावड़ी
B. चाँद बावड़ी
C. नौलखा बावड़ी
D. घोसुण्डा बावड़ी
उत्तर: B
व्याख्या: चाँद बावड़ी आभानेरी (दौसा) में स्थित है। इसका निर्माण प्रतिहार राजा चाँद ने 8वीं शताब्दी में करवाया था। यह लगभग 19.5 मीटर गहरीऔर 3500 सीढ़ियों वाली है। इसे राजस्थान की सबसे गहरी और कलात्मक बावड़ी माना जाता है। - निम्नलिखित युग्मों को सुमेलित कीजिए –
जिले – बावड़ियाँ
(A) उदयपुर – (1) घोसुण्डा बावड़ी
(B) चित्तौड़गढ़ – (2) त्रिमुखी बावड़ी
(C) बूंदी – (3) शाही बावड़ी
(D) धौलपुर – (4) भावल देवी बावड़ी
a. 2143
b. 4321
c. 2134
d. 4213
उत्तर: A
व्याख्या: सही मेल है – उदयपुर – त्रिमुखी बावड़ी, चित्तौड़गढ़ – घोसुण्डा बावड़ी, बूंदी – शाही बावड़ी, धौलपुर – भावल देवी बावड़ी। - दूध बावड़ी राजस्थान के किस मंदिर के पास स्थित है?
A. हर्षद माता मंदिर
B. अधर देवी मंदिर
C. शीतला माता मंदिर
D. चारभुजा मंदिर
उत्तर: B
व्याख्या: दूध बावड़ी माउंट आबू (सिरोही) में स्थित है और यह अधर देवी मंदिर के पास स्थित है। कहा जाता है कि इस बावड़ी का जल दूध के समान श्वेत दिखाई देता है, इसलिए इसे “दूध बावड़ी” कहा जाता है। यह बावड़ी धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और तीर्थयात्री अधर देवी मंदिर दर्शन के बाद यहाँ स्नान या जल ग्रहण करते हैं।
- अधर देवी की बावड़ी (अन्य प्रसिद्ध बावड़ी) राजस्थान के किस जिले/स्थान से संबंधित है?
A. सिरोही
B. अलवर
C. बूंदी
D. उदयपुर
उत्तर: C
व्याख्या: बूंदी राजस्थान का वह नगर है जिसे “बावड़ियों का नगर” कहा जाता है। यहाँ अनेक ऐतिहासिक बावड़ियाँ हैं जिनमें अधर देवी की बावड़ी भी प्रसिद्ध है। बूंदी की स्थापत्य कला में बनी ये बावड़ियाँ जल संरक्षण और वास्तुकला दोनों का सुंदर उदाहरण हैं, जो राजस्थानी संस्कृति और जल प्रबंधन की परंपरा को दर्शाती हैं।
- त्रिमुखी बावड़ी राजस्थान में कहाँ स्थित है?
A. कुंभलगढ़
B. ओसियां
C. देबारी (उदयपुर)
D. नीमराणा
उत्तर: C
व्याख्या: त्रिमुखी बावड़ी राजस्थान के देबारी (उदयपुर) में स्थित है। इसका नाम “त्रिमुखी” इसलिए पड़ा क्योंकि इसमें तीन दिशाओं में उतरने के मार्ग हैं। यह बावड़ी राजस्थानी स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और इसे स्थानीय लोगों द्वारा जल संग्रहण एवं पूजा-अर्चना के लिए उपयोग किया जाता था।
- बाटाडू का कुआँ, जिसका निर्माण रावल गुलाबसिंह ने करवाया था, किस अकाल राहत कार्यों से जुड़ा हुआ है?
A. 1934
B. 1947
C. 1950
D. 1928
उत्तर: B
व्याख्या: बाटाडू का कुआँ राजस्थान के जैसलमेर क्षेत्र में स्थित है। इसका निर्माण रावल गुलाबसिंह ने करवाया था और यह 1947 के अकाल राहत कार्यों से जुड़ा हुआ है। उस समय क्षेत्र में भयंकर अकाल पड़ा था, और इस कुएँ के निर्माण से स्थानीय लोगों को न केवल रोजगार मिला बल्कि जल की समस्या से भी राहत मिली।
- बाटाडू कुआँ का निर्माण किस शासक ने करवाया था?
A. राव राजा अनिरुद्ध
B. महारावल आसकरण
C. टोडरमल
D. रावल गुलाबसिंह
उत्तर: D
व्याख्या: बाटाडू कुआँ का निर्माण रावल गुलाबसिंह द्वारा करवाया गया था। उन्होंने इसे जनकल्याण और जल संकट निवारण के उद्देश्य से बनवाया। इस कुएँ को राजस्थान की पारंपरिक जल संरचनाओं में गिना जाता है, जो शिल्पकला और उपयोगिता दोनों में उत्कृष्ट है।
- बाटाडू कुआँ में किसकी विशाल प्रतिमा स्थापित है?
A. नंदी (बैल)
B. हनुमान
C. संगमरमर की विशाल गरुड़ प्रतिमा
D. महारावल गुलाबसिंह की प्रतिमा
उत्तर: C
व्याख्या: बाटाडू कुआँ में संगमरमर की विशाल गरुड़ प्रतिमा स्थापित है। गरुड़ भगवान विष्णु के वाहन माने जाते हैं, इसलिए इस कुएँ का धार्मिक महत्व भी है। इस प्रतिमा का आकार और सुंदरता इसे वास्तुकला का अद्भुत नमूना बनाती है। यह प्रतिमा न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है बल्कि राजस्थानी पत्थरकला की श्रेष्ठता को भी दर्शाती है।
- बाटाडू कुआँ के आकर्षक प्रवेश द्वार पर किसकी आकृति बनी हुई है?
A. घोड़े की
B. शेर की
C. हाथी की
D. गाय की
उत्तर: D
व्याख्या: बाटाडू कुआँ अपने सुंदर और कलात्मक प्रवेश द्वार के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ गाय की आकृति बनी हुई है। गाय भारतीय संस्कृति में पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। यह आकृति उस समय की राजस्थानी पत्थरकला और धार्मिक भावना का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है।
- त्रिमुखी बावड़ी का निर्माण किसके द्वारा करवाया गया था?
A. राव राजा अनिरुद्ध
B. राजा चाँद
C. टोडरमल
D. राजसिंह
उत्तर: D
व्याख्या: त्रिमुखी बावड़ी का निर्माण राजा राजसिंह द्वारा देबारी (उदयपुर) में करवाया गया था। इसका नाम “त्रिमुखी” इसलिए रखा गया क्योंकि इसमें तीन दिशाओं में सीढ़ियाँ उतरती हैं। यह बावड़ी राजपूताना स्थापत्य शैली का अद्भुत उदाहरण है और जल संरक्षण के साथ-साथ धार्मिक उपयोग के लिए भी प्रसिद्ध रही है।
- झालीबाब बावड़ी राजस्थान के किस क्षेत्र में स्थित है?
A. आभानेरी
B. कुंभलगढ़ क्षेत्र
C. भाण्डारेज
D. ओसियां
उत्तर: B
व्याख्या: झालीबाब बावड़ी राजस्थान के कुंभलगढ़ क्षेत्र में स्थित है। यह बावड़ी अपनी अनूठी संरचना और ऐतिहासिक महत्त्व के कारण जानी जाती है। कुंभलगढ़ क्षेत्र में स्थित कई बावड़ियाँ न केवल जल स्रोत के रूप में बल्कि स्थापत्य कला के उदाहरण के रूप में भी प्रसिद्ध हैं।
- नीमराणा की 9 मंजिला बावड़ी पर ₹5 का डाक टिकट कब जारी किया गया था?
A. 29 दिसम्बर 2017
B. 15 अगस्त 1947
C. 26 जनवरी 1950
D. 1 जनवरी 2017
उत्तर: A
व्याख्या: नीमराणा (अलवर) की 9 मंजिला बावड़ी राजस्थान की सबसे सुंदर बावड़ियों में से एक है। इसके ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्त्व को ध्यान में रखते हुए 29 दिसम्बर 2017 को इस पर ₹5 का डाक टिकट जारी किया गया। यह बावड़ी राजस्थानी जल स्थापत्य का अद्भुत नमूना मानी जाती है।
- भाण्डारेज बावड़ी (दौसा) का निर्माण किसने करवाया था?
A. टोडरमल
B. दीप सिंह
C. चाँद राजा
D. राव रूपाल
उत्तर: B
व्याख्या: भाण्डारेज बावड़ी जो कि दौसा जिले में स्थित है, का निर्माण दीप सिंह ने करवाया था। यह बावड़ी स्थापत्य कला की दृष्टि से अत्यंत सुंदर है और आज भी स्थानीय जल संग्रहण प्रणाली में उपयोगी मानी जाती है। इसका निर्माण उस समय के जल संरक्षण के उत्कृष्ट ज्ञान को दर्शाता है।
- नौलखा बावड़ी का निर्माण डूंगरपुर में किस वर्ष (ई.वी.) में करवाया गया था?
A. 1587 ई.
B. 1643 ई.
C. 1699 ई.
D. 1748 ई.
उत्तर: A
व्याख्या: नौलखा बावड़ी का निर्माण महारावल आसकरण की रानी प्रेमल देवी ने वि.सं. 1643 (1587 ई.) में करवाया था। यह बावड़ी डूंगरपुर की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। इसकी बनावट राजस्थानी स्थापत्य शैली पर आधारित है और यह जल संचयन के साथ-साथ धार्मिक महत्त्व भी रखती है।
- नौलखा बावड़ी में अंकित प्रशस्ति किस क्षेत्र के चौहान इतिहास का ज्ञान कराती है?
A. मेवाड़
B. मारवाड़
C. वागड़
D. ढूंढाड़
उत्तर: C
व्याख्या: नौलखा बावड़ी में अंकित प्रशस्ति वागड़ क्षेत्र के चौहान इतिहास की जानकारी देती है। यह लेख उस समय के शासकों, स्थापत्य कार्यों और स्थानीय इतिहास पर प्रकाश डालता है। इस प्रशस्ति से वागड़ के राजवंशों और उनकी सांस्कृतिक विरासत का भी पता चलता है।
- बड़े बांधों और नदियों की परियोजनाओं के कारण राजस्थान की कौनसी जल संरक्षण विधियाँ उपेक्षित हो गई हैं?
A. नहरें
B. परंपरागत प्रणालियाँ जैसे नाड़ी, टाँका, बावड़ी
C. लिफ्ट परियोजनाएँ
D. सिंचाई प्रणालियाँ
उत्तर: B
व्याख्या: राजस्थान में पहले नाड़ी, टाँका, बावड़ी, टोबा और खड़ीन जैसी परंपरागत जल संरक्षण प्रणालियाँ प्रचलित थीं। लेकिन बड़े बांधों और नदी परियोजनाओं के आने के बाद ये प्रणालियाँ उपेक्षित हो गईं। ये पारंपरिक विधियाँ पर्यावरण के अनुकूल थीं और स्थानीय जरूरतों को पूरा करती थीं।
- निम्नलिखित में से कौनसा जल संरक्षण की पारंपरिक प्रणाली नहीं है?
A. टाँका
B. खड़ीन
C. जोहड़
D. नाली
उत्तर: D
व्याख्या: टाँका, खड़ीन, जोहड़, बावड़ी, तालाब आदि पारंपरिक जल संरक्षण प्रणालियाँ हैं जो राजस्थान में सदियों से प्रचलित हैं। लेकिन नालीआधुनिक जल निकासी प्रणाली है, जिसे जल संग्रहण के लिए नहीं, बल्कि जल निकास के लिए उपयोग किया जाता है। इसलिए यह पारंपरिक प्रणाली नहीं मानी जाती।
- खड़ीन जल संरक्षण प्रणाली विशेषकर किसके द्वारा जैसलमेर में विकसित की गई थी?
A. चौहानों द्वारा
B. हाड़ा राजाओं द्वारा
C. पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा
D. भीलों द्वारा
उत्तर: C
व्याख्या: खड़ीन प्रणाली राजस्थान के जैसलमेर क्षेत्र में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा विकसित की गई थी। यह जल संचयन की एक उत्कृष्ट तकनीक है, जिसमें वर्षा का पानी खेतों में रोककर मिट्टी में समाया जाता है। इस विधि से खेती योग्य भूमि में नमी बनी रहती है और सूखे क्षेत्रों में फसल उगाने में सहायता मिलती है
- हाड़ी रानी की बावड़ी, टोडारायसिंह (टोंक) में, किसने बनवाई थी?
A. रानी नाथावती
B. रानी प्रेमल देवी
C. टोडा नरेश राव रूपाल की पत्नी (हाड़ी रानी)
D. अनारकली दासी
उत्तर: C
व्याख्या: हाड़ी रानी की बावड़ी का निर्माण टोडा नरेश राव रूपाल की पत्नी हाड़ी रानी द्वारा करवाया गया था, जो देवा हाड़ा की राजकुमारी थीं। यह बावड़ी टोंक जिले के टोडारायसिंह में स्थित है। यह स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है और हाड़ी रानी के बलिदान और साहस की याद दिलाती है, जिन्होंने देशभक्ति की मिसाल पेश की थी।
- चाँद बावड़ी का निर्माण प्रतिहार राजा चाँद ने किस शताब्दी में करवाया था?
A. 12वीं शताब्दी
B. 8वीं शताब्दी
C. 10वीं शताब्दी
D. 15वीं शताब्दी
उत्तर: B
व्याख्या: चाँद बावड़ी का निर्माण प्रतिहार राजा चाँद ने 8वीं शताब्दी में करवाया था। यह बावड़ी आभानेरी (दौसा) में स्थित है और भारत की सबसे बड़ी तथा गहरी बावड़ियों में से एक मानी जाती है। इसके चारों ओर लगभग 3500 सीढ़ियाँ हैं, जो इसे स्थापत्य दृष्टि से अत्यंत आकर्षक बनाती हैं।
- ख्वाजा बावड़ी राजस्थान के किस जिले में स्थित है?
A. जोधपुर
B. दौसा
C. टोंक
D. भीलवाड़ा
उत्तर: C
व्याख्या: ख्वाजा बावड़ी राजस्थान के टोंक जिले में स्थित है। यह बावड़ी धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और इसका नाम “ख्वाजा” सूफी परंपरा से जुड़ा है। टोंक में यह बावड़ी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से विशेष महत्त्व रखती है।
- निम्नलिखित में से कौनसी बावड़ी जोधपुर जिले में स्थित है?
A. ख्वाजा बावड़ी
B. उदय बावड़ी
C. एंजन बावड़ी
D. बड़गाँव की बावड़ी
उत्तर: C
व्याख्या: एंजन बावड़ी जोधपुर जिले में स्थित है। यह और कांतन बावड़ी दोनों ही जोधपुर की प्रमुख बावड़ियाँ हैं, जो जल संरक्षण और वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। जबकि ख्वाजा बावड़ी टोंक में स्थित है।
- उदय बावड़ी का निर्माण किस शासक ने करवाया था?
A. राव रूपाल
B. महारावल उदयसिंह
C. राव राजा अनिरुद्ध
D. टोडरमल
उत्तर: B
व्याख्या: उदय बावड़ी का निर्माण महारावल उदयसिंह द्वारा डूंगरपुर में करवाया गया था। यह बावड़ी स्थानीय निवासियों के लिए जल स्रोत के रूप में उपयोग की जाती थी। इसकी संरचना राजस्थानी स्थापत्य शैली का सुंदर उदाहरण है और यह डूंगरपुर की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है।
- पन्ना मीणा की बावड़ी राजस्थान के किस जिले में स्थित है?
A. उदयपुर
B. दौसा
C. बूंदी
D. जयपुर
उत्तर: D
व्याख्या: पन्ना मीणा की बावड़ी जयपुर के आमेर क्षेत्र में स्थित है। यह बावड़ी अपनी समानांतर सीढ़ियों और जल स्तर के संतुलन के लिए प्रसिद्ध है। इसे स्थानीय लोग “पन्ना मीणा का कुंड” भी कहते हैं और यह आज एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
- खातन बावड़ी राजस्थान के किस दुर्ग में स्थित है?
A. जयगढ़ दुर्ग
B. चित्तौड़गढ़ दुर्ग
C. कुंभलगढ़ दुर्ग
D. गागरोन दुर्ग
उत्तर: B
व्याख्या: खाटन बावड़ी चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित है। यह दुर्ग के अंदर स्थित ऐतिहासिक बावड़ियों में से एक है, जो जल संरक्षण और सुरक्षा के लिए बनाई गई थी। चित्तौड़गढ़ दुर्ग की ये बावड़ियाँ राजपूत काल की वास्तुकला और जल प्रबंधन प्रणाली का श्रेष्ठ उदाहरण हैं।
- बड़गाँव की बावड़ी राजस्थान के किस जिले में स्थित है?
A. बूंदी
B. झालावाड़
C. कोटा
D. बारां
उत्तर: C
व्याख्या: बड़गाँव की बावड़ी कोटा जिले में स्थित है। यह प्राचीन जल संरचना अपने गहरे जलकुंड और सीढ़ियों के सुंदर डिजाइन के लिए प्रसिद्ध है। कोटा क्षेत्र में यह बावड़ी स्थानीय लोगों के लिए पेयजल स्रोत रही है और इसका ऐतिहासिक महत्व भी है।
- पर्चा बावड़ी राजस्थान में कहाँ स्थित है?
A. नाडोल
B. रूणेचा (जैसलमेर)
C. बाड़मेर
D. लवाण (दौसा)
उत्तर: B
व्याख्या: पर्चा बावड़ी रूणेचा (जैसलमेर) में स्थित है। यह स्थान बाबा रामदेवजी से जुड़ा होने के कारण अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस बावड़ी का उपयोग पहले तीर्थयात्रियों द्वारा स्नान और जल ग्रहण के लिए किया जाता था, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
- डाकणिया बावड़ी राजस्थान में कहाँ स्थित है?
A. अलवर
B. लवाण (दौसा)
C. बूंदी
D. टोंक
उत्तर: B
व्याख्या: डाकणिया बावड़ी लवाण (दौसा) में स्थित है। यह ऐतिहासिक बावड़ी अपने स्थापत्य सौंदर्य और जल संचयन की दृष्टि से प्रसिद्ध है। दौसा जिले की बावड़ियाँ राजस्थान की पारंपरिक जल संरक्षण प्रणाली का प्रतीक हैं, जो आज भी स्थानीय संस्कृति का हिस्सा बनी हुई हैं
- निम्नलिखित में से कौनसी बावड़ी जोधपुर में स्थित है?
A. उदय बावड़ी
B. बाई राज की बावड़ी
C. सुगदा की बावड़ी
D. चमना बावड़ी
उत्तर: C
व्याख्या: सुगदा की बावड़ी जोधपुर जिले की एक प्रसिद्ध बावड़ी है। यह स्थान अपनी ऐतिहासिक संरचनाओं और पारंपरिक जल संरक्षण प्रणालियों के लिए जाना जाता है। जोधपुर में कई बावड़ियाँ थीं जो लोगों के दैनिक जल उपयोग का प्रमुख स्रोत रही हैं। सुगदा की बावड़ी आज भी राजस्थान की प्राचीन स्थापत्य कला का एक सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करती है।
- बाई राज की बावड़ी राजस्थान के किस स्थान पर स्थित है?
A. नाडोल
B. बनेड़ा (भीलवाड़ा)
C. मांडलगढ़
D. ओसियां
उत्तर: B
व्याख्या: बाई राज की बावड़ी बनेड़ा (भीलवाड़ा) में स्थित है। यह बावड़ी भीलवाड़ा जिले की प्रमुख ऐतिहासिक बावड़ियों में से एक है। पुराने समय में यह बावड़ी न केवल जल स्रोत के रूप में बल्कि लोगों के मिलने-जुलने का भी प्रमुख स्थान थी। आज भी यह राजस्थान की प्राचीन जल संरचनाओं की समृद्ध परंपरा को दर्शाती है।
- मेड़तणी की बावड़ी किस जिले में स्थित है?
A. सीकर
B. चुरू
C. झुंझुनूं
D. नागौर
उत्तर: C
व्याख्या: मेड़तणी की बावड़ी झुंझुनूं जिले में स्थित है। यह बावड़ी राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र में पारंपरिक जल संचयन तकनीक का उत्कृष्ट उदाहरण है। झुंझुनूं की इस बावड़ी ने लंबे समय तक स्थानीय निवासियों की जल आवश्यकता पूरी की। आज भी यह क्षेत्र की स्थापत्य कला और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक मानी जाती है।
- बूंदी को ‘बावड़ियों का नगर’ क्यों कहा जाता है?
A. यह राजस्थान का सबसे बड़ा शहर है।
B. यहाँ पर काका जी की बावड़ी, नागर सागर कुण्ड और रानी जी की बावड़ी सहित कई ऐतिहासिक बावड़ियाँ हैं।
C. यहाँ केवल एक ही विशाल बावड़ी है।
D. यह जयपुर के पास स्थित है।
उत्तर: B
व्याख्या: बूंदी को ‘बावड़ियों का नगर’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ पर अनेक प्रसिद्ध बावड़ियाँ हैं, जैसे काका जी की बावड़ी, नागर सागर कुण्ड, रानी जी की बावड़ी आदि। इन बावड़ियों का निर्माण जल संरक्षण के साथ-साथ स्थापत्य सौंदर्य को ध्यान में रखकर किया गया था। बूंदी की बावड़ियाँ आज भी राजस्थान की जल संस्कृति और शिल्पकला की अनूठी पहचान मानी जाती हैं।
- भिका जी की बावड़ी राजस्थान के किस जिले में स्थित है?
A. जोधपुर
B. अजमेर
C. सीकर
D. डीडवाना-कुचामन
उत्तर: B
व्याख्या: भिका जी की बावड़ी अजमेर जिले में स्थित है। यह बावड़ी पुराने समय में स्थानीय लोगों के लिए मुख्य जल स्रोत के रूप में जानी जाती थी। अजमेर क्षेत्र में ऐसी कई बावड़ियाँ हैं जो राजस्थान की प्राचीन जल संरक्षण परंपरा को दर्शाती हैं। भिका जी की बावड़ी अपने ऐतिहासिक महत्व और स्थापत्य सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।
- फूल बावड़ी (छोटी खाटू) वर्तमान में किस जिले में स्थित है?
A. जोधपुर
B. सीकर
C. डीडवाना-कुचामन
D. नागौर
उत्तर: C
व्याख्या: फूल बावड़ी (छोटी खाटू) वर्तमान में डीडवाना-कुचामन जिले में स्थित है। यह बावड़ी स्थानीय स्तर पर जल संरक्षण और संग्रहण का प्रमुख साधन रही है। राजस्थान की पारंपरिक बावड़ियाँ जैसे फूल बावड़ी, स्थापत्य कला और स्थानीय पर्यावरणीय ज्ञान का सुंदर मिश्रण हैं।
- निम्नलिखित में से कौनसी बावड़ी झुंझुनूं जिले में स्थित है?
A. झालरा बावड़ी
B. खेतानों की बावड़ी
C. भिका जी की बावड़ी
D. बड़ी बावड़ी
उत्तर: B
व्याख्या: खेतानों की बावड़ी झुंझुनूं जिले में स्थित है। यह बावड़ी प्राचीन काल में जल संचयन और सामाजिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र हुआ करती थी। झुंझुनूं की यह ऐतिहासिक बावड़ी राजस्थान की स्थापत्य विरासत और जल संरक्षण की परंपरा का जीता-जागता उदाहरण है।
- चेतनदास की बावड़ी किस जिले में स्थित है?
A. सीकर
B. चुरू
C. झुंझुनूं
D. अलवर
उत्तर: C
व्याख्या: चेतनदास की बावड़ी झुंझुनूं जिले में स्थित है। इस बावड़ी का निर्माण प्राचीन काल में स्थानीय जल आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से किया गया था। राजस्थान के इस क्षेत्र में बावड़ियाँ सामाजिक जीवन और धार्मिक आस्था दोनों का केंद्र रही हैं।
- चमना बावड़ी का निर्माण उम्मेदसिंह ने किस वर्ष करवाया था?
A. 1699 ई.
B. 1858 ई.
C. 1748 ई.
D. 1947 ई.
उत्तर: B
व्याख्या: चमना बावड़ी का निर्माण उम्मेदसिंह ने 1858 ई. में करवाया था। यह बावड़ी राजस्थान की स्थापत्य शैली और जल संरक्षण प्रणाली का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसका निर्माण उस समय कराया गया जब मरुस्थल क्षेत्रों में वर्षाजल संचयन की अत्यंत आवश्यकता थी।
- चमना बावड़ी राजस्थान के किस जिले से संबंधित है?
A. दौसा
B. टोंक
C. भीलवाड़ा
D. अलवर
उत्तर: C
व्याख्या: चमना बावड़ी राजस्थान के भीलवाड़ा जिले से संबंधित है। यह बावड़ी अपने ऐतिहासिक महत्व और सुंदर स्थापत्य के कारण प्रसिद्ध है। भीलवाड़ा की यह प्राचीन संरचना राजस्थान की जल संरक्षण परंपरा को आज भी जीवित रखे हुए है।
- बड़ी बावड़ी राजस्थान में कहाँ स्थित है?
A. चमना (भीलवाड़ा)
B. भाण्डारेज (दौसा)
C. टोंक
D. कुंभलगढ़
उत्तर: B
व्याख्या: बड़ी बावड़ी भाण्डारेज (दौसा) में स्थित है। यह बावड़ी पुराने समय में स्थानीय लोगों के जल उपयोग का प्रमुख स्रोत रही है। यहाँ का स्थापत्य और डिज़ाइन राजस्थान की पारंपरिक जल संरक्षण प्रणाली को दर्शाता है और आज भी यह ऐतिहासिक महत्व रखती है।
- दिसंबर 2017 में राजस्थान की कितनी बावड़ियों पर डाक टिकट जारी किए गए थे?
A. 4
B. 6
C. 8
D. 10
उत्तर: B
व्याख्या: दिसंबर 2017 में राजस्थान की 6 बावड़ियों पर डाक टिकट जारी किए गए थे। यह पहल राज्य की प्राचीन जल संरचनाओं को सम्मान देने और लोगों में ऐतिहासिक जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी। इन बावड़ियों की सुंदरता और महत्व को राष्ट्रीय स्तर पर दिखाने का यह एक महत्वपूर्ण प्रयास था।
- दिसंबर 2017 में नीमराणा की बावड़ी पर कितने रुपये का डाक टिकट जारी किया गया था?
A. ₹5 और ₹15 दोनों
B. केवल ₹10
C. केवल ₹5
D. केवल ₹15
उत्तर: A
व्याख्या: नीमराणा की बावड़ी पर ₹5 और ₹15 दोनों डाक टिकट जारी किए गए थे। यह बावड़ी राजस्थान की 9 मंजिला वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती है। डाक टिकट के माध्यम से इसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली और राजस्थान की जल संरक्षण परंपरा को भी लोगों तक पहुँचाया गया।
- ‘तूर जी का झालरा’ का निर्माण किस शासक की रानी ने करवाया था?
A. राव राजा अनिरुद्ध
B. टोडा नरेश राव रूपाल
C. महाराजा अभयसिंह
D. महारावल आसकरण
उत्तर: C
व्याख्या: तूर जी का झालरा का निर्माण महाराजा अभयसिंह की रानी तूर कंवर ने करवाया था। यह झालरा राजस्थान की स्थापत्य कला और जल संरक्षण की परंपरा का उत्कृष्ट उदाहरण है। रानी तूर कंवर ने इसे केवल जल संचयन के लिए ही नहीं, बल्कि सौंदर्य और शाही पहचान के लिए भी बनवाया था।
- तूर जी का झालरा का निर्माण किस वर्ष करवाया गया था?
A. 1748 ई.
B. 1699 ई.
C. 1858 ई.
D. 1587 ई.
उत्तर: A
व्याख्या: तूर जी का झालरा 1748 ई. में महाराजा अभयसिंह की रानी तूर कंवर द्वारा बनवाया गया। इस निर्माण में राजस्थानी स्थापत्य कला और शाही जल संरक्षण तकनीक का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है। यह झालरा आज भी पर्यटकों और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
- बाटाडू का कुआँ (रेगिस्तान का जलमहल) बाड़मेर में किस स्थान पर स्थित है?
A. तनोट
B. बायतु
C. ओसियां
D. गजनेर
उत्तर: B
व्याख्या: बाटाडू का कुआँ बायतु (बाड़मेर) में स्थित है। इसे रावल गुलाबसिंह ने बनवाया था और यह रेगिस्तान क्षेत्र में जल संरक्षण का महत्वपूर्ण उदाहरण है। यहाँ का वास्तुशिल्प और कुएँ का डिज़ाइन उस समय के अकाल और जल संकट से निपटने की तकनीक को दर्शाता है।
- किस प्रसिद्ध फिल्म की शूटिंग हाड़ी रानी की बावड़ी (टोडारायसिंह) में हुई थी?
A. लगान
B. पहेली
C. जोधा अकबर
D. पद्मावत
उत्तर: B
व्याख्या: हाड़ी रानी की बावड़ी, टोडारायसिंह (टोंक) में स्थित है, जहाँ प्रसिद्ध फिल्म “पहेली” की शूटिंग हुई थी। यह बावड़ी ऐतिहासिक और स्थापत्य दृष्टि से महत्वपूर्ण है। फिल्म की शूटिंग से इस स्थल को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान भी मिली।
- कांतन बावड़ी राजस्थान के किस जिले में स्थित है?
A. टोंक
B. जोधपुर
C. भीलवाड़ा
D. सिरोही
उत्तर: B
व्याख्या: कांतन बावड़ी जोधपुर जिले में स्थित है। यह बावड़ी पुराने समय में स्थानीय लोगों के जल स्रोत के रूप में काम करती थी। यहाँ का डिज़ाइन और निर्माण राजस्थान की प्राचीन जल संरक्षण परंपरा का सुंदर उदाहरण है।
- अनारकली की बावड़ी बूंदी में कहाँ स्थित है?
A. नागर सागर
B. छत्रपुरा
C. रानी जी की बावड़ी के पास
D. भावल देवी के पास
उत्तर: B
व्याख्या: अनारकली की बावड़ी बूंदी के छत्रपुरा क्षेत्र में स्थित है। यह बावड़ी अपने ऐतिहासिक महत्व और वास्तुशिल्प सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। स्थानीय लोगों के लिए यह जल स्रोत होने के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर भी है।
- अनारकली की बावड़ी का निर्माण किसने करवाया था?
A. रानी नाथावत
B. अनारकली (रानी नाथावत की दासी)
C. महारावल उदयसिंह
D. राव राजा अनिरुद्ध
उत्तर: B
व्याख्या: अनारकली की बावड़ी का निर्माण रानी नाथावत की दासी अनारकली ने करवाया था। यह बावड़ी राजस्थान की जल संरचना और स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण है। इसका निर्माण न केवल जल संचयन के लिए बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखकर किया गया था
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