Formation of Swaraj Party (1923) Previous Year Questions

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स्वराज पार्टी का गठन (1923)

1. भारत में स्वराज पार्टी की स्थापना निम्नलिखित कारणों में से एक अथवा अधिक के लिए की गई थी–

  1. गांधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन वापस लेना

  2. काउंसिलों में प्रवेश कर तथा उन्हें काम न करने देकर 1919 के भारत शासन अधिनियम का उच्छेदन करना

  3. ब्रिटिश सरकार द्वारा दमन

  4. भारतीयों द्वारा इस आशय की अनुभूति कि उन्हें प्रशासन का अनुभव प्राप्त करना चाहिए

कूट :

[U.P Lower Sub. (Pre) 1998]

(a) 1 केवल
(b) 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) 1, 3 और 4

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उत्तर- (b) 1 और 2

स्वराज पार्टी की स्थापना 1923 में सी.आर. दास और मोतीलाल नेहरू द्वारा की गई थी। इसके पीछे दो प्रमुख कारण थे –

  1. गांधीजी द्वारा 1922 में असहयोग आंदोलन वापस लेना, जिससे राजनीतिक कार्यकर्ताओं में निराशा फैल गई।

  2. विधानमंडलों में प्रवेश कर 1919 के भारत शासन अधिनियम को निष्प्रभावी बनाना।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
ब्रिटिश दमन और प्रशासनिक अनुभव प्राप्त करने की बात यद्यपि महत्त्वपूर्ण थी, पर ये सीधे स्थापना के तात्कालिक कारण नहीं थे।


2. निम्न में किसने स्वराज पार्टी निर्माण करने के लिए कांग्रेस के अध्यक्ष पद से त्याग-पत्र दिया था?

[U.P. P.C.S. (Spl.) (Pre) 2004]

(a) सी.आर. दास
(b) मोतीलाल नेहरू
(c) विट्ठलभाई पटेल
(d) फिरोजशाह मेहता

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उत्तर- (a) सी.आर. दास

सी.आर. दास वर्ष 1922 में गया कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे। जब उनकी काउंसिल प्रवेश की नीति को कांग्रेस ने अस्वीकार कर दिया, तो उन्होंने अध्यक्ष पद से त्याग-पत्र दे दिया और मोतीलाल नेहरू के साथ मिलकर जनवरी 1923 में स्वराज पार्टी की स्थापना की।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • मोतीलाल नेहरू सह-संस्थापक थे, लेकिन अध्यक्ष नहीं थे।

  • विट्ठलभाई पटेल बाद में पार्टी से जुड़े लेकिन स्थापना में नहीं।

  • फिरोजशाह मेहता का इससे कोई संबंध नहीं था, वे प्रारंभिक कांग्रेस नेता थे।

3. स्वराज पार्टी का गठन ………. की असफलता के बाद हुआ।

[43rd B.P.S.C. (Pre) 1999]

(a) असहयोग आंदोलन
(b) भारत छोड़ो आंदोलन
(c) सिविल नाफर्मानी आंदोलन
(d) स्वदेशी आंदोलन

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उत्तर- (a) असहयोग आंदोलन

स्वराज पार्टी की स्थापना जनवरी 1923 में सी.आर. दास और मोतीलाल नेहरू ने असहयोग आंदोलन की असफलता के बाद की थी। जब चौरी-चौरा कांड के बाद गांधीजी ने असहयोग आंदोलन को स्थगित कर दिया, तो अनेक नेताओं में राजनीतिक निराशा उत्पन्न हुई। इसी पृष्ठभूमि में कांग्रेस के अंदर एक समूह ने काउंसिलों में प्रवेश कर सरकार के भीतर से विरोध करने का मार्ग चुना और स्वराज पार्टी (या कांग्रेस-खिलाफत स्वराज पार्टी) का गठन किया।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • भारत छोड़ो आंदोलन – 1942

  • सविनय अवज्ञा आंदोलन – 1930

  • स्वदेशी आंदोलन – 1905


4. स्वराज दल की स्थापना असफलता के बाद हुई–

[Bihar P.C.S. (Pre) 2016]

(a) असहयोग आंदोलन
(b) सविनय अवज्ञा आंदोलन
(c) रौलेट बिल सत्याग्रह
(d) चंपारण सत्याग्रह
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं / उपर्युक्त में से एक से अधिक

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उत्तर- (a) असहयोग आंदोलन

असहयोग आंदोलन की वापसी (1922) के बाद कांग्रेस के भीतर दो विचारधाराएँ उभरीं। एक वर्ग गांधीजी की सीधी कार्यवाही नीति के साथ बना रहा, जबकि दूसरे वर्ग ने संवैधानिक साधनों द्वारा ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए विधानमंडलों में प्रवेश का मार्ग चुना। इसी विचार के तहत 1923 में स्वराज दल की स्थापना हुई।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • रौलेट सत्याग्रह (1919),

  • चंपारण सत्याग्रह (1917),

  • सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) – ये घटनाएं स्वराज दल से पूर्व की या बाद की थीं।

5. स्वराज पार्टी को संस्थापित किया था–

[U.P Lower Sub. (Pre) 1998, Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2002, M.P. P.C.S. (Pre) 2006, Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2007]

(a) बाल गंगाधर तिलक तथा महात्मा गांधी ने
(b) बिपिन चंद्र पाल तथा लाला लाजपत राय ने
(c) सी.आर. दास तथा मोतीलाल नेहरू ने
(d) सरदार पटेल तथा राजेंद्र प्रसाद ने

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उत्तर- (c) सी.आर. दास तथा मोतीलाल नेहरू ने

स्वराज पार्टी की स्थापना जनवरी 1923 में सी.आर. दास और मोतीलाल नेहरू ने की थी। इसका उद्देश्य था भारत सरकार अधिनियम 1919 द्वारा गठित काउंसिलों में प्रवेश करना और वहाँ से सरकार की नीतियों का विरोध करना। इस पार्टी ने खुद को कांग्रेस का हिस्सा बताया और संविधान के अंदर रहते हुए असहयोग की नीति अपनाई।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • बाल गंगाधर तिलक का निधन 1920 में हो गया था।

  • बिपिन चंद्र पाल और लाजपत राय इससे जुड़े नहीं थे।

  • सरदार पटेल और राजेंद्र प्रसाद पार्टी के सदस्य नहीं थे।


6. 1923 में स्वराज पार्टी का गठन किसने किया?

[U.P.P.C.S. (Pre), अन्य परीक्षाओं में पूछा गया प्रश्न]

(a) महात्मा गांधी
(b) वल्लभ भाई पटेल
(c) सी.आर. दास व मोतीलाल नेहरू
(d) बी.आर. अम्बेडकर
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं / उपर्युक्त में से एक से अधिक

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उत्तर- (c) सी.आर. दास व मोतीलाल नेहरू

1923 में गांधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन की वापसी के बाद, कांग्रेस के भीतर दो मत बने। एक ओर गांधीवादी सीधी कार्यवाही के पक्ष में थे, वहीं सी.आर. दास और मोतीलाल नेहरू ने संविधानिक संस्थाओं के भीतर से संघर्ष की नीति अपनाई। इसी दृष्टिकोण से उन्होंने स्वराज पार्टी की स्थापना की।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • महात्मा गांधी ने इसकी स्थापना नहीं की, बल्कि शुरुआत में इसका समर्थन भी नहीं किया।

  • वल्लभ भाई पटेल और डॉ. अम्बेडकर की इसमें कोई भूमिका नहीं थी।

7. ‘स्वराज दल’ की स्थापना किसने की?

[53rd to 55th B.P.S.C. (Pre) 2011]

(a) तिलक एवं चित्तरंजन दास
(b) गांधी एवं मोतीलाल नेहरू
(c) गांधी एवं तिलक
(d) चित्तरंजन दास एवं मोतीलाल नेहरू

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उत्तर- (d) चित्तरंजन दास एवं मोतीलाल नेहरू

‘स्वराज दल’ की स्थापना जनवरी 1923 में चित्तरंजन दास और मोतीलाल नेहरू ने की थी। असहयोग आंदोलन की वापसी और गांधीजी की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस के भीतर असंतोष बढ़ा। इस दल का उद्देश्य था विधान परिषदों में प्रवेश कर ब्रिटिश सरकार को अंदर से बाधित करना और 1919 के अधिनियम का विरोध करना।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • तिलक का निधन 1920 में हो गया था।

  • गांधीजी स्वराज दल के गठन में शामिल नहीं थे।


8. निम्न में से कौन ‘स्वराज पार्टी’ के गठन से संबंधित थे?

  1. सुभाष चंद्र बोस

  2. सी.आर. दास

  3. जवाहरलाल नेहरू

  4. मोतीलाल नेहरू

कूट :

[U.P. P.C.S. (Pre) 1998]

(a) 1, 2, 3 तथा 4
(b) 1, 2 तथा 3
(c) 2 तथा 3
(d) 2 तथा 4

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उत्तर- (d) 2 तथा 4

स्वराज पार्टी का गठन मुख्य रूप से सी.आर. दास और मोतीलाल नेहरू द्वारा किया गया था। इन दोनों ने असहयोग आंदोलन की वापसी के बाद वैधानिक संस्थाओं में प्रवेश कर सरकार का विरोध करने की रणनीति बनाई।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • सुभाष चंद्र बोस और जवाहरलाल नेहरू उस समय युवा नेता थे और पार्टी की स्थापना में उनकी कोई भूमिका नहीं थी, हालांकि वे बाद में इससे जुड़े विचारधारा से प्रभावित हुए।

9. मोतीलाल नेहरू और सी. आर. दास द्वारा 1923 ई. में गठित पार्टी का नाम क्या था?

[U.P.P.C.S. (Pre) 2016]

(a) इंडिपेंडेंस पार्टी
(b) गदर पार्टी
(c) स्वराज पार्टी
(d) इंडियन नेशनल पार्टी

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उत्तर- (c) स्वराज पार्टी

मोतीलाल नेहरू और चितरंजन दास ने 1923 में ‘स्वराज पार्टी’ की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य था ब्रिटिश विधान परिषदों में प्रवेश कर संवैधानिक रूप से विरोध करना और सरकार को नींव से हिलाना। उन्होंने इसे कांग्रेस का ही एक अंग बताया और आंदोलन की बजाय परिषदों के भीतर से संघर्ष की नीति अपनाई।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • इंडिपेंडेंस पार्टी: इस नाम की कोई प्रमुख पार्टी नहीं थी।

  • गदर पार्टी: यह क्रांतिकारी संगठन था, जो विदेशों से चलाया जाता था।

  • इंडियन नेशनल पार्टी: ऐसा कोई ऐतिहासिक दल नहीं था।


10. मोतीलाल नेहरू स्वराज दल के नेता थे। निम्न में से कौन दल में नहीं था?

[U.P. P.C.S. (Pre) 1993, 1991]

(a) श्रीनिवास आयंगर
(b) चितरंजन दास
(c) विट्ठलभाई पटेल
(d) सी. राजगोपालाचारी

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उत्तर- (d) सी. राजगोपालाचारी

सी. राजगोपालाचारी स्वराज दल के नेता नहीं थे। उन्होंने कांग्रेस के भीतर उस धड़े का नेतृत्व किया जो काउंसिल प्रवेश का विरोध कर रहा था। गया अधिवेशन (1922) में उनके नेतृत्व में परिषद प्रवेश प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया, जिससे नाराज होकर सी.आर. दास और मोतीलाल नेहरू ने स्वराज दल की स्थापना की।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • श्रीनिवास आयंगर: मद्रास प्रांत में स्वराज पार्टी के संस्थापक नेता थे।

  • चितरंजन दास: पार्टी के अध्यक्ष थे।

  • विट्ठलभाई पटेल: 1925 में केंद्रीय विधानमंडल के अध्यक्ष चुने गए, जो स्वराज दल की बड़ी उपलब्धि थी।

11. निम्न में से कौन एक स्वराज पार्टी से संबंधित नहीं थे?

[U.P.P.C.S. (Mains) 2014]

(a) मोतीलाल नेहरू
(b) सी.आर. दास
(c) एन.सी. केलकर
(d) राजेंद्र प्रसाद

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उत्तर- (d) राजेंद्र प्रसाद

डॉ. राजेंद्र प्रसाद स्वराज पार्टी से संबंधित नहीं थे। वे गांधीजी की विचारधारा के कट्टर समर्थक थे और काउंसिल प्रवेश के विरोधी गुट में थे। गया अधिवेशन (1922) में उन्होंने परिषद बहिष्कार के पक्ष में मतदान किया था।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • मोतीलाल नेहरू और सी.आर. दास स्वराज पार्टी के संस्थापक थे।

  • एन.सी. केलकर महाराष्ट्र में स्वराज पार्टी के प्रमुख नेता थे।


12. बिहार में स्वराज दल का गठन किसने किया?

[65th B.P.S.C. (Pre) 2019]

(a) श्रीकृष्ण सिंह
(b) रामलाल शाह
(c) बंकिम चंद्र मित्र
(d) शचीन्द्रनाथ सान्याल
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं / उपर्युक्त में से एक से अधिक

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उत्तर- (a) श्रीकृष्ण सिंह

बिहार में स्वराज पार्टी की शाखा की स्थापना श्रीकृष्ण सिंह (बिहार केसरी) द्वारा की गई थी। वे असहयोग आंदोलन के बाद कांग्रेस के अंदर परिषद प्रवेश की रणनीति से सहमत थे और उन्होंने बिहार में इस पार्टी को संगठित किया।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • रामलाल शाह, बंकिम चंद्र मित्र और शचीन्द्रनाथ सान्याल इस संदर्भ में उल्लेखनीय नहीं थे।

  • सान्याल क्रांतिकारी थे, स्वराज दल से प्रत्यक्ष नहीं जुड़े।

13. निम्नलिखित घटनाओं का सही कालक्रम चुनिए–

(i) लखनऊ समझौता
(ii) स्वराज दल की स्थापना
(iii) जलियांवाला हत्याकांड
(iv) बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु

[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2018]

(a) (i), (iv), (iii) एवं (ii)
(b) (iv), (iii), (i) एवं (ii)
(c) (i), (iii), (iv) एवं (ii)
(d) (i), (ii), (iii) एवं (iv)

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उत्तर- (c) (i), (iii), (iv) एवं (ii)

घटनाओं का सही कालक्रम निम्न है:

  • लखनऊ समझौता – 1916

  • जलियांवाला बाग हत्याकांड – 13 अप्रैल 1919

  • बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु – 1 अगस्त 1920

  • स्वराज दल की स्थापना – जनवरी 1923

इस प्रकार विकल्प (c) सही क्रम को दर्शाता है।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
अन्य विकल्पों में घटनाओं की तिथियाँ गड़बड़ हैं या गलत क्रम में हैं।


14. स्वतंत्रता पूर्व भारत में निम्नलिखित में से किसने केंद्रीय विधानसभा में स्वराज दल का समर्थन किया था?

[U.P. P.C.S. (Pre) 2017]

(a) एम.ए. जिन्ना
(b) मौलाना अबुल कलाम आजाद
(c) डॉ. राजेंद्र प्रसाद
(d) जवाहरलाल नेहरू

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उत्तर- (a) एम.ए. जिन्ना

स्वराज पार्टी की 1923 में केंद्रीय विधानसभा चुनावों में उल्लेखनीय सफलता के बाद, उसमें विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं के नेताओं का समर्थन मिला। एम.ए. जिन्ना, जो उस समय एक उदारवादी और संवैधानिक रास्ते के समर्थक थे, उन्होंने भी केंद्रीय विधानमंडल में स्वराज पार्टी का समर्थन किया। वे उस साझा मोर्चे में शामिल थे जिसमें मदन मोहन मालवीय जैसे नेता भी थे।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • मौलाना आजाद, नेहरू और राजेंद्र प्रसाद गांधीवादी थे और स्वराज दल से प्रत्यक्ष रूप से नहीं जुड़े थे।

15. निम्नलिखित में से कौन ‘देशबंधु’ के नाम से प्रसिद्ध है?

[U.P. P.C.S. (Mains) 2006]

(a) चंद्रशेखर
(b) चितरंजन दास
(c) ए.ओ. ह्यूम
(d) एनी बेसेंट

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उत्तर- (b) चितरंजन दास

चितरंजन दास को ‘देशबंधु’ की उपाधि दी गई थी, जिसका अर्थ होता है “राष्ट्र का मित्र” (Friend of the Nation)। वे एक कुशल वकील, स्वतंत्रता सेनानी और प्रखर वक्ता थे। उन्होंने अलीपुर बम कांड में अरविंद घोष का सफलतापूर्वक बचाव किया था। 1923 में उन्होंने मोतीलाल नेहरू के साथ मिलकर स्वराज पार्टी की स्थापना की और जनसाधारण के लिए राजनीतिक मंच तैयार किया।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • चंद्रशेखर एक स्वतंत्रता सेनानी और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री थे।

  • ए.ओ. ह्यूम – कांग्रेस के संस्थापक में से एक थे, पर विदेशी थे।

  • एनी बेसेंट – थियोसोफिकल सोसाइटी और होमरूल आंदोलन से जुड़ी थीं।


16. “स्वराज आम जनता के लिए होना चाहिए, केवल वर्गों के लिए नहीं” – इस प्रसिद्ध सूत्र की घोषणा किसने की?

[42nd B.P.S.C. (Pre) 1997]

(a) सी.आर. दास ने
(b) सी. राजगोपालाचारी ने
(c) मोतीलाल नेहरू ने
(d) गोपीनाथ साहा ने

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उत्तर- (a) सी.आर. दास ने

देशबंधु चितरंजन दास ने यह घोषणा की थी कि स्वराज केवल उच्च वर्ग या शिक्षित वर्ग के लिए नहीं, बल्कि आम जनता के लिए भी होना चाहिए। उनका यह कथन भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को जन आंदोलन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण विचार था। वे एक ऐसे स्वराज की कल्पना करते थे जिसमें गरीब, किसान, श्रमिक सभी शामिल हों।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • सी. राजगोपालाचारी – गांधीवादी नेता थे, पर यह कथन उनसे नहीं जुड़ा।

  • मोतीलाल नेहरू – सह-संस्थापक थे लेकिन यह सूत्र वाक्य उनका नहीं था।

  • गोपीनाथ साहा – एक क्रांतिकारी थे, परंतु वैचारिक घोषणाओं से कम जुड़े।

17. कांग्रेसी नेताओं द्वारा मॉन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड रिपोर्ट की निंदा करने पर कई नरमपंथियों ने पार्टी को छोड़कर निम्न में से कौन-सी पार्टी का गठन किया?

[I.A.S. (Pre) 2003]

(a) स्वराज पार्टी
(b) इंडियन फ्रीडम पार्टी
(c) इंडिपेंडेंस फेडरेशन ऑफ इंडिया
(d) इंडियन लिबरल फेडरेशन

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उत्तर- (d) इंडियन लिबरल फेडरेशन

मॉन्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919) को लेकर कांग्रेस में मतभेद उत्पन्न हो गए। अधिकांश नेता इन सुधारों को अपर्याप्त मानते थे, जबकि सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, टी.बी. सप्रू जैसे नरमपंथी नेताओं ने इन्हें स्वीकार किया और कांग्रेस छोड़ दी। उन्होंने मिलकर इंडियन लिबरल फेडरेशन (All India Liberal Federation) का गठन किया।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • स्वराज पार्टी – 1923 में असहयोग आंदोलन की वापसी के बाद बनी थी।

  • इंडिपेंडेंस फेडरेशन ऑफ इंडिया – यह 1930 के दशक में सामने आया।

  • इंडियन फ्रीडम पार्टी – कोई मान्य ऐतिहासिक संगठन नहीं।


18. निम्नलिखित में से किन लोगों ने 16 दिसंबर, 1922 को इंडिपेंडेंट पार्टी बनाने का निर्णय लिया था?

  1. लाला हरदयाल

  2. मदन मोहन मालवीय

  3. मोहम्मद अली जिन्ना

  4. मोतीलाल नेहरू

कूट :

[U.P. P.C.S. (Mains) 2006]

(a) 1 तथा 2
(b) 2 तथा 3
(c) 3 तथा 4
(d) 2 तथा 4

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उत्तर- (d) 2 तथा 4

16 दिसंबर 1922 को मदन मोहन मालवीय और मोतीलाल नेहरू ने मिलकर ‘इंडिपेंडेंट पार्टी’ बनाने का निर्णय लिया। यह कांग्रेस के अंदर मतभेदों और गांधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन की वापसी के पश्चात उत्पन्न राजनीतिक असंतुलन का परिणाम था। बाद में मोतीलाल नेहरू ने स्वराज पार्टी की स्थापना सी.आर. दास के साथ की।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • लाला हरदयाल क्रांतिकारी थे, इस प्रयास से असंबंधित थे।

  • मोहम्मद अली जिन्ना तब तक मुख्य रूप से मुस्लिम लीग और संवैधानिक राजनीति से जुड़े थे।

19. ‘सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली’ का प्रथम भारतीय अध्यक्ष (स्पीकर) कौन था?

[Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2007]

(a) सर हरीसिंह गौर
(b) विट्ठलभाई जे. पटेल
(c) वल्लभभाई जे. पटेल
(d) पुरुषोत्तम दास टंडन

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उत्तर- (b) विट्ठलभाई जे. पटेल

विट्ठलभाई पटेल ‘सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली’ के प्रथम भारतीय अध्यक्ष (1925) निर्वाचित हुए थे। वे स्वराज पार्टी के प्रमुख नेता और संवैधानिक संघर्ष के समर्थक थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन के अंतर्गत संसदीय प्रणाली में भारतीय नेतृत्व की क्षमता का परिचय दिया।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • सर हरीसिंह गौर शिक्षाविद् थे, पर अध्यक्ष नहीं रहे।

  • वल्लभभाई पटेल स्वतंत्रता संग्राम के नेता थे, पर असेंबली अध्यक्ष नहीं बने।

  • पुरुषोत्तम दास टंडन बाद में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बने।


20. वे राष्ट्रीय नेता कौन थे, जो 1925 में सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे?

[U.P.P.C.S. (Pre) 2012]

(a) मोतीलाल नेहरू
(b) सी.आर. दास
(c) वल्लभभाई पटेल
(d) विट्ठलभाई पटेल

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उत्तर- (d) विट्ठलभाई पटेल

स्वराज पार्टी के प्रमुख नेता विट्ठलभाई पटेल को 1925 में सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली का प्रथम भारतीय अध्यक्ष चुना गया। उन्होंने निष्पक्षता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के उच्च आदर्श प्रस्तुत किए। यह घटना ब्रिटिश भारत में संसदीय राजनीति के भारतीयकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • मोतीलाल नेहरू और सी.आर. दास पार्टी के संस्थापक थे, लेकिन अध्यक्ष नहीं बने।

  • वल्लभभाई पटेल ने प्रशासन और आंदोलन में भूमिका निभाई, असेंबली अध्यक्ष नहीं रहे।

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