Gandhi-Irwin Pact Previous Year Questions
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गांधी-इरविन समझौता
1. गांधी-इर्बिन समझौता हुआ मुख्य रूप से–
[U.P. Lower Sub. (Pre) 1998]
(a) गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस की भागीदारी सहज करने के लिए
(b) सविनय अवज्ञा आंदोलन समाप्त करने के लिए
(c) गांधीजी द्वारा किया गया आमरण अनशन तोड़ने के लिए
(d) नमक पर कर समाप्त करने के लिए
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उत्तर – (a) गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस की भागीदारी सहज करने के लिए
5 मार्च 1931 को गांधीजी और वायसराय लॉर्ड इर्विन के बीच ऐतिहासिक ‘गांधी-इर्विन समझौता’ हुआ।
इसका उद्देश्य कांग्रेस को द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए तैयार करना था।
समझौते के अंतर्गत सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित किया गया और बदले में सरकार ने राजनीतिक कैदियों की रिहाई जैसे कुछ वादे किए।
यह समझौता कांग्रेस और सरकार के बीच संवाद की दिशा में पहला गंभीर प्रयास था।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
सविनय अवज्ञा आंदोलन समाप्त नहीं बल्कि स्थगित किया गया था
गांधीजी ने इस दौरान कोई आमरण अनशन नहीं किया था
नमक कर की समाप्ति समझौते का हिस्सा नहीं थी
2. प्रसिद्ध ‘गांधी-इर्विन समझौता’ किस वर्ष हुआ था?
[67th B.P.S.C. (Pre) (Re. Exam), 2021]
(a) 1929 ई.
(b) 1930 ई.
(c) 1931 ई.
(d) 1932 ई.
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं / उपर्युक्त में से एक से अधिक
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उत्तर – (c) 1931 ई.
गांधी-इर्विन समझौता 5 मार्च, 1931 को संपन्न हुआ था।
इस समझौते में गांधीजी और वायसराय लॉर्ड इर्विन के बीच 8 दौर की वार्ता हुई थी
इसके फलस्वरूप कांग्रेस ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने पर सहमति दी
साथ ही सरकार ने कुछ प्रमुख मांगें स्वीकार कीं, जैसे शांतिपूर्ण सत्याग्रहियों की रिहाई
अन्य विकल्पों की जानकारी:
1929 – पूर्ण स्वराज की घोषणा (लाहौर अधिवेशन)
1930 – सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत
1932 – पूना समझौता
3. गांधी-इर्विन समझौते में निम्नलिखित में से क्या सम्मिलित था/थे?
[I.A.S. (Pre) 2020]
राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में भाग लेने के लिए कांग्रेस को आमंत्रित करना।
असहयोग आंदोलन के संबंध में जारी किए गए अध्यादेशों को वापस लेना
पुलिस की ज्यादतियों की जांच करने हेतु गांधीजी के सुझाव की स्वीकृति
केवल उन्हीं कैदियों की रिहाई जिन पर हिंसा का अभियोग नहीं था
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए–
(a) केवल 1
(b) केवल 1, 2 और 4
(c) केवल 3
(d) केवल 2, 3 और 4
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उत्तर – (b) केवल 1, 2 और 4
गांधी-इर्विन समझौता (5 मार्च, 1931) को ‘दिल्ली समझौता’ भी कहा जाता है। इसमें प्रमुख बिंदु शामिल थे:
कांग्रेस को द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रण देना।
सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान लाए गए कठोर अध्यादेशों को हटाना।
ऐसे राजनीतिक कैदियों की रिहाई, जिन पर हिंसा का आरोप नहीं था।
पुलिस की ज्यादतियों की जांच की गांधीजी की मांग को ब्रिटिश सरकार ने स्वीकार नहीं किया था।
अतः विकल्प 3 गलत है और बाकी तीन सही हैं।
4. गांधी-इर्विन समझौते पर हस्ताक्षर हुए–
[44th B.P.S.C. (Pre) 2000]
(a) 1931 में
(b) 1935 में
(c) 1942 में
(d) 1919 में
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उत्तर – (a) 1931 में
गांधी-इर्विन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ।
इसके प्रमुख प्रावधान थे:
सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित करना।
राजनीतिक कैदियों की रिहाई जिन पर हिंसा का आरोप नहीं था।
शराब और विदेशी कपड़ों की दुकानों के सामने शांतिपूर्ण धरना देने की अनुमति।
नमक उत्पादन की अनुमति देना।
कांग्रेस को द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने की अनुमति।
जनता इस समझौते से असंतुष्ट थी, क्योंकि इसमें भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को क्षमा देने की मांग को सम्मिलित नहीं किया गया।
5. गांधी-इर्विन समझौता हुआ था–
[53rd to 55th B.P.S.C. (Pre) 2011]
(a) 1930 में
(b) 1931 में
(c) 1932 में
(d) 1933 में
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उत्तर – (b) 1931 में
गांधी-इर्विन समझौता 5 मार्च 1931 को संपन्न हुआ।
यह समझौता ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड इर्विन और महात्मा गांधी के बीच हुआ था।
इसके प्रमुख बिंदु:
सविनय अवज्ञा आंदोलन को अस्थायी रूप से स्थगित करना
जिन कैदियों पर हिंसा का आरोप नहीं था, उनकी रिहाई
कांग्रेस को गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने की अनुमति
नमक बनाने की अनुमति और शांति पूर्वक धरने का अधिकार
यह समझौता ब्रिटिश और भारतीय नेताओं के बीच संवाद की एक महत्वपूर्ण कड़ी था।
6. 5 मार्च, 1931 को निम्न में से कौन समझौता हुआ?
[46th B.P.S.C. (Pre) 2004]
(a) इमरसन-गांधी समझौता
(b) हैले-गांधी समझौता
(c) इर्विन-गांधी समझौता
(d) गांधी-साइमन समझौता
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उत्तर – (c) इर्विन-गांधी समझौता
5 मार्च 1931 को गांधी-इर्विन समझौता संपन्न हुआ, जिसे दिल्ली समझौता भी कहा जाता है।
इसमें गांधीजी और लॉर्ड इर्विन के बीच आठ दौर की वार्ता हुई थी
यह समझौता कांग्रेस की द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भागीदारी सुनिश्चित करने और आंदोलन को स्थगित करने के उद्देश्य से किया गया था
अन्य विकल्पों की जानकारी:
इमरसन, हैले और साइमन – ये उस समय अन्य प्रशासनिक या आयोगीय भूमिकाओं में थे, परंतु इस समझौते से संबंधित नहीं थे
7. निम्नलिखित में से किसका स्थगन गांधी-इर्विन समझौते में किया जाना प्रस्तावित था?
[U.P. P.C.S. (Pre) 1993]
(a) असहयोग आंदोलन
(b) खिलाफत आंदोलन
(c) गोलमेज सम्मेलन
(d) सविनय अवज्ञा आंदोलन
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उत्तर – (d) सविनय अवज्ञा आंदोलन
गांधी-इर्विन समझौते (5 मार्च 1931) के तहत महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित करने पर सहमति व्यक्त की।
इसके बदले में सरकार ने राजनीतिक कैदियों की रिहाई, शांतिपूर्ण धरने की अनुमति और नमक बनाने के अधिकार जैसी शर्तों को स्वीकार किया।
इस समझौते का उद्देश्य सौहार्द्र का वातावरण बनाकर कांग्रेस की द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भागीदारी सुनिश्चित करना था।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
असहयोग आंदोलन पहले ही 1922 में चौरी-चौरा कांड के बाद समाप्त किया जा चुका था
खिलाफत आंदोलन भी 1924 तक समाप्त हो चुका था
गोलमेज सम्मेलन को स्थगित नहीं किया गया, उसमें कांग्रेस को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया
8. गांधी-इर्विन समझौते के हस्ताक्षरित होने में किसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई?
[47th B.P.S.C. (Pre) 2005]
(a) मोतीलाल नेहरू
(b) मदन मोहन मालवीय
(c) तेज बहादुर सप्रू
(d) चिंतामणि
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उत्तर – (c) तेज बहादुर सप्रू
गांधी-इर्विन समझौते के मध्यस्थ के रूप में तेज बहादुर सप्रू और एम.आर. जयकर ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने गांधीजी और वायसराय इर्विन के बीच वार्ता की पहल की और राजनीतिक संवाद का मार्ग प्रशस्त किया।
फरवरी 1931 में बातचीत शुरू हुई और 5 मार्च 1931 को यह समझौता सम्पन्न हुआ।
सरोजिनी नायडू ने इस ऐतिहासिक वार्ता के बाद गांधी और इर्विन को “The Two Mahatmas” कहा था।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
मोतीलाल नेहरू, मालवीय और चिंतामणि स्वतंत्रता संग्राम के अन्य आयामों में सक्रिय रहे परंतु इस विशेष समझौते में प्रत्यक्ष भूमिका नहीं निभाई।
9. गांधी-इर्विन समझौते में किसने मध्यस्थ की भूमिका अदा की?
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2018]
(a) मोतीलाल नेहरू
(b) तेज बहादुर सप्रू
(c) एनी बेसेंट
(d) चिंतामणि
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उत्तर – (b) तेज बहादुर सप्रू
गांधी-इर्विन समझौते में मध्यस्थता की प्रमुख भूमिका तेज बहादुर सप्रू और एम.आर. जयकर ने निभाई थी।
वे दोनों उदारवादी नेताओं के रूप में गांधीजी और वायसराय इर्विन के बीच संवाद की पहल करने में सफल हुए।
तेज बहादुर सप्रू के प्रयासों से फरवरी 1931 में गांधीजी जेल से रिहा हुए और वार्ता शुरू हुई, जिसका परिणाम 5 मार्च 1931 को समझौते के रूप में सामने आया।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
मोतीलाल नेहरू कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे लेकिन उन्होंने इस समझौते में प्रत्यक्ष मध्यस्थता नहीं की।
एनी बेसेंट और चिंतामणि भी इस वार्ता प्रक्रिया में शामिल नहीं थे।
10. निम्नलिखित व्यक्तियों में किसने इर्विन तथा गांधी को ‘दो महात्मा’ कहा था?
[U.P. P.C.S. (Pre) 2001]
(a) मीरा बहन
(b) सरोजिनी नायडू
(c) मदन मोहन मालवीय
(d) जवाहरलाल नेहरू
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उत्तर – (b) सरोजिनी नायडू
सरोजिनी नायडू ने गांधी-इर्विन समझौते के बाद गांधीजी और लॉर्ड इर्विन को ‘The Two Mahatmas’ कहकर संबोधित किया।
यह टिप्पणी उन्होंने दोनों के बीच सौहार्दपूर्ण वार्ता और समझदारी के प्रतीक रूप में की थी।
यह कथन उस समय की राजनीति में संवाद और सहमति की आवश्यकता को भी दर्शाता है।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
मीरा बहन गांधीजी की अनुयायी थीं लेकिन यह कथन उनका नहीं था।
नेहरू और मालवीय ने इस समझौते पर अन्य टिप्पणियाँ की थीं, लेकिन यह विशेष शब्दावली सरोजिनी नायडू की थी।
11. निम्नलिखित में से किसने गांधी-इर्विन समझौते में महात्मा गांधी के लाभ को ‘सांत्वना पुरस्कार’ कहा था?
[U.P.P.C.S. (Pre) 2014]
(a) एस.सी. बोस
(b) एलन कैम्पबेल जॉनसन
(c) बी.जी. हार्निमन
(d) सरोजिनी नायडू
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उत्तर – (b) एलन कैम्पबेल जॉनसन
एलन कैम्पबेल जॉनसन, जो लॉर्ड इर्विन के जीवनीकार थे, उन्होंने गांधी-इर्विन समझौते के संदर्भ में लिखा था कि,
“महात्मा गांधी को प्राप्त लाभ केवल सांत्वना पुरस्कार (Consolation Prizes) थे, जबकि वार्ता के लिए सहमत होना इर्विन का एकतरफा आत्मसमर्पण था।”
यह कथन ब्रिटिश प्रशासन के दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो गांधीजी को मिलने वाली रियायतों को महत्त्वहीन मानता था।
यह भी बताया गया कि उ.प्र. लोक सेवा आयोग ने प्रारंभिक उत्तर कुंजी में (a) को सही माना था, लेकिन संशोधित उत्तर कुंजी में (b) को सही उत्तर घोषित किया गया।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
एस.सी. बोस ने इस समझौते की आलोचना जरूर की थी, लेकिन यह विशेष वाक्य उनका नहीं था।
बी.जी. हार्निमन और सरोजिनी नायडू ने गांधीजी का समर्थन किया था, उन्होंने ऐसा कोई नकारात्मक वर्णन नहीं किया।
12. गांधी-इर्विन समझौते के समय भारत का वायसराय कौन था?
[I.A.S. (Pre) 2006]
(a) लॉर्ड रीडिंग
(b) लॉर्ड लिनलिथगो
(c) लॉर्ड इर्विन
(d) लॉर्ड माउंटबेटन
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उत्तर – (c) लॉर्ड इर्विन
गांधी-इर्विन समझौता 5 मार्च, 1931 को महात्मा गांधी और वायसराय लॉर्ड इर्विन के बीच संपन्न हुआ।
यह समझौता ब्रिटिश सरकार और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बीच पहली औपचारिक वार्ता का परिणाम था।
लॉर्ड इर्विन ने गांधीजी को जेल से रिहा करवाया और वार्ता के लिए आमंत्रित किया।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
लॉर्ड रीडिंग (1921–26),
लॉर्ड लिनलिथगो (1936–43),
लॉर्ड माउंटबेटन (1947 – अंतिम वायसराय)
13. गांधी-इर्विन समझौते के बाद महात्मा गांधी ने किस सम्मेलन में भाग लिया था?
[U.P. P.C.S. (Pre) 2015]
(a) प्रथम गोलमेज सम्मेलन
(b) द्वितीय गोलमेज सम्मेलन
(c) तीसरा गोलमेज सम्मेलन
(d) साइमन कमीशन बैठक
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उत्तर – (b) द्वितीय गोलमेज सम्मेलन
गांधी-इर्विन समझौते का एक प्रमुख परिणाम यह था कि गांधीजी ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया।
सम्मेलन सितंबर से दिसंबर 1931 के बीच लंदन में आयोजित हुआ।
गांधीजी कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में इसमें शामिल हुए।
प्रथम गोलमेज सम्मेलन 1930 में हुआ था, जिसमें कांग्रेस ने भाग नहीं लिया था।
14. गांधी-इर्विन समझौते के अंतर्गत किस प्रकार के राजनीतिक कैदियों की रिहाई की बात कही गई थी?
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2005]
(a) सभी कैदी
(b) केवल विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने वाले
(c) केवल वे जिन पर हिंसा का आरोप नहीं था
(d) केवल गांधीजी के अनुयायी
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उत्तर – (c) केवल वे जिन पर हिंसा का आरोप नहीं था
गांधी-इर्विन समझौते के अनुसार उन सभी सत्याग्रहियों और राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाना था, जिन पर हिंसा का कोई आरोप नहीं था।
यह एक महत्वपूर्ण बिंदु था क्योंकि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जैसे क्रांतिकारियों की रिहाई इसमें सम्मिलित नहीं थी, जिससे जनता में असंतोष उत्पन्न हुआ।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
सभी कैदी रिहा नहीं किए गए थे
केवल अनुयायियों या वस्त्र बहिष्कारकर्ताओं की कोई विशेष शर्त नहीं थी
15. गांधी-इर्विन समझौते से किस प्रमुख आंदोलन को स्थगित किया गया था?
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2012]
(a) असहयोग आंदोलन
(b) सविनय अवज्ञा आंदोलन
(c) भारत छोड़ो आंदोलन
(d) खिलाफत आंदोलन
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उत्तर – (b) सविनय अवज्ञा आंदोलन
गांधी-इर्विन समझौते (5 मार्च, 1931) के बाद महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा की।
यह एक रणनीतिक कदम था ताकि कांग्रेस द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग ले सके।
यह समझौता राजनीतिक बंदियों की रिहाई, दमनकारी कानूनों की वापसी और नमक बनाने की अनुमति जैसे बिंदुओं पर आधारित था।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
असहयोग आंदोलन 1922 में चौरी-चौरा कांड के बाद समाप्त हो चुका था।
भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में प्रारंभ हुआ।
खिलाफत आंदोलन 1924 में समाप्त हो गया था।
16. गांधी-इर्विन समझौते को किस नाम से भी जाना जाता है?
[General Knowledge – Practice Based]
(a) पूना समझौता
(b) दिल्ली समझौता
(c) इलाहाबाद समझौता
(d) सविनय समझौता
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उत्तर – (b) दिल्ली समझौता
गांधी-इर्विन समझौते को ऐतिहासिक रूप से ‘दिल्ली समझौता’ (Delhi Pact) कहा जाता है, क्योंकि यह दिल्ली में गांधीजी और लॉर्ड इर्विन के बीच संपन्न हुआ था।
इसे 5 मार्च, 1931 को अंतिम रूप दिया गया।
यह कांग्रेस और ब्रिटिश सरकार के बीच पहला औपचारिक राजनीतिक समझौता था।
17. गांधी-इर्विन समझौते की विफलता का मुख्य कारण क्या था?
[U.P. P.C.S. (Mains) 2017]
(a) ब्रिटिश संसद ने इसे अस्वीकार कर दिया
(b) भगत सिंह की सजा माफ नहीं हुई
(c) कांग्रेस ने समझौते का विरोध किया
(d) मुस्लिम लीग ने इसका विरोध किया
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उत्तर – (b) भगत सिंह की सजा माफ नहीं हुई
गांधी-इर्विन समझौते के बावजूद जनता में बहुत असंतोष व्याप्त था, क्योंकि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी से बचाने की गांधीजी की मांग को स्वीकार नहीं किया गया।
यह घटना समझौते की लोकप्रियता को काफी हद तक प्रभावित करती है, और इसे जनता की दृष्टि में विफल बना देती है।
जनता को उम्मीद थी कि गांधीजी इस फांसी को रुकवा पाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
18. गांधी-इर्विन समझौते के अंतर्गत नमक कानून के संदर्भ में क्या निर्णय लिया गया?
[U.P. P.C.S. (Pre) 2007]
(a) नमक कर समाप्त कर दिया गया
(b) नमक की बिक्री पर रोक लगाई गई
(c) समुद्र तटों पर नमक बनाने की अनुमति दी गई
(d) नमक केवल सरकार द्वारा बेचा जाएगा
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उत्तर – (c) समुद्र तटों पर नमक बनाने की अनुमति दी गई
गांधी-इर्विन समझौते के अनुसार, सरकार ने गांधीजी की मांग पर समुद्र तटों पर नमक बनाने की अनुमति दे दी।
यह निर्णय नमक पर सरकारी एकाधिकार को आंशिक रूप से समाप्त करने की दिशा में एक कदम था।
गांधीजी ने दांडी यात्रा के माध्यम से इस मुद्दे को जन-आंदोलन का रूप दिया था।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
नमक कर पूरी तरह समाप्त नहीं किया गया था।
बिक्री पर रोक नहीं थी; बल्कि बनाने की स्वतंत्रता दी गई थी।
19. गांधी-इर्विन समझौते के बावजूद किस क्रांतिकारी को फांसी दी गई जिससे जनता में असंतोष फैल गया?
[U.P. P.C.S. (Mains) 2004]
(a) चंद्रशेखर आज़ाद
(b) राजगुरु
(c) राम प्रसाद बिस्मिल
(d) जतिंद्रनाथ दास
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उत्तर – (b) राजगुरु
गांधी-इर्विन समझौते के ठीक बाद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को 23 मार्च, 1931 को फांसी दे दी गई।
गांधीजी ने इर्विन से इनकी सजा को माफ करने की अपील की थी, पर वह अस्वीकार कर दी गई।
इससे आम जनता में गहरा असंतोष और निराशा फैल गई।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
चंद्रशेखर आज़ाद ने 1931 में इलाहाबाद में आत्मबलिदान किया था।
जतिंद्रनाथ दास की जेल में भूख हड़ताल के दौरान मृत्यु हुई थी।
राम प्रसाद बिस्मिल को काकोरी कांड में 1927 में फांसी दी गई थी।
20. गांधी-इर्विन समझौते के दौरान जेल से रिहा होने के बाद गांधीजी ने पहला सार्वजनिक कार्य क्या किया?
[Uttarakhand P.C.S. (Mains) 2008]
(a) लंदन के लिए रवाना हुए
(b) भगत सिंह से भेंट की
(c) द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया
(d) नमक सत्याग्रह दोबारा शुरू किया
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उत्तर – (a) लंदन के लिए रवाना हुए
गांधीजी गांधी-इर्विन समझौते के बाद जेल से रिहा होकर लंदन गए, जहां उन्होंने सितंबर 1931 में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया।
सम्मेलन में गांधीजी ने भारत के लिए डोमिनियन स्टेटस की बजाय पूर्ण स्वतंत्रता की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने अस्पृश्यता और ग्रामीण भारत की समस्याओं को भी प्रमुखता से उठाया।
अन्य विकल्प गलत हैं:
भगत सिंह से भेंट संभव नहीं हुई क्योंकि उन्हें फांसी दी जा चुकी थी।
नमक आंदोलन स्थगित कर दिया गया था।
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