राजस्थान की प्राचीन सभ्यता Previous Year Questions

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राजस्थान की प्राचीन सभ्यता PYQ

1. जोधपुरा सभ्यता किस नदी के तट पर स्थित है?

[Forest Guard 11 Dec, 2022 Shift-II]

(A) साबी नदी
(B) कोठारी नदी
(C) बेड़च नदी
(D) लूणी नदी

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उत्तर- (A) साबी नदी

जोधपुरा सभ्यता जयपुर में साबी नदी के किनारे स्थित स्थल है। यहां से लौह युगीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें लौहा गलाने की भट्टियां शामिल हैं। यह स्थल प्राचीन सभ्यताओं की पहचान करता है, और इसकी खोज आर.सी. अग्रवाल और विजय कुमार द्वारा की गई थी।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
कोठारी नदी: यह नदी जोधपुर जिले में स्थित है, लेकिन यहां से कोई महत्वपूर्ण सभ्यता स्थल नहीं मिला।
बेड़च नदी: यह नदी राजस्थान के एक अन्य क्षेत्र में स्थित है, और यहां के उत्खनन से भी प्राचीन सभ्यताओं के साक्ष्य नहीं मिले।
लूणी नदी: लूणी नदी भी राजस्थान में बहती है, लेकिन इसका संबंध जोधपुरा सभ्यता से नहीं है।

2. राजस्थान के किस जिले में गिलूण्ड पुरातत्व उत्खनन स्थल स्थित है?

[Forest Guard- 11 Dec. 2022 Shift-I]

(A) भीलवाड़ा
(B) राजसमंद
(C) पाली
(D) उदयपुर

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उत्तर- (B) राजसमंद

गिलूण्ड पुरातत्व उत्खनन स्थल राजसमंद जिले के बनास नदी के किनारे स्थित है। यहां से विभिन्न प्रकार के मिट्टी के बर्तन और पक्की ईंटों का प्रयोग दिखता है, जो इस स्थल की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाते हैं।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
भीलवाड़ा: इस जिले में कुछ प्राचीन स्थल हैं, लेकिन गिलूण्ड उत्खनन स्थल यहां स्थित नहीं है।
पाली: यह जिला भी ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, लेकिन गिलूण्ड उत्खनन स्थल पाली जिले में नहीं है।
उदयपुर: उदयपुर जिले में भी कई पुरातात्विक स्थल हैं, लेकिन गिलूण्ड उत्खनन स्थल यहां स्थित नहीं है।

3. बालाथल सभ्यता का उत्खनन किसके निर्देशन में हुआ?

[Forest Guard- 11 Dec. 2022 Shift-1]

(A) बी. बी. लाल
(B) वी. एन. मिश्र
(C) आर. सी. अग्रवाल
(D) अमलानंद घोष

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उत्तर- (B) वी. एन. मिश्र

बालाथल सभ्यता का उत्खनन 1993 में पूना विश्वविद्यालय के वी. एन. मिश्र के निर्देशन में हुआ था। यह स्थल बेड़च नदी के किनारे वल्लभनगर (उदयपुर) में स्थित है।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
बी. बी. लाल: बी. बी. लाल भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख पुरातत्वज्ञ थे, लेकिन बालाथल उत्खनन में उनका कोई योगदान नहीं था।
आर. सी. अग्रवाल: आर. सी. अग्रवाल एक प्रसिद्ध पुरातत्वज्ञ हैं, लेकिन बालाथल उत्खनन के संबंध में उनका नाम नहीं आता।
अमलानंद घोष: वे भी भारतीय पुरातत्वशास्त्र में प्रसिद्ध थे, लेकिन बालाथल उत्खनन में उनका कोई प्रत्यक्ष योगदान नहीं था।

4. सर्वप्रथम राजस्थान में कहाँ से पूर्वपाषाण कालीन हस्त कुठार (कुल्हाड़ी) खोज निकाली थी?

[Forester 06 Nov. 2022, Shift-1]

(A) अलवर और टोंक
(B) चित्तौड़ और भीलवाड़ा
(C) जयपुर और इन्द्रगढ़
(D) जोधपुरा और सुनारी

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उत्तर- (C) जयपुर और इन्द्रगढ़

पूर्वपाषाण कालीन हस्त कुठार (Hand Axe) सर्वप्रथम जयपुर और इन्द्रगढ़ (बूंदी) से 1870 ई. में खोजे गए थे। ये उपकरण प्राचीन मानव सभ्यता के विकास को दर्शाते हैं।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
अलवर और टोंक: ये क्षेत्र भी प्राचीन इतिहास से जुड़े हैं, लेकिन यहां से इस प्रकार के उपकरण पहले नहीं मिले थे।
चित्तौड़ और भीलवाड़ा: इन क्षेत्रों में भी पुरातात्विक स्थल हैं, लेकिन यह स्थल हस्त कुठार की खोज से संबंधित नहीं हैं।
जोधपुरा और सुनारी: इन क्षेत्रों में अन्य पुरातात्विक खोजें की गईं, लेकिन यहां से पहले इस प्रकार के उपकरण नहीं मिले थे।

5. सुनारी सभ्य अवशेष राजस्थान के किस जिले से प्राप्त हुए हैं?

[Junior Instructor (Workshop)-10 Sept. 2022]

(A) चुरू
(B) झुंझुनू
(C) सोकर
(D) भीलवाड़ा

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उत्तर- (B) झुंझुनू

सुनारी सभ्यता के अवशेष कांतली नदी के किनारे झुंझुनू जिले से प्राप्त हुए हैं। यहां पुरातत्व विभाग द्वारा 1980 में उत्खनन किया गया था, और प्राचीनतम लौह भट्टियाँ, चावल प्रयोग के साक्ष्य, तथा मातृदेवी की मृण्मूर्ति प्राप्त हुई थी।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
चुरू: चुरू जिले में कुछ पुरातात्विक स्थल हैं, लेकिन सुनारी सभ्यता के अवशेष यहां से नहीं मिले।
सोकर: सोकर में भी कुछ पुरातात्विक साक्ष्य मिले हैं, लेकिन सुनारी सभ्यता से संबंधित अवशेष नहीं पाए गए।
भीलवाड़ा: भीलवाड़ा में भी प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष मिले हैं, लेकिन सुनारी सभ्यता का संबंध यहां से नहीं है।

6. निम्नलिखित में किस पुरातात्विक स्थल से, यूनानी शासक मीनांडर की मुद्राएँ प्राप्त हुई हैं?

[CET (Graduation ) – 07.01.2023, Shift-II]

(A) बालाथल
(B) गणेश्वर
(C) बैराठ
(D) आहड़

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उत्तर- (C) बैराठ

बैराठ से 36 मुद्राएँ प्राप्त हुईं, जिनमें से 8 पंचमार्क मुद्राएँ थीं और 28 इंडो-ग्रीक मुद्राएँ थीं, जिनमें से 16 यूनानी शासक मीनांडर की थीं। यह बैराठ में मिली एक महत्वपूर्ण खोज है, जो इस क्षेत्र के प्राचीन सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों को दर्शाती है।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
बालाथल: यह स्थल राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है, लेकिन यहां से मीनांडर की मुद्राएँ नहीं मिलीं।
गणेश्वर: गणेश्वर से ताम्र युगीन उपकरण मिले हैं, लेकिन मीनांडर की मुद्राएँ यहां से नहीं मिलीं।
आहड़: आहड़ से प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं, लेकिन यहां से मीनांडर की मुद्राएँ नहीं प्राप्त हुईं।

7. अनाज रखने के बड़े मृद्भाण्ड ‘गोरे”कोटे’ राजस्थान के किस प्राचीन स्थल से प्राप्त होते हैं?

[AARO (Entomology) 28 Aug. 2022]

(A) तिलवाड़ा
(B) बूढ़ा पुष्कर
(C) आहड़
(D) पीलीबंगा

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उत्तर- (C) आहड़

आहड़ से अनाज रखने के बड़े मृद्भाण्ड (घड़े) ‘गोरे’ और ‘कोटे’ प्राप्त हुए हैं। ये पात्र अन्न संग्रह के लिए उपयोग किए जाते थे और पुरातत्व विभाग के संग्रहालय में रखे गए हैं। यह स्थल राजस्थान की प्राचीन सभ्यताओं के एक महत्वपूर्ण प्रमाण के रूप में जाना जाता है।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
तिलवाड़ा: तिलवाड़ा से कुछ अन्य प्राचीन अवशेष मिले हैं, लेकिन यहां से गोरे और कोटे जैसी वस्तुएं प्राप्त नहीं हुईं।
बूढ़ा पुष्कर: यह स्थल प्राचीन धार्मिक महत्व का है, लेकिन यहां से गोरे और कोटे के जैसे मृद्भाण्ड नहीं मिले।
पीलीबंगा: पीलीबंगा में भी प्राचीन सभ्यता के अवशेष पाए गए हैं, लेकिन यहां से गोरे और कोटे जैसे मृद्भाण्ड नहीं मिले।

8. हीले मुख्य रूप से सम्बन्धित है-

[AARO (Entomology) 28 Aug. 2022]

(A) मध्यपाषाण संस्कृति से
(B) पुरापाषाण संस्कृति से
(C) ताम्र संस्कृति से
(D) नवपाषाण संस्कृति से

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उत्तर- (C) ताम्र संस्कृति से

हीले कांतली नदी के किनारे, नीम का थाना (सीकर) में स्थित एक स्थल है, जो ताम्र युगीन ताम्र सभ्यताओं का केंद्र है। यहां से तांबे के उपकरण मिले हैं, जिनमें 99% तांबा पाया गया है। यह स्थल ताम्र संस्कृति से संबंधित है।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
मध्यपाषाण संस्कृति: हीले स्थल का संबंध मध्यपाषाण संस्कृति से नहीं है, क्योंकि यह स्थल ताम्र युगीन है।
पुरापाषाण संस्कृति: यह संस्कृति प्राचीनतम है, लेकिन हीले स्थल उससे संबंधित नहीं है।
नवपाषाण संस्कृति: नवपाषाण संस्कृति का संबंध भी इस स्थल से नहीं है, क्योंकि यह ताम्र युगीन स्थल है।

9. निम्नलिखित में से कौनसा कथन ‘कालीबंगा सभ्यता’ के विषय में सही नहीं है?

[CET (Graduation ) – 08.01.2023, Shift-1]

(A) कालीबंगा से ऊट की हड्डियों के साक्ष्य मिले हैं।
(B) कालीबंगा की खोज एक इतालवी इंडोलॉजिस्ट लुइगी पियो टेसिटोरी ने की थी।
(C) कालीबंगा से प्रथम अंकित किए गए भूकंप के साक्ष्य मिले हैं।
(D) प्राक् हड़प्पा अग्निवेदियों के साक्ष्य मिले हैं।

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उत्तर- (B) कालीबंगा की खोज एक इतालवी इंडोलॉजिस्ट लुइगी पियो टेसिटोरी ने नहीं, बल्कि भारतीय पुरातत्वज्ञ श्रीराम वर्मा ने की थी। कालीबंगा से ऊंट की हड्डियों, भूकंप के प्राचीनतम साक्ष्य, और प्राक् हड़प्पा कालीन अग्निवेदियों के साक्ष्य मिले हैं।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
A: कालीबंगा से ऊंट की हड्डियाँ प्राप्त हुई हैं, जो इस क्षेत्र में प्राचीन पशुपालन की पुष्टि करती हैं।
C: कालीबंगा से भूकंप के साक्ष्य पाए गए थे, जो दुनिया में पहली बार अंकित किए गए भूकंप के साक्ष्य हैं।
D: कालीबंगा से प्राक् हड़प्पा अग्निवेदियों के साक्ष्य मिले हैं, जो हवन प्रक्रिया की परंपरा को दर्शाते हैं।

10. राजस्थान की किस सभ्यता को ‘ताम्रसंचयी’ के नाम से भी जाना जाता है?

[PTI 25 Sep, 2022]

(A) गणेश्वर
(B) बागौर
(C) आहड़
(D) गिलुण्ड

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उत्तर- (A) गणेश्वर

गणेश्वर सभ्यता को ‘ताम्रसंचयी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह ताम्र युगीन सभ्यता है, जहां तांबे के उपकरण और अन्य सामग्री प्राप्त हुई हैं। गणेश्वर सभ्यता ने ताम्र युग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
बागौर: यह सभ्यता भी ताम्र युग से संबंधित है, लेकिन इसे ताम्रसंचयी सभ्यता नहीं कहा जाता।
आहड़: आहड़ से प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं, लेकिन यह ताम्रसंचयी सभ्यता के रूप में नहीं पहचानी जाती।
गिलुण्ड: यह भी ताम्र युग की सभ्यता से संबंधित है, लेकिन ‘ताम्रसंचयी’ के रूप में प्रमुख नहीं है।

11. निम्नलिखित में से, बौद्ध धर्म से सम्बन्धित पुरातात्विक अवशेष कहाँ मिले हैं?

[CET (Graduation ) – 08.01.2023, Shift-1]

(A) नलियासर (सांभर)
(B) रैढ़ (टोंक)
(C) बैराठ (विराट नगर)
(D) माध्यमिका (नगरी)

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उत्तर- (C) बैराठ (विराट नगर)

बैराठ (विराटनगर, जयपुर) में बौद्ध धर्म से संबंधित महत्वपूर्ण पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हुए हैं। यहाँ बौद्ध धर्म से जुड़ी मूर्तियाँ, स्तूप, और अन्य धार्मिक चिन्ह मिले हैं। यह स्थल बौद्ध धर्म के फैलाव का महत्वपूर्ण प्रमाण है, खासकर राजस्थान में।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
नलियासर (सांभर): यहाँ से बौद्ध धर्म से संबंधित कोई प्रमुख अवशेष नहीं मिले हैं।
रैढ़ (टोंक): रैढ़ से भी बौद्ध धर्म के अवशेष नहीं मिले हैं।
माध्यमिका (नगरी): यह स्थल भी बौद्ध धर्म से संबंधित नहीं है।

12. राजस्थान की कौन सी सभ्यता बनास, बेड़च, वागन, गंभीरी और कोठारी नदियों के तटों और घाटियों में फैली हुई थी ?

[PTI 25 Sep, 2022]

(A) कालीबंगा
(B) आहड़
(C) गणेश्वर
(D) बैराठ

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उत्तर- (B) आहड़

आहड़ सभ्यता राजस्थान के उदयपुर क्षेत्र में स्थित है, जो बनास, बेड़च, वागन, गंभीरी और कोठारी नदियों के तटों और घाटियों में फैली हुई थी। यहाँ तांबे की 40 खदानें थीं, और तांबा निकालने के उपकरणों के अवशेष भी मिले हैं। इसे ‘मृतको का टीला’ भी कहा जाता है।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
कालीबंगा: यह स्थल हड़प्पा काल का है, लेकिन यह नदियों के तटों और घाटियों के बजाय सिंधु घाटी में स्थित था।
गणेश्वर: गणेश्वर ताम्र युगीन सभ्यता का केंद्र था, लेकिन यह आहड़ सभ्यता से संबंधित नहीं है।
बैराठ: बैराठ का स्थल बौद्ध धर्म से संबंधित है और यह आहड़ सभ्यता से अलग है।

13. राजस्थान में झुंझुनूं जिले में खेतड़ी तहसील के किस गांव से अयस्क से लौहा बनाने भट्टियों अवशेष प्राप्त हुए हैं ?

[Forester-06 Nov. 2022, Shift-2]

(A) सुनारी
(B) नगरी
(C) बरोर
(D) बागोर

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उत्तर- (A) सुनारी

सुनारी गांव, जो झुंझुनू जिले के कांतली नदी के किनारे स्थित है, से अयस्क से लौहा बनाने की भट्टियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। यहाँ लोहे के कटोरे/प्याले और शंख की चूड़ियाँ भी मिली हैं, जो उस समय के लौह निर्माण की प्रक्रिया को दर्शाती हैं।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
नगरी: नगरी में भी प्राचीन अवशेष मिले हैं, लेकिन यहां से लौहा बनाने की भट्टियाँ नहीं मिलीं।
बरोर: बरोर में कुछ अन्य प्राचीन अवशेष मिले हैं, लेकिन यहां से लौह निर्माण की भट्टियाँ नहीं मिलीं।
बागोर: बागोर में प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष मिले हैं, लेकिन यहां लौह निर्माण की भट्टियाँ नहीं मिलीं।

14. रंगमहल में विशेष रूप से किसकी खेती की जाती थी?

[ARO (Entomology) 30 Aug, 2022]

(A) गेहूँ
(B) चावल
(C) बाजरा
(D) मक्का

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उत्तर- (B) चावल

रंगमहल, जो हनुमानगढ़ में स्थित है, में विशेष रूप से चावल की खेती की जाती थी। यहां की उत्खनित सामग्री से यह पता चलता है कि चावल उस समय का प्रमुख आहार था। इसके अलावा, रंगमहल से लाल और गुलाबी रंग के मृद्भाण्ड तथा शिव की अजैकपाद स्वरूप की प्रतिमा भी मिली है।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
गेहूँ: यहाँ गेहूँ की खेती के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं।
बाजरा: बाजरे की खेती भी अन्य क्षेत्रों में अधिक थी, लेकिन रंगमहल में चावल प्रमुख था।
मक्का: मक्का की खेती का प्रमाण रंगमहल में नहीं मिलता।

15. राजस्थान का प्रमुख पूर्व ऐतिहासिक स्थल ‘तिलवाड़ा’ किस 1 नदी के किनारे स्थित है?

[ARO (Entomology) 30 Aug, 2022]

(A) बेलन
(B) घग्गर
(C) कोठारी
(D) लूनी

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उत्तर- (D) तिलवाड़ा

तिलवाड़ा स्थल लूणी नदी के किनारे स्थित है, जो बाड़मेर जिले में स्थित है। यहाँ के उत्खनन से प्राचीन अग्नि कुण्ड, मानव अस्थि भस्म, और चाक पर स्लेटी-लाल रंग के मृद्भाण्ड मिले हैं। यह स्थल एक महत्वपूर्ण पूर्व ऐतिहासिक स्थल के रूप में जाना जाता है।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
बेलन: बेलन नदी के किनारे से तिलवाड़ा जैसा कोई प्रमुख स्थल नहीं मिला है।
घग्गर: घग्गर नदी के किनारे कई प्राचीन स्थल हैं, लेकिन तिलवाड़ा घग्गर के पास नहीं है।
कोठारी: कोठारी नदी के किनारे भी अन्य स्थल हैं, लेकिन तिलवाड़ा यहाँ से संबंधित नहीं है।

16. राजस्थान में वैष्णव-धर्म का प्राचीनतम अभिलेख कहाँ से प्राप्त हुआ है?

[ARO (Plant Pathology) 29 Aug, 2022]

(A) घोसुण्डी
(B) नान्दसा
(C) बर्नाला
(D) मण्डोर

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उत्तर- (A) घोसुण्डी

घोसुण्डी शिलालेख (5वीं शताब्दी ई. पू.) वैष्णव (भागवत) धर्म का प्राचीनतम अभिलेख है। यह शिलालेख संकर्षण तथा वासुदेव की मान्यता और अश्वमेघ यज्ञ के प्रचलन से संबंधित है। यह शिलालेख कणववंशीय ब्राह्मणों द्वारा लिखा गया था, जो गजायन गोत्र के थे।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
नान्दसा: नान्दसा से वैष्णव धर्म का कोई महत्वपूर्ण शिलालेख प्राप्त नहीं हुआ है।
बर्नाला: बर्नाला से भी वैष्णव धर्म का कोई प्राचीन शिलालेख नहीं मिला।
मण्डोर: मण्डोर में भी वैष्णव धर्म से संबंधित कोई प्रमुख शिलालेख नहीं मिला है।

17. निम्नलिखित में से कौनसा बनास संस्कृति का स्थल नहीं है?

[Librarian Grade-III, 11 Sept. 2022]

(A) गिलुण्ड
(B) बालाथल
(C) तिलवाड़ा
(D) ओझियाना

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उत्तर- (C) तिलवाड़ा

तिलवाड़ा आहड़ सभ्यता का स्थल है, जो बनास संस्कृति का हिस्सा नहीं है। बनास संस्कृति उन सभ्यताओं से संबंधित है जो बनास और उसकी सहायक नदियों के किनारे स्थित हैं, जैसे आहड़, गिलुण्ड, बालाथल, ओझियाना आदि।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
गिलुण्ड: गिलुण्ड बनास संस्कृति का प्रमुख स्थल है।
बालाथल: बालाथल भी बनास संस्कृति का हिस्सा है।
ओझियाना: ओझियाना भी बनास संस्कृति का एक महत्वपूर्ण स्थल है।

18. निम्नलिखित कथनों को पढ़िए-

(i) विराटनगर जिसे पहले बैराठ के नाम से जाना जाता था, पुर का एक शहर है। जोध
(ii) बैराठ, मौर्य साम्राज्य का हिस्सा था।

सही कृट चुनिए-

[Forest Guard- 13 Nov. 2022 Shift-1]

(A) केवल (i) सही है
(B) केवल (ii) सही है
(C) न तो (i) ना ही (ii) सही है
(D) दोनों कथन सही हैं।

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उत्तर- (B) केवल (ii) सही है

बैराठ (विराटनगर) मौर्य साम्राज्य का हिस्सा था, यह मत्स्य जनपद की राजधानी था और वर्तमान में जयपुर में स्थित है। हालांकि, विराटनगर का पुराना नाम बैराठ था, लेकिन इसका उल्लेख जोध के रूप में नहीं किया जाता।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
(i) विराटनगर का पुराना नाम बैराठ था, लेकिन इसे जोध के रूप में संदर्भित नहीं किया जाता।
(ii) बैराठ मौर्य साम्राज्य का हिस्सा था, जो सही है।

19. निम्नलिखित में से कौनसा (पुरातात्विक स्थल – नदी) सुमेलित नहीं है?

[Forest Guard 12 Nov, 2022 Shift 1]

(A) जोधपुरा – साबी
(B) ओझियाना खारी
(C) कालीबंगा – घग्गर
(D) बालाथल कांतली

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उत्तर- (D) बालाथल कांतली

बालाथल और कांतली नदी के बीच कोई ऐतिहासिक सुमेलित स्थल नहीं है। कांतली नदी से संबंधित कोई महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल नहीं मिला है, जबकि बालाथल से संबंधित स्थल बनास संस्कृति का हिस्सा है।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
जोधपुरा – साबी: यह सुमेलित स्थल है।
ओझियाना – खारी: यह भी सही सुमेलित स्थल है।
कालीबंगा – घग्गर: यह भी एक सुमेलित पुरातात्विक स्थल है।

20. वह स्थान, जिसे ‘प्राचीन भारत का टाटानगर’ कहा जाता है-

[Forest Guard 12 Nov, 2022 Shift 1]

(A) तिलवाड़ा
(B) नगरी
(C) रैढ़
(D) नलियासर

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उत्तर- (C) रैढ़

रैढ़ को ‘प्राचीन भारत का टाटानगर’ कहा जाता है, क्योंकि यहां 3076 चाँदी के सिक्के और मालव जनपद के सिक्के प्राप्त हुए थे। यह स्थल बैड़ सभ्यता का हिस्सा है और 1938 में के. एन. पुरी द्वारा उत्खनित किया गया था।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
तिलवाड़ा: यह स्थान ‘प्राचीन भारत का टाटानगर’ नहीं है, बल्कि यह लूणी नदी के किनारे स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है।
नगरी: नगरी से संबंधित कोई प्रमुख ‘टाटानगर’ जैसी उपाधि नहीं जुड़ी है।
नलियासर: नलियासर भी एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है, लेकिन इसे ‘प्राचीन भारत का टाटानगर’ नहीं कहा जाता।

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