Congress: Banaras, Calcutta and Surat Sessions Previous Year Questions

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Congress: Banaras, Calcutta and Surat Sessions PYQ

1. ’18 वर्ष की आयु में स्नातक,

20 वर्ष की आयु में प्रोफेसर तथा सुधारक के सह संपादक,

25 वर्ष की आयु में सार्वजनिक सभा और प्रांतीय सम्मेलन के मंत्री,

29 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय कांग्रेस के मंत्री,

31 वर्ष की आयु में महत्वपूर्ण रॉयल कमीशन के समक्ष अग्रणी प्रवक्ता,

34 वर्ष की आयु में प्रांतीय विधायक,

36 वर्ष की आयु में इम्पीरियल विधायक,

39 वर्ष की आयु में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष..

एक देश भक्त, जिसे महात्मा गांधी ने स्वयं अपना गुरु माना है।”

 

इन शब्दों में एक जीवनीकार ने वर्णन किया है-

I.A.S. (Pre) 1997

(A) मंडित मदन मोहन मालवीय
(B) महादेव गोविंद रानाडे
(C) गोपाल कृष्ण गोखले
(D) बाल गंगाधर तिलक

उत्तर एवं व्याख्या


उत्तर – (C) गोपाल कृष्ण गोखले

  • गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म 9 मई 1866 को महाराष्ट्र के रत्नागिरि में हुआ था।

  • उन्होंने 18 वर्ष की आयु में बी.ए. किया और 20 वर्ष की आयु में फर्ग्यूसन कॉलेज, पूना में प्राध्यापक बने।

  • वे रानाडे द्वारा स्थापित दक्कन एजुकेशन सोसाइटी से जुड़े रहे।

  • 1889 में इलाहाबाद कांग्रेस से उन्होंने राजनीति में सक्रिय भागीदारी शुरू की।

  • 1902 में इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य बने।

  • वे उदारवादी विचारधारा के नेता थे और महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु भी रहे।

  • उनका विश्वास था कि साध्य और साधन दोनों की पवित्रता आवश्यक है।


2. गोपाल कृष्ण गोखले ने कांग्रेस के लिए अधिवेशन में अध्यक्षता की?

U.P. Lower Sub. (Pre) 2003, 2004

(A) 1902
(B) 1905
(C) 1906
(D) 1909

उत्तर एवं व्याख्या


उत्तर – (B) 1905

  • गोपाल कृष्ण गोखले ने 1905 में कांग्रेस के बनारस अधिवेशन की अध्यक्षता की थी।

  • यह समय कांग्रेस में नरमपंथी और उग्रपंथी विचारधाराओं के विभाजन का था।

  • गोखले नरमपंथी विचारधारा के प्रतिनिधि माने जाते थे।

  • उन्होंने अंग्रेजी शासन में संवैधानिक सुधार, शिक्षा और प्रशासनिक सहभागिता पर बल दिया।

  • उन्होंने ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना की जो राष्ट्रीय सेवा और शिक्षा को बढ़ावा देती थी।


3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1905 के बनारस अधिवेशन का अध्यक्ष कौन था?

U.P. P.C.S. (Pre) 1999

(A) सुरेंद्रनाथ बनर्जी
(B) फिरोजशाह मेहता
(C) गोपाल कृष्ण गोखले
(D) दिनशा वाचा

उत्तर एवं व्याख्या


उत्तर – (C) गोपाल कृष्ण गोखले

  • 1905 में कांग्रेस का अधिवेशन बनारस में आयोजित हुआ था।

  • इस अधिवेशन की अध्यक्षता गोपाल कृष्ण गोखले ने की।

  • यह समय था जब विरोध के स्वर और विभाजन की आशंकाएं कांग्रेस में उभर रही थीं।

  • गोखले एक उदारवादी और नरमपंथी नेता के रूप में कांग्रेस के भीतर संतुलन बनाए रखने में सफल रहे।

  • वे ब्रिटिश शासन में सुधार और भारतीय सहभागिता के समर्थक थे।


4. निम्नलिखित में से किस नेता ने 1906 में कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की थी?

44th B.P.S.C. (Pre) 2000

(A) बाल गंगाधर तिलक
(B) गोपाल कृष्ण गोखले
(C) अरबिंद घोष
(D) दादाभाई नौरोजी

उत्तर एवं व्याख्या


उत्तर – (D) दादाभाई नौरोजी

  • 1906 में कलकत्ता अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण था।

  • कांग्रेस में उस समय नरमपंथियों और गरमपंथियों के बीच तीव्र वैचारिक मतभेद उभर चुके थे।

  • विभाजन की स्थिति उत्पन्न हो रही थी, लेकिन दादाभाई नौरोजी जैसे विश्वसनीय और आदरणीय नेता के अध्यक्ष बनने से पार्टी को अस्थायी एकता मिली।

  • इसी अधिवेशन में उन्होंने पहली बार “स्वराज्य” (Self-Government) की मांग को कांग्रेस मंच से उठाया।

  • नौरोजी ब्रिटिश राज्य के भीतर भारत को अधिकार देने के पक्षधर थे और संवैधानिक सुधारों पर जोर देते थे।


5. कांग्रेस ने ‘स्वराज’ प्रस्ताव वर्ष 1905 में पारित किया। प्रस्ताव का उद्देश्य था-

53rd to 55th B.P.S.C. (Pre) 2011

(A) अपने लिए संविधान बनाने का अधिकार, परंतु ऐसा नहीं हुआ
(B) स्व-शासन सुनिश्चित करना
(C) उत्तरदायी सरकार
(D) स्वयं की सरकार

उत्तर एवं व्याख्या


उत्तर – (B) स्व-शासन सुनिश्चित करना

  • कांग्रेस ने 1905 में बनारस अधिवेशन में पहली बार ‘स्वराज’ (Self-rule) पर चर्चा की।

  • वर्ष 1906 के कलकत्ता अधिवेशन में इसे कांग्रेस की राष्ट्रीय मांग के रूप में पारित किया गया।

  • इसका उद्देश्य था भारत के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर ही एक उत्तरदायी स्व-शासी शासन की स्थापना।

  • इसी अधिवेशन में स्वदेशी, बहिष्कार और राष्ट्रीय शिक्षा जैसे प्रस्ताव भी पारित हुए।


6. स्वराज को बतौर राष्ट्रीय मांग के रूप में सर्वप्रथम रखा था-

Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2002

(A) बी. जी. तिलक ने
(B) सी. आर. दास ने
(C) दादाभाई नौरोजी ने
(D) महात्मा गांधी ने

उत्तर एवं व्याख्या


उत्तर – (C) दादाभाई नौरोजी

  • 1906 के कलकत्ता अधिवेशन में दादाभाई नौरोजी ने पहली बार कांग्रेस के मंच से “स्वराज” की मांग रखी।

  • उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वराज का अर्थ है — ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत ही भारतीयों की स्वशासी सरकार।

  • उनके भाषण ने कांग्रेस के नरम और गरम दलों के बीच की खाई को अस्थायी रूप से पाटने का कार्य किया।

  • दादाभाई नौरोजी को उनके राष्ट्रवादी विचारों और कांग्रेस में सन्तुलन बनाने की भूमिका के लिए “ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया” कहा जाता है।


7. कांग्रेस के मंच से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में प्रथम बार ‘स्वराज’ शब्द व्यक्त किया गया था?

U.P.P.C.S. (Pre) 2014

(A) बनारस अधिवेशन, 1905
(B) कलकत्ता अधिवेशन, 1906
(C) सूरत अधिवेशन, 1907
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर एवं व्याख्या


उत्तर – (B) कलकत्ता अधिवेशन, 1906

  • 1906 के कलकत्ता अधिवेशन में दादाभाई नौरोजी ने कांग्रेस के मंच से पहली बार ‘स्वराज’ शब्द को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त किया।

  • उन्होंने स्वराज की व्याख्या करते हुए कहा कि इसका तात्पर्य है – ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत भारतीयों की स्वशासी सरकार।

  • यद्यपि इस प्रश्न के उत्तर को बाद में निरस्त कर दिया गया था, पर ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार 1906 का कलकत्ता अधिवेशन ही सही उत्तर है।

  • इस अधिवेशन में नरमपंथियों और गरमपंथियों के बीच मतभेद भी स्पष्ट हुए थे, जिसे दादाभाई नौरोजी के नेतृत्व ने संतुलित किया।


8. ‘स्वराज’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया?

U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2013

(A) बाल गंगाधर तिलक ने
(B) लाला लाजपत राय ने
(C) एस. सी. बोस ने
(D) महात्मा गांधी ने

उत्तर एवं व्याख्या


उत्तर – (A) बाल गंगाधर तिलक ने

  • बाल गंगाधर तिलक ने “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा” का नारा देकर स्वराज को एक लोकप्रिय राजनीतिक लक्ष्य बना दिया।

  • यद्यपि ‘स्वराज’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग महर्षि दयानंद सरस्वती ने किया था, लेकिन राजनीतिक संदर्भ में इसका प्रयोग सबसे पहले तिलक ने ही किया।

  • उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलनों की अगुवाई करते हुए स्वशासन की मांग को बल दिया।

  • उनके विचारों ने कांग्रेस के गरमपंथी दल को मजबूती दी और स्वतंत्रता आंदोलन को नया मोड़ दिया।


9. दादाभाई नौरोजी आमतौर पर किस नाम से जाने जाते थे?

U.P. P.C.S. (Pre) 1991

(A) पंजाब केसरी
(B) गुजरात रत्न
(C) गुरुदेव
(D) ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया

उत्तर एवं व्याख्या


उत्तर – (D) ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया

  • दादाभाई नौरोजी को श्रद्धा से ‘ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया’ कहा जाता है।

  • वे भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के सबसे वरिष्ठ और आदरणीय नेताओं में से एक थे।

  • 1892 में वे पहले भारतीय बने, जिन्हें ब्रिटिश संसद में चुना गया (फिंसबरी से उदारवादी पार्टी के टिकट पर)।

  • वे 1886, 1893 और 1906 में कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।

  • गोखले ने उनके बारे में कहा था – “यदि मनुष्य में कहीं देवत्व है, तो वह दादाभाई में है।

  • उन्होंने ड्रेन थ्योरी (भारत से धन की निकासी का सिद्धांत) प्रस्तुत कर ब्रिटिश शासन की आर्थिक नीतियों का पर्दाफाश किया।


10. भारत में ‘ग्रैंड ओल्ड मैन’ की संज्ञा किसे दी जाती है?

Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2007

(A) दादाभाई नौरोजी
(B) गोपाल कृष्ण गोखले
(C) रमेश चंद्र बनर्जी
(D) सर सैयद अहमद खां

उत्तर एवं व्याख्या


उत्तर – (A) दादाभाई नौरोजी

  • ‘ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया’ की उपाधि दादाभाई नौरोजी को दी गई थी।

  • यह उपाधि उनके दीर्घ और निःस्वार्थ राजनीतिक जीवन, राष्ट्र के प्रति समर्पण और नेतृत्व क्षमता को दर्शाने के लिए दी गई।

  • वे राष्ट्रीय आंदोलन के एक मार्गदर्शक के रूप में देखे जाते थे, जिनकी प्रेरणा से आने वाली पीढ़ियों ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया।

  • उनका योगदान राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में अतुलनीय रहा।


11. इनमें से किसे ‘दि ग्रैंड ओल्ड मैन’ के नाम से जाना जाता है?

U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2014

(A) खान अब्दुल गफ्फार खां
(B) डब्ल्यू.सी. बनर्जी
(C) दादाभाई नौरोजी
(D) मोतीलाल नेहरू

उत्तर एवं व्याख्या


उत्तर – (C) दादाभाई नौरोजी

  • दादाभाई नौरोजी को भारत में श्रद्धा से “दि ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया” कहा जाता है।

  • यह उपाधि उनके दीर्घ, निःस्वार्थ एवं प्रेरणादायक सार्वजनिक जीवन और भारतीय राष्ट्रवाद में उनके योगदान को सम्मान देने हेतु दी गई थी।

  • वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तीन बार अध्यक्ष, ब्रिटिश संसद के पहले भारतीय सदस्य तथा भारतीय आर्थिक सोच के जनक माने जाते हैं।


12. निम्नलिखित में से कौन कथन दादाभाई नौरोजी के विषय में सत्य नहीं है?

U.P. Lower Sub. (Pre) 2008

(A) उन्होंने ‘Poverty and Un-British Rule in India’ पुस्तक लिखी थी।
(B) उन्होंने गुजराती के प्रोफेसर के रूप में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कार्य किया था।
(C) उन्होंने बंबई में महिला शिक्षा की नींव रखी थी।
(D) वे ब्रिटिश पार्लियामेंट के सदस्य के रूप में अनुदारवादी पार्टी के टिकट पर चुने गए थे।

उत्तर एवं व्याख्या


उत्तर – (D) वे ब्रिटिश पार्लियामेंट के सदस्य के रूप में अनुदारवादी पार्टी के टिकट पर चुने गए थे।

  • सत्य कथन:

    • (A) उन्होंने प्रसिद्ध पुस्तक ‘Poverty and Un-British Rule in India’ लिखी जिसमें ड्रेन थ्योरी (भारत से धन निकासी) का प्रतिपादन किया।

    • (B) वे यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में गुजराती भाषा के प्रोफेसर रहे।

    • (C) उन्होंने बंबई में महिला शिक्षा को प्रोत्साहन दिया और इसके लिए प्रयास किए।

  • असत्य कथन:

    • (D) दादाभाई नौरोजी को 1892 में ब्रिटिश संसद में उदारवादी पार्टी (Liberal Party) के टिकट पर चुना गया था, न कि अनुदारवादी (Conservative Party) से।


13. दादाभाई नौरोजी के विषय में निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन असत्य है?

U.P.P.C.S. (Pre) 2014

(A) वह पहले भारतीय थे, जो एलफिंस्टन कॉलेज, बंबई में गणित एवं भौतिकी के प्रोफेसर नियुक्त हुए थे।
(B) 1892 में उन्हें ब्रिटिश पार्लियामेंट का एक सदस्य निर्वाचित किया गया था।
(C) उन्होंने एक गुजराती पत्रिका, ‘रास्त गोफ्तार’ का आरंभ किया था।
(D) उन्होंने चार बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षता की थी।

उत्तर एवं व्याख्या


उत्तर – (D) उन्होंने चार बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षता की थी।

  • सत्य कथन:

    • (A) दादाभाई नौरोजी एलफिंस्टन कॉलेज, बंबई में गणित और भौतिकी के पहले भारतीय प्रोफेसर बने।

    • (B) वे 1892 में ब्रिटिश संसद में फिंसबरी ईस्ट से उदारवादी पार्टी के टिकट पर चुने गए।

    • (C) उन्होंने 1851 में ‘रास्त गोफ्तार’ नामक गुजराती पत्रिका की शुरुआत की।

  • असत्य कथन:

    • (D) उन्होंने कांग्रेस की तीन बार (1886, 1893, 1906) अध्यक्षता की थी, न कि चार बार।


14. ब्रिटिश पार्लियामेंट में चुना जाने वाला प्रथम भारतीय कौन था?

U.P.P.C.S. (Pre) 1992

(A) रास बिहारी बोस
(B) सुरेंद्रनाथ बनर्जी
(C) दादाभाई नौरोजी
(D) विट्ठलभाई पटेल

उत्तर एवं व्याख्या


उत्तर – (C) दादाभाई नौरोजी

  • दादाभाई नौरोजी पहले भारतीय थे जो 1892 में ब्रिटिश संसद (हाउस ऑफ कॉमन्स) में फिंसबरी ईस्ट सीट से उदारवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में निर्वाचित हुए।

  • उन्होंने अपने संसदीय कार्यकाल में भारत से होने वाली धन निकासी (Drain of Wealth) और अन्य शोषण की नीतियों पर ब्रिटिश संसद में प्रभावशाली भाषण दिए।

  • उन्होंने लंदन इंडियन सोसाइटी (1865) और ईस्ट इंडिया एसोसिएशन (1866) की स्थापना कर ब्रिटेन में भारतीय मुद्दों की वकालत की।


15. नरम दल और गरम दल के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का विभाजन किस अधिवेशन में हुआ?

U.P.P.C.S. (Pre) 1990

(a) बंबई
(b) सूरत
(c) इलाहाबाद
(d) लाहौर

उत्तर व व्याख्या


उत्तर – (b) सूरत

  • वर्ष 1907 में कांग्रेस का 23वां अधिवेशन सूरत में हुआ।

  • इस अधिवेशन में कांग्रेस दो भागों में बंट गई: उदारवादी (नरम दल) और उग्रवादी (गरम दल)

  • गरमपंथी लाला लाजपत राय को अध्यक्ष बनाना चाहते थे, जबकि उदारपंथी रास बिहारी घोष को।

  • अध्यक्ष पद को लेकर मतभेद इतना बढ़ा कि अधिवेशन विवाद और हाथापाई में बदल गया।

  • परिणामस्वरूप कांग्रेस में पहली बार विभाजन हो गया, जो राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना बनी।


16. भारतीय कांग्रेस कहां पर उदारवादियों एवं उग्रवादियों दो भागों में विभाजित हो गई?

U.P.P.C.S. (Mains) 2012

(a) सूरत अधिवेशन, 1907
(b) लाहौर अधिवेशन, 1909
(c) कलकत्ता अधिवेशन, 1911
(d) कराची अधिवेशन, 1913

उत्तर व व्याख्या


उत्तर – (a) सूरत अधिवेशन, 1907

  • सूरत अधिवेशन, 1907 भारतीय कांग्रेस के इतिहास का एक टर्निंग पॉइंट था।

  • इसी अधिवेशन में कांग्रेस के भीतर विचारधारात्मक संघर्ष खुलकर सामने आया।

  • उदारवादी और उग्रवादी नेताओं के बीच स्वराज, स्वदेशी, बहिष्कार और राष्ट्रीय शिक्षा जैसे मुद्दों पर मतभेद थे।

  • अंततः यह मतभेद विभाजन में बदल गया और गरम दल को कांग्रेस से अलग कर दिया गया

  • यह घटना आगे चलकर क्रांतिकारी आंदोलनों के उभार का कारण बनी।


17. 1907 के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सूरत के वार्षिक अधिवेशन के अध्यक्ष थे-

U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2010, U.P.P.C.S. (Mains) 2007

(a) दादाभाई नौरोजी
(b) बाल गंगाधर तिलक
(c) गोपाल कृष्ण गोखले
(d) आर.बी. घोष

उत्तर व व्याख्या


उत्तर – (d) आर.बी. घोष

  • सूरत अधिवेशन, 1907 में कांग्रेस दो गुटों में बंट गई — उदारवादी और उग्रवादी

  • इस अधिवेशन में रास बिहारी घोष को अध्यक्ष चुना गया था, जबकि गरम दल लाला लाजपत राय को अध्यक्ष बनाना चाहता था।

  • अंततः अध्यक्ष पद और विचारधाराओं को लेकर हुए मतभेदों के चलते अधिवेशन में खुले संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गई और कांग्रेस में पहला विभाजन हो गया।

  • रास बिहारी घोष उस अधिवेशन के अध्यक्ष थे, इसलिए सही उत्तर (d) है।


18. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वर्ष 1906 में विख्यात कलकत्ता अधिवेशन में चार संकल्प पारित किए गए थे। सूरत में 1907 में हुए कांग्रेस के अगले अधिवेशन में इन चारों संकल्पों को स्वीकार करने अथवा उन्हें अस्वीकृत करने के प्रश्न पर कांग्रेस में विभाजन हो गया था। निम्नलिखित में से कौन-सा एक संकल्प इन चारों संकल्पों में नहीं था?

I.A.S. (Pre) 2010

(a) बंगाल के विभाजन को रद्द करना
(b) बहिष्कार (बॉयकॉट)
(c) राष्ट्रीय शिक्षा
(d) स्वदेशी

उत्तर व व्याख्या


उत्तर – (a) बंगाल के विभाजन को रद्द करना

  • 1906 के कलकत्ता अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चार प्रमुख संकल्प पारित किए थे:

    1. स्वराज

    2. स्वदेशी

    3. बहिष्कार (Boycott)

    4. राष्ट्रीय शिक्षा

  • इन संकल्पों को गरम दल ने बढ़-चढ़कर समर्थन दिया जबकि नरम दल कुछ हद तक इन्हें सीमित रूप में अपनाना चाहता था।

  • बंगाल विभाजन का विरोध एक व्यापक आंदोलन था लेकिन यह चार पारित संकल्पों में औपचारिक रूप से शामिल नहीं था।

  • इसलिए विकल्प (a) इन चार संकल्पों में नहीं आता।


19. बीसवीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में कांग्रेस में विभाजन की प्रक्रिया शुरू हुई-

56th to 59th B.P.S.C. (Pre) 2015

(a) कांग्रेस आंदोलन की रणनीतियों पर
(b) कांग्रेस आंदोलन के उद्देश्यों पर
(c) कांग्रेस आंदोलन में लोगों की भागीदारी पर
(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर व व्याख्या


उत्तर – (d) उपर्युक्त सभी

  • बीसवीं सदी के प्रारंभ में कांग्रेस में रणनीति, उद्देश्य और जनभागीदारी को लेकर मतभेद उभरने लगे थे।

  • नरमपंथी नेतृत्व ने जन आंदोलन को प्राथमिकता नहीं दी और अंग्रेजों से विनम्र याचना की नीति अपनाई।

  • गरमपंथी नेता जैसे तिलक, बिपिन चंद्र पाल और लाला लाजपत राय जन आंदोलन और सीधा संघर्ष चाहते थे।

  • मतभेद गहरे होते गए और यह सब अंततः 1907 के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस के विभाजन में परिणत हुआ।


20. निम्न कथनों को पढ़कर सही विकल्प चुनें –

Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2021

कथन-I: 1907 में कांग्रेस वार्षिक अधिवेशन की अध्यक्षता रास बिहारी घोष ने की थी।
कथन-II: इस अधिवेशन में कांग्रेस दो गुटों (चरम पंथी एवं नरम पंथी) में विभाजित हो गई।
कथन-III: 1916 में वार्षिक अधिवेशन में कांग्रेस के दो गुट, चरम पंथी और नरम पंथी का विलय हो गया। इस अधिवेशन की अध्यक्षता एस.पी. सिन्हा ने की।

(a) कथन- I, II, III सभी सही हैं।
(b) कथन- I, II, III सभी गलत हैं।
(c) कथन- I, II सही हैं, किंतु कथन- III गलत है।
(d) कथन- I, II गलत हैं, किंतु कथन- III सही है।

उत्तर व व्याख्या


उत्तर – (c) कथन- I, II सही हैं, किंतु कथन- III गलत है।

  • कथन-I सही है: 1907 के सूरत अधिवेशन की अध्यक्षता रास बिहारी घोष ने की थी।

  • कथन-II सही है: इसी अधिवेशन में कांग्रेस गरम दल और नरम दल में विभाजित हो गई थी।

  • कथन-III गलत है: 1916 के लखनऊ अधिवेशन में दोनों गुटों का पुनर्मिलन हुआ, लेकिन अध्यक्ष अंबिका चरण मजूमदार थे, न कि एस.पी. सिन्हा।


21. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में ‘सूरत की फूट’ हुई थी-

Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2003

(a) 1905 में
(b) 1906 में
(c) 1907 में
(d) 1908 में

उत्तर व व्याख्या


उत्तर – (c) 1907 में

  • 1907 के सूरत अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में पहली बार औपचारिक विभाजन हुआ।

  • यह अधिवेशन ताप्ती नदी के किनारे आयोजित हुआ था।

  • गरम दल का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक ने किया, जबकि नरम दल रास बिहारी घोष के नेतृत्व में था।

  • मुख्य विवाद कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव और चार प्रस्तावों (स्वदेशी, बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा, स्वराज) को लेकर हुआ।


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