Genetics and Biotechnology PYQ
Shiksha247 – Science Government Exam Questions, Previous Year Question Papers & Preparation
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– UPSC Previous Year Question
– SSC Old Question Papers
– Railway Exam Memory-Based Questions
– CTET, RPSC, Patwar, REET, Police Old Questions
– TET (Teacher Eligibility Test) Questions
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आनुवांशिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी
1. किसके द्वारा आनुवांशिकता के विज्ञान को आनुवांशिकी (जेनेटिक्स) कहा गया ?
(1) ग्रेगर मेण्डल
(2) सी. कौरेन्स
(3) एच. जे. मूलर
(4) डब्ल्यू. बेटसन
Ans. (4)
व्याख्या-
आनुवांशिक लक्षणों के पीढ़ी-दर-पीढ़ी संचरण की विधियों और कारणों के अध्ययन को ‘आनुवांशिकी’ (Jenetics) कहते है। डब्ल्यू बेटसन (William Bateson) ने वर्ष 1905-06 ई. में सर्वप्रथम जैनेटिक्स अथवा आनुवांशिकी (Nenetics) शब्द का उपयोग किया था।
2. ‘आनुवंशिकी के जनक’ किसे कहा जाता है?
[पशुधन सहायक-2018]
[LDC Exam-16.09.2018][सहायक सांख्यिकी अधिकारी-2018](1) एफ.एच.सी. क्रिक
(2) जी. जे. मेण्डल
(3) कैरोलस लिनियस
(4) बीरबल साहनी
Ans. (2)
व्याख्या –
आनुवांशिकता का नियम ग्रेगर जॉन मेण्डल ने वर्ष 1866 में प्रतिपादित किया था इसलिए उन्हें आधुनिक ‘आनुवांशिकी का पिता’ कहा जाता है। उन्होंने प्रयोग के लिए उद्यान मटर को चुना था। ज्ञातव्य है कि ‘जीन’ जीवित प्राणियों की आनुवांशिक इकाई होती है। ‘जीन’ शब्द की खोज डब्ल्यू. एल. जोहनसेन ने की थी।
3. मानव कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या होती है-
[स्कूल व्याख्याता – 06.01.2020][RPSC LDC-17.02.2012][Stenographer Exam: 30.05.2013][III Grade (L-II)-25.2.2023]
[वनरक्षक (S-1) – 11.12.20221
(1) 20
(2) 36
(3) 46
(4) 96
Ans. (3)
व्याख्या :
•गुणसूत्र (Chromosomes) का नामकरण वाल्डेयर ने किया था। मनुष्य में क्रोमोसोम की संख्या 46 होती है। मनुष्य में 23 जोड़ी (46) गुणसूत्र होते हैं।
•22 जोड़ी गुणसूत्र स्त्रियों और पुरुषों में समान और अपने-अपने समजात होते हैं इन्हें स्वजात गुणसूत्र या आटोसोम कहते हैं। 23वीं जोड़ी के गुणसूत्र स्त्रियों और पुरुषों में भिन्न होते हैं जिसे विषमजात गुणसूत्र या एलोसोम (Allosomes) कहते हैं। लिंग निर्धारण में इसकी अहम भूमिका होती है। स्त्रियों में (XX) तथा पुरुषों में (XY) एलोसोम पाए जाते हैं। जब ‘XX’ क्रोमोसोम का युग्मनज होता है, तो इससे बनने वाली संतान लड़की होती है और ‘XY’ क्रोमोसोम के युग्मनज से लड़का होता है। एक अनिषेचित मानव अण्डे में सामान्यतः एक X क्रामोसोम होता है। गुणसूत्र कोशिका के केन्द्रक में ध ागे के आकार की भांति होते हैं। गुणसूत्र ही आनुवांशिक गुणों को माता-पिता से संतानों में युग्मकों के माध्यम से स्थानापन्न करते हैं। मानव शरीर कोशिकाओं से बना होता है और इन कोशिकाओं में गुणसूत्र या क्रोमोजोम्स होते हैं।
4. मानव में गुणसूत्रों के कितने युग्म पाये जाते हैं?
[RPSC LDC-23.10.2016](1) 23
(2) 26
(3) 33
(4) 36
Ans. (1)
5. मनुष्य में ऑटोसोम के जोड़े होते हैं-
[स्टेनोग्राफर-21.3.2021](1) 18
(2) 22
(3) 21
(4) 23
Ans. (2)
6. एक अनिषेचित मानव अंडे में सामान्यतः होता है-
(1) एक X क्रोमोसोम
(2) एक Y क्रोमोसोम
(3) एक X और एक Y क्रोमोसोम
(4) दो X क्रोमोसोम
Ans. (1)
7. एक मानव कायिक कोशिका में…..….. गुणसूत्र होते हैं।
[CET-5.2.2023 (S-II)](1) 23
(2) 46
(3) 50
(4) 28
Ans. (2)
8. मानव जाति में लिंग निर्धारण किस विधि पर आधारित है?
[LDC-12.08.2018](1) XO
(2) ZW
(3) XX-XY
(4) XX
Ans. (3)
9. एक सामान्य मानव नर में गुणसूत्र गठन होगा-
[ महिला पर्यवेक्षक परीक्षा-20.12.2015 (TSP)](1) 46 + xy
(2) 44 + xy
(3) 42 + xx
(4) 44 + xx
Ans. (2)
10. मानव में अलिंग गुणसूत्रों की संख्या होती है-
[जेल प्रहरी परीक्षा-20.10.2018 (Shift-1)](1) 46
(2) 42
(3) 44
(4) 40
Ans. (3)
11. मानवजाति में कितने लिंग गुणसूत्र पाये जाते हैं?
[CET-11.2.2023 (S-II)](1) 1
(2) 2
(3) 3
(4) 4
Ans. (2)
12. नर के लक्षण देने वाला गुणसूत्र है-
[Stenographer Exam: 30.05.2013](1) X
(2) 22वां
(3) Y
(4) 21वां
Ans. (3)
व्याख्या-
शिशु के लिंग का निर्धारण माता तथा पिता दोनों के गुणसूत्री योगदान पर निर्भर करता है, पिता में XY गुणसूत्र पाये जाते हैं और माता में समजात गुणसूत्र XX पाये जाते हैं, जब युग्मनज माता के X तथा पिता के X से मिलकर XX का बनता है तो संतान लड़की और जब युग्मनज माता के X तथा पिता के Y से मिलकर ‘XY’ बनता है तो संतान लड़का पैदा होता है।
13. एक सामान्य बालिका शिशु अपने x गुणसूत्र प्राप्त करती है-
[स्कूल व्याख्याता – 03.01.2020](1) केवल अपने पिता से
(2) केवल अपनी माता से
(3) अपने माता तथा पिता दोनों से
(4) या तो अपनी माता से या अपने पिता से
Ans. (3)
14. लड़का होगा या लड़की होगी, यह निर्भर करता है-
[RPSC LDC-17.02.2012](1) माता पर
(2) पिता पर
(3) दादी पर
(4) दादा पर
Ans. (2)
15. मानवों में एक युग्मनज, जिसमें पिता से एक X-गुणसूत्र वंशानुगत होता है, से विकसित होगा-
[RPSC LDC-23.10.2016](1) लड़का
(2) लड़की
(3) X गुणसूत्र से बच्चे का लिंग निर्धारण नहीं होता है।
(4) लड़का अथवा लड़की
Ans. (2)
16. मानव जाति के बच्चे में लिंग का निर्धारण कैसे होता है?
[RPSC LDC-11.01.2014](1) माता से आने वाले ‘X’ गुणसूत्र द्वारा
(2) पिता से आने वाले ‘Y’ गुणसूत्र द्वारा
(3) पिता से आने वाले सभी गुणसूत्रों द्वारा
(4) पिता से आने वाले ‘X’ अथवा ‘Y’ गुणसूत्र द्वारा
Ans. (4)
17. जीवों में आनुवांशिक लक्षण सन्तान में पाये जाते है-
[RAS Pre. Exam. 1992](1) राइबोसोम
(2) क्रोमोसोम
(3) प्लाज्मा
(4) लाइसोसोम
Ans. (2)
व्याख्या –
आनुवांशिक यूनिट अर्थात ‘जीन’ गुणसूत्रों (क्रोमोसोम) में पाए जाते हैं। जीन की कार्यात्मक इकाई को ‘सिस्ट्रॉन’, उत्परिवर्तन की इकाई को ‘म्यूटॉन’ तथा संयोजन की इकाई को रेकॉन कहते हैं।
18. निम्नलिखित में आनुवांशिकीय इकाई है-
[RPSC LDC-17.02.2012][कर सहायक परीक्षा- 14.10.2018](1) जीन (Gene)
(2) डी.एन.ए. (DNA)
(3) आर.एन.ए. (RNA)
(4) न्यूक्लिओटाइड
Ans. (1)
व्याख्या –
गुणसूत्रों पर स्थित डी.एन.ए. की बनी वह अति सूक्ष्म संरचनाएँ, जो आनुवांशिक लक्षणों का धारण एवं एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में उनका स्थानान्तरण करती हैं, जीन कहलाती है। जीन आनुवांशिकता की मूलभूत शारीरिक इकाई है अर्थात इसी से हमारी आनुवांशिक विशेषताओं की जानकारी होती है, जैसे-हमारे बालों का रंग क्या होगा, आंखों का रंग कैसा होगा या इसे कौन-सी बीमारियाँ हो सकती है।
19. क्रोमोसोम ……….. से बना है-
[कर सहायक-14.10.2018](1) डी.एन.ए.
(2) आर.एन.ए.
(3) कार्बोहाइड्रेट
(4) लिपिड
Ans. (1)
20. सेन्ट्रल डोग्मा ………. से ……… को आनुवंशिक जानकारी के हस्तांतरण को संदर्भित करता है-
[LDC-16.9.2018](1) डी.एन.ए.से आर.एन.ए.
(2) आर.एन.ए. से डी.एन. ए.
(3) डी. एन. ए. से प्रोटीन
(4) आर. एन. ए. से प्रोटीन
Ans. (3)
21. वॉट्सन एवं क्रिक ने डी.एन.ए. के मॉडल को प्रस्तावित किया-
[LDC-12.08.2018](1) 1953 में
(2) 1959 में
(3) 1973 में
(4) 1963 में
Ans. (1)
व्याख्या-
डी.एन.ए. संरचना का सही मॉडल वॉट्सन और क्रिक ने वर्ष 1953 में प्रतिपादित किया था। डी.एन.ए. दो परस्पर जुड़ी सर्पिल-कुण्डलिनी पॉलिन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाएँ या सूत्र एक ही केन्द्रीय अक्ष के चारों ओर दक्षिणावर्त स्प्रिंग की भांति ऐंठकर द्विकुंडलिनी संरचना होती है। द्विकुंडलिनी का प्रत्येक कुण्डल 3.4A” लम्बाई में फैला होता है। इसके लिए इन्हें 1962 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
21. वॉट्सन एवं क्रिक ने डी.एन.ए. के मॉडल को प्रस्तावित किया-
[LDC-12.08.2018](1) 1953 में
(2) 1959 में
(3) 1973 में
(4) 1963 में
Ans. (1)
व्याख्या-
डी.एन.ए. संरचना का सही मॉडल वॉट्सन और क्रिक ने वर्ष 1953 में प्रतिपादित किया था। डी.एन.ए. दो परस्पर जुड़ी सर्पिल-कुण्डलिनी पॉलिन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाएँ या सूत्र एक ही केन्द्रीय अक्ष के चारों ओर दक्षिणावर्त स्प्रिंग की भांति ऐंठकर द्विकुंडलिनी संरचना होती है। द्विकुंडलिनी का प्रत्येक कुण्डल 3.4A” लम्बाई में फैला होता है। इसके लिए इन्हें 1962 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
22. मनुष्य गुणसूत्र बना होता है-
[Stenographer : 30.5.2013](1) एकसूत्री RNA से
(2) द्विसूत्री RNA से
(3) एकसूत्री DNA से
(4) द्विसूत्री DNA से
Ans. (4)
23. कोशिका विभाजन के समय केन्द्रक के अन्दर दृश्यमान DNA थ्रेड है-
[स्टेनोग्राफर परीक्षा, 21.03.2021](1) स्पिंडल फाइबर
(2) तारककेन्द्र
(3) तारक
(4) गुणसूत्र
Ans. (4)
व्याख्या –
अंतरावस्था केंद्रक में ढीली-ढाली अस्पष्ट न्यूक्लियो प्रोटीन तंतुओं की जालिका मिलती है जिसे क्रोमोटीन कहते हैं। अवस्थाओं व विभाजन के समय केंद्रक के स्थान पर गुणसूत्र संरचना दिखाई पड़ती है। क्रोमोटीन में डीएनए तथा कुछ क्षारीय प्रोटीन मिलता है जिसे हिस्टोन कहते हैं, इसके अतिरिक्त उनमें इतर हिस्टोन व आरएनए भी मिलता है। मनुष्य की एक कोशिका में लगभग दो मीटर लंबा डीएनए सूत्र 46 गुणसूत्रों (23 जोड़ों) में बिखरा होता है। गुणसूत्र सिर्फ विभाजक कोशिकाओं में दिखाई देते हैं।
24. गुणसूत्र की संरचना में निम्नलिखित सम्मिलित होते है-
[LDC Exam-16.09.2018](1) डी.एन.ए. एवं हिस्टोन
(2) आर. एन. ए. एवं. हिस्टोन
(3) डी.एन.ए. एवं आर. एन. ए.
(4) डी.एन.ए., आर.एन.ए. एवं हिस्टोन
Ans. (4)
25. डी.एन.ए. की पैकेजिंग में शामिल हिस्टोन प्रोटीन का आवेश………… होता है-
[LDC Exam-16.09.2018](1) ऋणात्मक
(2) धनात्मक
(3) उदासीन
(4) कभी ऋणात्मक कभी धनात्मक
Ans. (2)
व्याख्या –
असीमकेंद्रकी जैसी ई. कोलाई जिसमें स्पष्ट केंद्रक नहीं मिलता है इसके बावजूद भी डीएनए पूरी कोशिका में नहीं फैला होता है। डीएनए (ऋणात्मक आवेशित) कुछ प्रोटीन्स (धनात्मक आवेशित) से बँधकर एक जगह पर स्थित होते हैं जिसे केंद्रकाभ (न्यूक्लिआइड) कहते हैं। न्यूक्लीआएड में डीएनए बड़े लूपों में व्यवस्थित होता है जो प्रोटीन से जुड़े होते हैं। असीमकेंद्रकी/सुकेंद्रकी में यह संरचना और काफी जटिल होती है। धनात्मक आवेशित क्षारीय प्रोटीन का समूह होता है जिसे हिस्टोन्स कहते हैं। हिस्टोन्स में क्षारीय एमीनो अम्लीय लाइसीन व आरजीनीन अधिक मात्रा में मिलते हैं।
26. निम्न में से किस प्रकार का RNA, RNA प्रसंस्करण में भाग लेता है?
[Patwar Exam 13.02.2016](1) m-RNA
(2) t-RNA
(3) छोटे नाभिकीय RNA (SnRNA)
(4) विजातीय नाभिकीय RNA (hn RNA)
Ans. (2)
व्याख्या-
• स्थानान्तरण आर एन ए : इसे घुलनशील आर एन ए भी कहते हैं। ये 75-80 न्यूक्लिओटाइड वाले सबसे छोटे RNA के अणु होते हैं। कोशिका में पाये जाने वाले RNA के कुल भार का 10-15% 1 RNA होता है।
•1 RNA का कार्य : इसकी मुख्य भूमिका प्रोटीन संश्लेषण में त्रिक आनुवांशिक कूट की पहचान कर अनुरूप अमीनो अम्ल को राइबोसोम तक पहुँचाना है।
27. ‘B’ भूरे कोट रंग के जीन व ‘b’ सफेद कोट रंग के जीन का प्रतिनिधित्व करता है। BB x bb संकरण में सभी संततियां भूरे कोट की उत्पन्न होती है। इस संकरण से किस आनुवांशिक सिद्धान्त की व्याख्या होती है?
[Asstt. Fire Officer -29.1.2022](1) एकाधिक एलील
(2) प्रभाविता
(3) सह-प्रभाविता
(4) क्रॉसिंग – ओवर
Ans. (2)
28. Ti प्लास्मिड जो आनुवांशिक इंजीनिरिंग में प्रयुक्त होता है, प्राप्त होता है।
[Patwar Exam 13.02.2016](1) बैसीलस थूरिनजिएन्सिस से
(2) ईश्चेरिचिया कोलाई से
(3) एग्रोबैक्टिरियम राइजोजीन्स से
(4) एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमिफेशिएन्स से
Ans. (4)
व्याख्या-
ऐग्रोबैक्टीरियम ट्यूमिफेसिएन्स (Agrobacterium tumifaciens) नामक जीवाणु में पाये जाने वाले विशिष्ट प्लाज्मिड जो कि द्विबीजपत्री पौधों में संक्रमण पश्चात् ट्यूमर निर्माण को अभिप्रेरित करता है, 11 प्लाज्मिड कहलाता है। यह जीन अभियांत्रिकी में वाहक का भी कार्य करता है।
29. पादपों में जीन स्थानान्तरण हेतु सामान्य तौर पर प्रयुक्त होने वाला जीवाणु है-
[Dy. Commandant -23.8.2020](1) ई. कोलाई
(2) एग्रोबैक्टीरियम
(3) नाइट्रोसोमॉनास
(4) साल्मोनेला
Ans. (2)
30. डी.एन.ए. की संरचना के द्विकुण्डली मॉडल हेतु एक्स किरण (X-ray) विवर्तन के आँकड़े दिये गये-
[RPSC LDC-23.10.2016](1) जेम्स वॉट्सन द्वारा
(2) फ्रान्सिस क्रिक द्वारा
(3) जेम्स वॉट्सन व फ्रांसिस क्रिक द्वारा
(4) मौरिस विल्किन्स व रोजालिंड फ्रैंकलिन द्वारा
Ans. (4)
व्याख्या –
1953 ई. में जेम्स वॉट्सन एवं फ्रांसिस क्रिक ने DNA की संरचना का द्विकुंडली नमूना (double helical) पेश किया। यह नमूना मौरिस विल्किन्स तथा रोजालैण्ड फ्रेंकलिन एक्स-रे विश्लेषण के आधार पर दिया।
31. मेण्डल ने मटर के अलावा एक और पादप पर कार्य किया। वह पादप था-
[LDC-19.08.2018](1) मक्का
(2) बीन
(3) हिरेसियम
(4) एन्टिराइनम
Ans. (3)
व्याख्या –
हिरेसियम का सामान्य नाम हॉकवीड है। इसका जीनस सूरजमुखी परिवार से सम्बंधित है, जिसे एस्टेरसिया के नाम से जाना जाता है। मेंडल ने मटर के अलावा हिरेसियम पर भी प्रयोग किया और बताया कि हिरेसियम बीज के माध्यम से अलैंगिक रूप से प्रजनन करता है। हिरेसियम की पहली पीढ़ी अपनी उत्पादक पौधे के समान है।
32. मेण्डल का स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम ……… के अवलोकनों पर आधारित है-
[RPSC LDC-23.10.2016](1) एकल संकरण
(2) द्वि संकरण
(3) परीक्षण संकरण
(4) बैक संकरण
Ans. (2)
व्याख्या –
आनुवांशिकता के पीढ़ी दर पीढ़ी संचरण की विधियों और कारणों के अध्ययन को आनुवांशिकी कहते हैं। आनुवांशिकता के बारे में सर्वप्रथम जानकारी आस्ट्रिया निवासी ग्रिगर जोहान मेण्डल (1822-1884 ई.) ने दी। इसीलिए उन्हें ‘आनुवांशिकता का पिता’ कहा जाता है। मेंडल ने आनुवांशिकी प्रयोग के लिए उद्यान मटर पौधे को चुना। उद्यान मटर का वानस्पतिक नाम पाइसम सैटाइवम है। मेण्डल ने पहले एक जोड़ी विपरीत गुणों फिर दो जोड़े विपरीत गुणों की वंशागति का अध्ययन किया, जिन्हें क्रमशः एक संकरीय / मेण्डल ने एक संकरीय क्रॉस के लिए लम्बे (TT) एवं बौने (tt) पौधों के बीच क्रॉस कराया।) तथा द्विसंकरीय क्रॉस (मेण्डल ने द्विसंकरीय क्रॉस के लिए गोल तथा पीले बीज (RRYY) व हरे एवं झुर्रीदार बीज (rryy) से उत्पन्न पौधों को क्रॉस कराया। इसमें गोल तथा पीले बीज प्रभावी होते है, कहते हैं।
•एकल संकर संकरण – एक जोड़ी युग्म विकल्पी के लिए किया गया क्रॉस एकल संकरण कहलाता है।
•द्विसंकर संकरण – दो जोड़ी युग्म विकल्पी के लिए किया गया क्रॉस द्विसंकर संकरण कहलाता है।
•परीक्षण संकरण-जब F, पीढ़ी के विषमयुग्मजी संकर का संकरण, समयुग्मजी अप्रभावी जनक के साथ कराया जाता है तो इसे परीक्षण संकरण कहते है।
33. ग्रेगर जॉन मेंडल किस मूल के वैज्ञानिक थे?
[जेल प्रहरी परीक्षा-27.10.2018 (Shift-III)](1) आस्ट्रियाई मूल
(2) रूसी मूल
(3) जर्मन मूल
(4) आस्ट्रेलियाई मूल
Ans. (1)
34. मेण्डल ने आनुवांशिकी के नियम कौन से पौधे पर अनुसंधान करके दिये थे?
[CET – 5.2.2023 (S-1)][RPSC LDC-11.01.2014][REETL-I, 26.09.2021](1) मटर
(2) टमाटर
(3) आलू
(4) प्याज
Ans. (1)
35. ग्रीगर मेंडल ने आनुवांशिक प्रयोग के लिए ……… पादप का प्रयोग किया था।
[CET-5.2.2023 (S-II)](1) पाइसम सैटाइवम
(2) ट्रिटीकम एस्टीवम
(3) ओराइजा सैटाइवा
(4) गौसिपियम हिर्मुटम
Ans. (1)
36. मेंडल ने अपने प्रयोगों के लिए मटर के कितने जोड़ी लक्षणों का चयन किया?
[Stenographer: 30.5.2013][जेल प्रहरी परीक्षा-27.10.2018 (Shift-ll)](1) 5
(2) 7
(3) 9
(4) 3
Ans. (2)
37. मेंडल द्वारा चयनित मटर के पौधे का कौनसा लक्षण आनुवांशिकता के प्रयोग के लिए नहीं चुना?
[जेल प्रहरी परीक्षा-21.10.2018 (Shift-II)](1) बीज का रंग
(2) फली का रंग
(3) फूल का रंग
(4) तने का रंग
Ans. (4)
38. मेण्डल ने अपने प्रयोगों के लिए कितने विषम लक्षण चुने थे?
[LDC-09.09.2018](1) 10
(2) 7
(3) 8
(4) 9
Ans. (2)
39. मेण्डल का ‘स्वतंत्र अपव्यूहन (असौर्टमैन्ट) का सिद्धान्त’ किस अनुपात के आधार पर सिद्ध किया जा सकता है!
[CET – 5.2.2023 (S-1)]
[RPSC LDC-11.01.2014](1) 9:3:3:1
(2) 2:1:1
(3) 3:1
(4) 2:1
Ans. (1)
व्याख्या –
जब दो या दो से अधिक जोड़ी विपर्यासी. लक्षणों वाले जनकों के मध्य संकरण किया जाता है तो सभी लक्षणों की वंशागति स्वतंत्र रूप से होती है। एक लक्षण की वंशागति पर दूसरे लक्षण की उपस्थिति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इसे 9:3:3:1 के अनुपात के आधार पर सिद्ध किया जा सकता है।
40. मेन्डल द्वारा अध्ययन किये गए एक मोनोहाइब्रिड क्रोस के F2 फेनोटाइप का अनुपात है-
[स्टेनोग्राफर परीक्षा, 21.03.2021](1)1:1
(2) 2:1
(3) 3:1
(4) 4:1
Ans. (3)
व्याख्या –
मेन्डल के प्रभाविता के नियम में प्रथम पीढ़ी (FI) में प्राप्त संकर लम्बे पौधों में जब स्वनिषेचन (self pollination) की क्रिया को होने दिया जाता हैं तो द्वितीय पीढ़ी (F2) में युग्मकों का पृथक्करण हो जाता हैं तथा F2 पीढ़ी में भिन्न लक्षणों वाले पौधे प्राप्त होते हैं। F2 पीढ़ी में यदि हम फिनोटाइप के अनुसार देखे तो तीन पौधे लम्बे जबकि एक पौधा बौना प्राप्त होता हैं अर्थात 75% पौधे लम्बे एवं 25% पौधे बौने मिलते हैं, जिनका अनुपात 3:1 हैं। यदि हम जीनोटाइप के अनुसार देखे तो एक पौधा शुद्ध लम्बा, दो पौधे संकर लम्बे तथा एक पौधा शुद्ध बौना प्राप्त होता हैं अर्थात 25% पौधे शुद्ध लम्बे, 50% पौधे संकर लम्बे एवं 25% पौधे शुद्ध बौने मिलते हैं, जिनका अनुपात 1:2:1 हैं।
41. निम्नलिखित में से कौन सा एक अपूर्ण प्रभाविकता का उदाहरण है-
[RPSC LDC-23.10.2016](1) मटर
(2) पपीता
(3) स्नेपड्रेगॉन
(4) टमाटर
Ans. (3)
व्याख्या –
अपूर्ण प्रभाविकता (incomplete domi-nance) – संतति दो जनकों से मिलती जुलती नहीं होती तथा एक नया तीसरा लक्षण उत्पन्न होता है जो दोनो जनकों से मिलता-जुलता तथा इनके बीच का सा होता है, इसे अपूर्ण प्रभाविकता कहते है। उदाहरण:- श्वान पुष्प स्नैपड्रेगॉन /एंटीराइनम
42. विपरीत लक्षणों के संकेतक जीनी जोड़े को कहा जाता है।
[LDC – 12.08.2018][LDC-23.10.2016][CET-4.2.2023 (S-II)][CET-4.2.2023 (S-I)](1) एलील
(2) F, पीढ़ी
(3) जीनी प्रारूप
(4) एकल संकर
Ans. (1)
व्याख्या –
एकल जीन के वैकल्पिक रूप जो विपरीत लक्षणों की एक जोड़ी के लिए कोड को एलील के रूप में जाना जाता है, अर्थात मटर के पौधे की ऊँचाई का निर्धारण करने वाले लंबे और बौने एलील।
43. अधिकांश Bt आविष कीट – समूह- विशिष्ट होते हैं। इस आविष को कोडित करने वाले जीन का नाम है-
[ACF & FRO Exam – 18.02.2021](1) cry
(2) dry
(3) fry
(4) gry
Ans. (1)
व्याख्या –
B1 – कपास बेसिलस-थूरेंजिएन्सीस (Bt) नामक जीवाणु का जीवन, जीन अभियांत्रिकी द्वारा कपास में स्थानांतरित करके Bt-कपास प्राप्त करते हैं। बालवर्म (एक प्रकार की कीट) कपास के फल (केप्सूल) के रस का चूसण करते हैं, जिससे कपास की फसल की पैदावारी प्रभावित होती है। बीटी जीवविष जीन जीवाणु से क्लोनिकृत होकर पौधों में अभिव्यक्त होकर कीटों (पीड़कों) के प्रति प्रतिरोधकता पैदा करता है जिससे कीटनाशकों के उपयोग की आवश्यकता नहीं रह गई है। इस तरह से जैव-पीड़कनाशकों का निर्माण होता है। जीव विष जिस जीन द्वारा कूटबद्ध होते हैं उसे क्राई कहते हैं। ये कई प्रकार के होते हैं। उदाहरणस्वरूप – जो प्रोटींस जीन क्राई 1 एसी व क्राई 2 एबी द्वारा कूटबद्ध होते हैं वे कपास के मुकुल कृमि को नियंत्रित करते हैं जबकि क्राई । एबी मक्का छेदक को नियंत्रित करता है।
44. Bt ऑक्सिन एक जीवाणु से प्राप्त किया जाता है, वह जाना जाता है-
[Dy.Commandant Exam-23.08.2020](1) बैसिलस सबटिलस के नाम से
(2) बैसिलस नौडिस के नाम से
(3) बैसिलस थुरिंजिएसिस के नाम से
(4) बैसिलस थर्मोलिस के नाम से
Ans. (3)
45. बी.टी. पादप में बी.टी. का मतलब है-
[I Grade School Lecturer 2016](1) भारत प्रौद्योगिकी
(2) वानस्पतिक प्रौद्योगिकी
(3) बैसिलस थूरिंजिएन्सिस
(4) जैव-प्रौद्योगिकी
Ans. (3)
46. कथन (A): कीट प्रतिरोधी ट्रांसजेनिक कपास, बीटी (Bt) जीन प्रवेशित कराकर उत्पन्न की गई है।
कारण (R): बीटी (Bt) जीन कीटों से प्राप्त की गई है। कूटों का उपयोग करते हुये सही उत्तर का चयन कीजिए:
(R.A.S. Pre. Exam.-19.11.2013)
कूट :
(1) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(2) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(3) कथन (A) सत्य है, तथा (R) असत्य है।
(4) कथन (A) असत्य है, तथा (R) सत्य है।
Ans. (3)
47. कौन सा कथन आनुवांशिक रूप से रूपान्तरित फसलों के लिए सत्य नहीं है?
[RPSC LDC-23.10.2016](1) आनुवांशिक रूपान्तरण फसलों को अजैविक तनावों के प्रति अधिक सहनशील बनाते हैं।
(2) आनुवांशिक रूपान्तरण रासायनिक पीड़कनाशियों पर निर्भरता को कम करते हैं।
(3) आनुवांशिक रूपान्तरण खनिज उपयोग की क्षमता को कम करते हैं।
(4) आनुवांशिक रूपान्तरण फसल कटने के बाद होने वाली हानियों को कम करते हैं।
Ans. (3)
व्याख्या –
ऐसे पौधे, जीवाणु, कवक व जन्तु जिनके जींस हस्तकौशल द्वारा परिवर्तित किये जा चुके हैं, आनुवांशिकतः रूपान्तरित जीव कहलाते हैं। आनुवांशिक रूप से रूपान्तरित पौधों का उपयोग कई प्रकार से लाभदायक है-
(i) अजैव प्रतिबलों (ठंडा, सूखा, लवण, ताप) के प्रति अधिक सहिष्णु फसलों का निर्माण
(ii) रासायनिक पीड़ानाशकों पर निर्भरता कम करना।
(iii) कटाई पश्चात होने वाले (अनादि) नुकसानों को कम करने में सहायक।
(iv) पौधों द्वारा खनिज उपयोग क्षमता में वृद्धि।
(v) खाद्य पदार्थों के पौषणिक स्तर में वृद्धि।
48. डी.एन.ए. एवं आर. एन. ए. में समानता है कि दोनों-
[RPSC LDC-11.01.2014](1) न्यूक्लिओटाइड्स के बहुलक हैं
(2) द्वि सूत्री हैं
(3) इनमें समान शर्करा हैं
(4) इनमें समान पिरिमिडीन हैं
Ans. (1)
व्याख्या –
बहु न्यूक्लियोटाइड डीएनए अणु का निर्माण करते हैं। जन्तु एवं पादप दोनों की कोशिकाओं के केन्द्रक में DNA उपस्थित होता है जब RNA कोशिका द्रव्य में पाया जाता है। दोनों ही न्यूक्लिओटाइड के बहुलक हैं।
49. DNA का चाकू (Knife) कहलाता है- [LDC-17.2.2012](1) लाइगेज (Ligase)
(2) गायरेज (Gyrase)
(3) प्रतिबन्धित एन्डोन्यूक्लिऐज (Restriction Endonuclease)
(4) हेलिकेज (Helicase)
Ans. (3)
व्याख्या –
प्रतिबंधित इन्डोन्यूक्लिएज एक एंजाइम है जो DNA को काटता हैं अतः इसे DNA Knife कहा जाता है।
50. निम्नलिखित में से कौनसा नाइट्रोजनीक्षार डी.एन.ए. से संबंधित नहीं है
[महिला पर्यवेक्षक -29.11.2015](1) एंडीनिन
(2) यूरेसिल
(3) ग्वानीन
(4) साइटोसीन
Ans. (2)
व्याख्या –
नाइट्रोजनी क्षारक (Nitrogenous bases) : प्रत्येक न्यूक्लिक अम्ल में चार भिन्न-दो प्यूरिन और दो पायरिमिडीन होते है।
(अ) प्यूरिन क्षारक : इनमें एक षट्कोणीय वलय के साथ पंचकोणीय इमीडाजौल वलय (Imidazole ring) होती है। उदाहरण – एडीनिन (Adenine) तथा गुआनिन (Guanine)I
(ब) पिरीमिडीन (Pyrimidine) : इनमें केवल एक षटकोणीय वलय होती है। ये तीन प्रकार के होते है जिनमें थायमीन (Thymine) केवल DNA में, साइटोसिन (Cy-tosine) DNA एवं RNA दोनों में तथा युरेसिल (Uracil) केवल RNA में पाया जाता है। सामान्यतः एक प्यूरीन एक पिरीमिडीन से मिलकर एक युगल बनाते हैं। एडीनिन हमेशा थायमीन के साथ एवं गुआनिन हमेशा साइटोसिन के साथ ही जुड़ती है। A = T के मध्य दो हाइड्रोजन बन्ध तथा G = C के मध्य तीन हाइड्रोजन बन्ध होते हैं। AT/GC अनुपात में विभिन्नताएँ पाई जाती है। विषाणु, प्रौकेरियोट एवं निम्न वर्ग के पौधों में A-T की तुलना में G-C अधिक होते है तथा उच्च वर्ग के पौधों एवं जन्तुओं में A-T अधिक होते है।
51. कौनसा नाइट्रोजनी क्षार पायरिमिडिन का भाग नहीं है?
[जेल प्रहरी परीक्षा-20.10.2018 (Shift-III)](1) यूरेसिल
(2) थायमीन
(3) साइटोसीन
(4) ग्वानीन
Ans. (4)
52. आर.एन.ए. अणु में थाइमिन के स्थान पर पाया जाने वाला नाइट्रोजिनस क्षारक है-
[LDC-09.09.2018](1) ऐडीनिन
(2) यूरेसिल
(3) गुआनिन
(4) साइटोसिस
Ans. (2)
53. डी.एन.ए. अणु के दोनों सूत्र अपने-अपने नाइट्रोजनी क्षारक द्वारा किसी बन्ध से जुड़े होते हैं-
[LDC-12.08.2018](1) आयनिक
(2) हाइड्रोजन
(3) सल्फाईड
(4) सहसंयोजक
Ans. (2)
54. R.N.A. का मुख्य कार्य है-
(1) पाचन क्रिया में सहायता करना
(2) प्रोटीन संश्लेषण में सहायता करना
(3) दोनों
(4) इनमें से कोई नहीं
Ans. (2)
व्याख्या –
R.N.A. (Ribonucleic Acid) का मुख्य कार्य प्रोटीन संश्लेषण में सहायता करना है। R.N.A. कोशिका के अन्दर संदेशवाहक का भी कार्य करते हैं।
55. अग्रोस जैल पर पृथक्करण के पश्चात् डी.एन.ए. के टुकड़ों को किस डाई की सहायता से देखा जा सकता है?
[Industry Inspector Exam 24.06.2018](1) ब्रोमोफिनॉल ब्लू
(2) एनीलिन ब्लू
(3) एथीडियम ब्रोमाइड
(4) एसीटोकार्मिन
Ans. (3)
व्याख्या-
डीएनए के साथ-साथ आरएनए को आम तौर पर एथीडियम ब्रोमाइड के साथ धुंधला करके देखा जाता है, जो यूवी प्रकाश के तहत डीएनए और फ्लोरोसेंट के प्रमुख खांचे में जुड़ता है। इंटरकलेशन डीएनए की सांद्रता पर निर्भर करता है और इस प्रकार, उच्च तीव्रता वाला बैंड कम तीव्रता वाले बैंड की तुलना में अधिक मात्रा में डीएनए का संकेत देगा। एथीडियम ब्रोमाइड को जेल से पहले agarose के घोल में मिलाया जा सकता है, या डीएनए जेल को वैद्युतकणसंचलन के बाद बाद में दाग दिया जा सकता है। जेल का पता लगाना आवश्यक नहीं है, लेकिन बेहतर छवियाँ उत्पन्न कर सकता है।
56. डी.एन.ए. संश्लेषण का प्रतिपादन किसने किया था?
(1) कॉर्नबर्ग
(2) जॉन्सन
(3) बेत्सन
(4) ओचोया
Ans. (1)
व्याख्या –
डी.एन.ए. के संश्लेषण का प्रतिपादन आर्थर कॉर्नबर्ग ने किया था। इसीलिए इनको वर्ष 1959 में चिकित्सा विज्ञान का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।
57. प्रोटीन संश्लेषण में कौन से घटक अपना योगदान देते हैं?
[RPSC LDC-11.01.2014](1) न्यूक्लीयस तथा राइबोसोम
(2) न्यूक्लीयस, राइबोसोम तथा एन्डोप्लाज्मिक झिल्ली
(3) राइबोसोम
(4). राइबोसोम तथा माइट्रोकॉंड्रिया
Ans. (2)
व्याख्या –
न्यूक्लिक अम्लों तथा प्रोटीनों के पारस्परिक सम्बन्ध को केन्द्रीय सिद्धान्त (Central Dogma ) के रूप में जाना जाता है। इसका प्रतिपादक क्रिक (Crick, 1958) द्वारा किया गया। मोटे रूप में केन्द्रक में स्थित डीएनए द्वारा कोशिकाद्रव्य में सम्पन्न होने वाली प्रोटीन स्थित डीएनए द्वारा कोशिका द्रव्य में सम्पन्न होने वाली प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया का जिस प्रकार निर्देशन एवं नियंत्रण किया जाता है, उसे प्रोटीन संश्लेषण का केन्द्रीय सिद्धान्त कहते हैं। अर्थात् केन्द्रकीय डीएनए द्वारा mRNA के माध्यम से कोशिका द्रव्य में सम्पन्न होने वाली प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया के नियंत्रण को ही क्रिक ने प्रोटीन संश्लेषण का केन्द्रीय सिद्धान्त कहा है। यह सिद्धान्त मूल रूप से लगभग सभी जीवधारियों पर लागू होता है।
58. प्रोटीन संश्लेषण के केन्द्रीय सिद्धान्त (Central Dogma) का प्रतिपादन किया-
[RPSC LDC – 17.02.2012](1) वाट्सन ने
(2) जेकब ने
(3) क्रिक ने
(4) कारनबर्ग ने
Ans. (3)
59. जैवउपचारण से तात्पर्य है?
[RAS Pre. Exam. 2007](1) जीवों द्वारा पर्यावरण से विषैले पदार्थों का निष्कासन
(2) रोगाणुओं व पीड़कों पर जैविक नियंत्रण
(3) शरीर में अंगों का प्रत्यारोपण
(4) सूक्ष्मजीवों की सहायता से रोगों का निदान
Ans. (1)
व्याख्या –
जैव उपचारण (अर्थात् जीवों द्वारा उपचार) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें सूक्ष्मजीवों जैसे- जीवाणुओं या उनके एंजाइमों का उपयोग करके किसी प्रदूषित हो चुके पर्यावरण को पुनः उसकी मूल स्थिति में लाने का प्रयास किया जाता है। उदाहरण के लिए जब सागर के जहाजों या मानवीय कारणों से तेल का रिसाव हो जाता है, तो वह समुद्री जल को विषैला व प्रदूषित बना देता है, जिससे कई तरह के समुद्री जीवों की मृत्यु तक हो जाती हैं इस स्थिति में कच्चे तेल के अपघटन के लिए कई तकनीकों का प्रयोग किया जाता है, जिसमें जैव उपचारण प्रमुख है, इसमें उर्वरकों का प्रयोग कर जीवाणुओं द्वारा कच्चे तेल के अपघटन की प्रक्रिया को तेज किया जाता है।
60. वह अभिक्रिया जिससे उपयोगी जीन की कई प्रतिकृतियों का संश्लेषण पात्रेविधि द्वारा किया जाता है, कहलाती है
[Industry Inspector Exam 24.6.2018](1) RAPD
(2) ELISA
(3) RIA
(4) PCR
Ans. (4)
व्याख्या –
पोलीमरेज श्रृंखला अभिक्रिया (Polymerase Chain Reaction) एक पात्रे डीएनए प्रवर्धन तकनीक (In-vitro DNA amplification technique) है, जिसके द्वारा किसी जीन या वांछित डीएनए की लाखों प्रतियों को कुछ ही समय में संश्लेषित (Synthesis) किया जा सकता है।
61. जैव-आवर्धन से तात्पर्य है?
[RAS Pre. Exam. 2009](1) शरीर में कैन्सर कोशिकाओं का तेजी से बढ़ना।
(2) उत्तरोत्तर पोषण स्तरों के जीवों में पीड़कनाशियों की मात्रा का बढ़ना।
(3) शरीर के सूक्ष्मदर्शीय भागों को सूक्ष्मदर्शी से देखना।
(4) विशिष्ट क्षेत्र में एक जाति के सदस्यों की संख्या का अचानक बढ़ना।
Ans. (2)
व्याख्या –
आहार श्रृंखला में जीव एक-दूसरे का भक्षण करते हैं। इस प्रक्रम में कुछ हानिकारक रासायनिक पदार्थ आहार श्रृंखला के माध्यम से एक जीव से दूसरे जीव में स्थानान्तरित हो जाते हैं। इसे ही जैव आवर्धन कहते हैं। आसान भाषा में समझे तो फलों को रोगों से बचाने या भूमि की उर्वरता बढ़ाने हेतु छिड़के गये कई तरह से कीटनाशक या पीड़ानाशक रसायन (जैसे-DDT) एवं औद्योगिक अपशिष्ट तथा अन्य कुछ मानवीय क्रियाओं के कारण धरती पर कुछ विषैले व हानिकारक रसायन फैल जाते हैं, जिन्हें पेड़-पौधे अन्य खनिजों के साथ ग्रहण कर लेते हैं। उसके बाद ये हानिकारक रसायन पेड़-पौधे खाने वाले शाकाहारी जीवों में प्रवेश कर जाते हैं और जब मांसाहारी जीव इन जीवों को खाते हैं तो उनके शरीर में भी इन हानिकारक रसायनों की सघनता बढ़ जाती है। यहि प्रक्रम जैव-आवर्धन कहलाता है। जैव-आवध ‘न होने का प्रमुख कारण यह है कि ये हानिकारक रसायन पोषण के किसी भी स्तर पर विघटित नहीं होते बल्कि संचित होते जाते हैं।
62. विषाक्त पदार्थों की सांद्रता में प्रत्येक ट्राफिक लेवल पर वृद्धि कहलाती है-
[Dy. Commandant – 23.08.2020](1) जैव क्षरण
(2) शैवाल का फैलाव
(3) जैव आवर्धन
(4) जैव उपचार
Ans. (3)
63. जीन अभियान्त्रिकी सम्बन्धित है-
[Gr. Lec. 2016](1) लिपिड के परिवर्तन से
(2) न्यूक्लिक अम्लों के परिवर्तन से
(3) कार्बनिक अम्लों के परिवर्तन से
(4) कार्बोहाइड्रेटों के परिवर्तन से
Ans. (2)
व्याख्या-
वह तकनीक जिसमें एक जाति के DNA को दूसरी प्रजाति के DNA में प्रवेश करवा कर पुनर्योजी DNA (recombinant DNA) प्राप्त किया जाता है, आनुवांशिक अभियांत्रिकी या पुनर्योजी DNA तकनीक कहलाती है। जीन अभियांत्रिकी शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ए.सी. पालर्ब ने किया।
64. जीव के क्लोन के सम्बन्ध में निम्न में से कौनसा कथन सही है?
[R.A.S. Pre Exam, 2003](1) क्लोन में माता-पिता दोनों के लक्षण पाये जाते हैं।
(2) क्लोन अलैंगिक विधि से उत्पन्न किया जाता हैं।
(3) एक समान जुड़वाँ एक ही जीव के क्लोन होते हैं।
(4) एक जीव के दो क्लोन एक समान नहीं होते हैं।
Ans. (2)
व्याख्या-
एक ही जनक (माता या पिता) से गैर लैंगिक विधियों द्वारा उत्पन्न संतति जो आकारिकी व आनुवांशिकी में जनक के समरूप होती है, “क्लोन” कहलाती है। क्लोन एक समान आनुवांशिक संघटन वाली कोशिकाओं की कॉलोनी है। क्लोनिंग समरूपी जीवों को उत्पन्न करने की एक विधि है, जिसकी सहायता से पौधों में कलम काटकर समान लक्षण वाले नये पौधे तैयार किये जाते हैं।सूक्ष्मजीवी (Microbes) अलैंगिक जनन द्वारा क्लोन उत्पन्न करते हैं। उच्च कोटि के प्राणियों में केन्द्रक प्रतिरोपण तकनीक (Nuclear trans-plantation-technique) द्वारा केन्द्रक विहीन डिम्ब (egg) में दैहिक कोशिका के केन्द्रक को प्रवेश कराकर समरूप क्लोन प्राप्त किये जाते हैं। जन्तु क्लोनिंग में सफलता सर्वप्रथम 1950 में ब्रिग्स एवं किंग को मिली जब इन्होंने मेंढ़क का क्लोन बनाया। इनको जन्तुओं में क्लोनिंग का जनक कहा जाता है तथा सुश्री ब्रिगिट बोसलियर को मानव क्लोनिंग की जनक कहा जाता है।
65. क्लोन (Clone)….. …की कॉलोनी है।
(1) भिन्न-भिन्न आकार वाली कोशिकाएँ
(2) एक समान आकार वाली कोशिकाएँ
(3) एक समान आनुवांशिक संघटन वाली कोशिकाएँ
(4) भिन्न-भिन्न आनुवांशिक संघटन वाली कोशिकाएँ
Ans. (3) व्याख्या – उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
66. एक वयस्क दैहिक कोशिका से क्लोन की गई पहली स्तनपायी, डॉली (भेड़) के बारे में कौन सा तथ्य सही नहीं है?
[R.A.S. Pre. Exam.-28.08.2016](1) फेफड़ों की बीमारी के कारण डॉली का निधन हुआ था।
(2) डॉली स्कॉटलैंड में पैदा हुई थी।
(3) डॉली की मृत्यु 2003 में हुई थी।
(4) डॉली वर्ष 1998 में पैदा हुई थी।
Ans. (4)
व्याख्या –
सन् 1995 में डॉ. इयान विल्मट (Dr. Ian Wilmut) एवं सहयोगियों ने रोजलिन इंस्टीट्यूट स्कॉटलैण्ड (Roslin Institute, Scotland) में “डॉली” नामक भेड़ को केन्द्रक प्रतिरोपण तकनीक द्वारा बनाया किया था। इस क्लोन को बनाने हेतु उन्होंने स्तन की (Udder) कायिक कोशिकाओं का प्रयोग किया।
67. वयस्क दैहिक कोशिका से क्लोन किया जाने वाला सबसे पहला स्तनपायी था-
[कर सहायक- 14.10.2018][बेसिक कम्प्यूटर अनुदेशक – 18.06.2022](1) गाय
(2) भेड़
(3) कुत्ता
(4) खरगोश
Ans. (2)
68. निम्न में से बन्दर का क्लोन है-
[RPSC LDC-17.2.2012](1) डोली (Dolly)
(2) एन्ड्री (Andry)
(3) पोली (Polly)
(4) चार्ली (Charlie)
Ans. (2).
व्याख्या –
वह प्रक्रिया जिसके माध्यम से सम्पूर्ण DNA या किसी जीन की कई प्रतियाँ बनाई जा सकती हैं क्लोनिंग कहलाती है। एन्ड्री बंदर का क्लोन है जिससे उसकी प्रजातियाँ बनाई गई हैं।
69. निम्नलिखित में से कौन-सी सबसे पहली ट्रांसजैनिक गाय है-
[महिला पर्यवेक्षक -29.11.2015 (Non-TSP)](1) रोजी
(2) डोली
(3) मोली
(4) एंडी
Ans. (1)
व्याख्या –
ट्रांसजैनिक एनिमल का अर्थ है कि एक ऐसा जीव जिसे बनाने में कृत्रिम ढंग से दूसरी प्रजाति के जंतु का जीन शामिल हो। पहली ट्रांसजैनिक गाय अर्जेंटीना की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रोबिजनेस टेक्नोलॉजी लेब द्वारा विकसित की गई।
70. निम्नलिखित में से एक ट्रान्सजैनिक जन्तु है-
[RPSC LDC-17.02.2012](1) पोमेटो (Pomato)
(2) प्लमकोट (Plumcot)
(3) जीप (GEEP)
(4) कोई नहीं
Ans. (3)
व्याख्या –
भेड़ व बकरी के भ्रूणों से निर्मित जीव जो भेड़ व बकरी की संकर नस्ल होती है GEEP कहलाती है जिसमें बकरी व भेड़ दोनों के सेल्स उपस्थित होते है।
71. विश्व की प्रथम आनुवांशिकीय रूपान्तरित डेयरी बछड़ी को नाम दिया गया है-
[R.A.S. Pre. 19.11.2013](1) डोली
(2) जौली
(3) लेक्स
(4) रिवर्स
Ans. (3)
72. डी.एन.ए. अंगुलि-छाप का प्रयोग किसकी पहचान के लिए किया जाता है?
(1) माता-पिता
(2) बलात्कारी
(3) चोर
(4) उपर्युक्त सभी
Ans. (4)
व्याख्या-
डी. एन. ए. अंगुलि-छाप की खोज सर्वप्रथम ऐलेक जेफ्रिस ने की थी। इसका उपयोग सन्तान के कानूनी रूप से वैध माता-पिता, बलात्कारी पुरुष, चोर इत्यादि की पहचान करने में किया जाता है।
73. DNA फिंगर प्रिन्ट्स का आधार है-
(1) दाता DNA की उपलब्धता
(2) मनुष्य के केरियोटाइप का ज्ञान
(3) रेस्ट्रिक्शन फ्रेगमेंट लेंथ पॉलीमोफर्जिज्म (RFLP)
(4) व्यक्तियों के लक्षण प्रारूपी असमानताएँ
Ans. (2)
74. कथन (a) : ‘डी.एन.ए. फिंगर प्रिंटिंग’ पितृत्व स्थापन तथा बलात्कार वादों में अपराधियों की पहचान हेतु एक महत्त्वपूर्ण परीक्षण बन गया है।
कारण (R) : डी.एन.ए. परीक्षण हेतु बाल, सूखे रक्त व वीर्य के सूक्ष्म नमूने पर्याप्त होते हैं।
[R.A.S. Pre. Exam.-26.10.2013]कूटः
(1) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सत्य हैं तथा कारण (R), कथन (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(2) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सत्य हैं लेकिन कारण (R), कथन (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(3) कथन (A) सत्य है तथा कारण (R) असत्य है।
(4) कथन (A) सत्य है तथा कारण (R) सत्य है।
Ans. (1)
व्याख्या-
डी.एन.ए अंगुली छाप (DNA Finger Print) नाइट्रोजनी क्षारों अर्थात् एडीनिन, थायमीन, गवानिन तथा साइटोसिन के आधार पर किसी व्यक्ति की पहचान करने की विधि ही डी.एन.ए. फिंगर प्रिंट कहलाती है। डी.एन.ए. अंगुली छाप विधि का विकास सर्वप्रथम 1985 में डॉ. एलेक जेफ्रेज ने किया था। इस दिशा में भारत का एकमात्र शोध संस्थान सेल्यूलर एंड मोलेक्यूलर बायोलॉजी केन्द्र (हैदराबाद) ही है। इसकी सहायता से अपराध स्थल पर अपराधी द्वारा अपने शरीर के सजीव-निर्जीव भाग, रक्त, वीर्य, थूक आदि का कोई भी अवशेष यदि छोड़ा जाता है, तो इसकी सहायता से डी.एन.ए. प्रतिरूप की पहचान कर अपराध, माता-पिता तथा उसके पूर्वजों की प्रामाणिकता को भी सिद्ध किया जा सकता है। न्यायालयिक विश्लेषण के लिए जैविक प्रतिदर्श के रूप में रक्त वीर्य, बाल, त्वचा, योनिद्रव आदि का प्रयोग होता है। जहाँ तक इस पद्धति की असफलता का प्रश्न है; तो व्यक्तियों के डी.एन.ए. फिंगर प्रिंट समान होने की प्रायिका 3 × 10-11 (लगभग शून्य) होती है। भारत में इस तकनीक को विधिक मान्यता सन् 1989 में थलसारी (केरल) के कुन्हीरामन बनाम विलासिनी के मामले में मिली इस मामले में जब कुन्हीरामन ने विलासिनी के पुत्र को अपना बच्चा मानने से इनकार कर दिया, तो हैदराबाद स्थित सेल्यूलर एंड मोलेक्यूलर बायोलॉजी केन्द्र (C.C.M.B.) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. लालजी सिंह द्वारा इस तकनीक का प्रयोग कर कुन्हीराम को दोषी ठहराया गया। स्वर्गीय राजीव गाँधी की हत्यारिन ‘धानू’ को प्रमाणित करने के लिए भी इसी तकनीक का प्रयोग किया गया था।
75. डी.एन.ए. फिंगरप्रिन्टिंग की तकनीक किसके द्वारा विकसित की गई थी-
[PSI-13.09.2021](1) एलेक जेफ्रेज एवं सहयोगी
(2) लालजी सिंह एवं सहयोगी
(3) ई.एम. सदर्न एवं सहयोगी
(4) बी. वालेस एवं सहयोगी
Ans. (1)
76. मानवों की पहचान को सुनिश्चित करने के लिए जैव प्रौद्योगिकी आधारित अत्याधुनिक तकनीक को काम में लाया जाता है-
[RAS (Pre) 14 June, 2012](1) बायोमिट्रिक्स अन्वेषण
(2) जीनोम अनुक्रमण
(3) डी.एन.ए. फिंगर प्रिन्टिंग
(4) गुणसूत्र प्ररूपण
Ans. (3)
77. निम्नलिखित में से कौनसी स्थिति ‘टेस्ट ट्यूब बेबी’ की परिघटना को सही रूप से निरूपित करती है?
(1) जब भ्रूण बनने की प्रत्येक प्रक्रिया टेस्ट ट्यूब में होती है।
(2) जब भ्रूण का विकास टेस्ट ट्यूब में होता है
(3) जब निषेचन बाह्य होता है और विकास आंतरिक होता है।
(4) जब निषेचन आंतरिक होता है और विकास बाह्य होता है।
Ans. (3)
व्याख्या-
किसी महिला की अंडवाही नलियां बंद होने या पुरुष द्वारा बहुत कम शुक्राणु पैदा कर पाने की स्थिति में स्त्री की डिम्ब ग्रन्थि से अंडाणु निकाल कर एक तरल माध्यम में शुक्राणुओं द्वारा उनका निषेचन करवाया जाता है। इसके बाद निषेचित अंडाणु को महिला के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया जाता है। टेस्ट-ट्यूब शिशुओं में अंडाणु का निषेचन टेस्ट-ट्यूब में होता है और विकास गर्भाशय में होता है।
78. वर्ष 1978 में सफलतापूर्वक जन्म लेने वाले प्रथम परखनली का नाम रखा गया था-
[कनिष्ठ लेखाकार- 04.08.2015](1) लुसी ब्राउन
(2) दुर्गा
(3) ऐलना स्टीवर्ट
(4) लक्ष्मी
Ans. (1)
व्याख्या-
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In vitro fertilisation) एक ऐसी तकनीक है जिसमें अंडाणु की कोशिका का निषेचन शुक्राणु की सहायता से मादा के शरीर से बाहर होता है। निषेचन के पश्चात् भ्रूण को पुनः मादा के गर्भाशय में प्रतिस्थापित कर दिया जाता है, जहाँ उसका विकास होता रहता है। यह जैव तकनीकी की विधि है जो निसंतान माता-पिता को संतान प्रदान कर सकती है। सर्वप्रथम डॉ. पैट्रिक स्टेप्टोय व डॉ. आर. एडवर्ड ने 25 जुलाई, 1974 को लुइस जॉय ब्राउन नामक परखनली शिशु को पैदा कराने में सफलता प्राप्त की। सरोगेट मदर एक ऐसी महिला होती है जो उस दम्पत्ति के लिए किराए पर अपना गर्भाशय उपलब्ध कराती है जिससे महिला पार्टनर किसी कारणवश अपने गर्भाशय में भ्रूण को धारण करने में अक्षम होती है। सरोगेट मदर को प्रायः जैविकीय माता के रूप में भी जाना जाता है।
79. सही कथनों का चयन कीजिए-
[R.A.S. Pre. Exam.-28.08.2016]1. सर्वप्रथम व्यावसायीकरण किए जाने वाला, आनुवांशिक रूप से अभियांत्रिक कृत फसल उत्पाद, फ्लेवर-सेवर टमाटर था।
2. फ्लेवर-सेवर के पके हुए फल अधिक अवधि के लिए दृढ़ रहते हैं एवं पौधे पर पकने के बाद बाजार में स्थानान्तरित किए जा सकते हैं।
3. फ्लेवर-सेवर के पके हुए फलों में रंग होता है किन्तु पौधों पर पके फलों जैसे पूर्ण सुरुचिक सरणी का अभाव होता है।
कूटः
(1) 1, 2 और 3
(2)1 और 3
(3) 2 और 3
(4)1 और 2
Ans. (4)
80. सुनहरी (गोल्डन) चावल है-
[R.A.S. Pre.-31.10.2015](1) एक ट्रांसजेनिक चावल की किस्म जिसमें कैरोटीन के लिए जीन उपलब्ध है।
(2) चावल की एक जंगली किस्म जिसमें पीले रंग के चावल होते हैं।
(3) चीन की पीली नदी के तट पर उगाई गई चावल की एक किस्म
(4) लम्बे समय के उपरान्त पीली आभा (टिन्ट) वाले चावल।
Ans. (1)
व्याख्या –
सुनहरी चावल (गोल्डन चावल) ऑनाइजा सटाइवा चावल की एक किस्म है जिसे बीटा कैरोटिन, जो खाने वाले चावल में प्रो-विटामिन A का अगुआ है, के जैव संश्लेषण के लिए जेनेटिक इंजीनियरिंग के द्वारा बनाया जाता है।
81. कौन से प्रकार का धान आनुवांशिक अभियांत्रिकी द्वारा विकसित किया गया है?
[Nurse-03.02.2024](1) भूरा चावल
(2) काला चावल
(3) गोल्डन चावल
(4) जैसमीन चावल
Ans. (3)
82. आनुवंशिकतः रूपांतरित ‘गोल्डन राइस’ का आविष्कार ………… की कमी से लड़ने के लिए किया गया था।
[महिला पर्यवेक्षक परीक्षा- 06.01.2019](1) आयरन (लौह)
(2) विटामिन-डी
(3) विटामिन-ए
(4) उपर्युक्त सभी
Ans. (3)
83. अभी हाल ही चर्चा में आए स्वर्ण चावल किस पद्धति से विकसित किए गए हैं ?
[RPSC LDC-11.01.2014](1) लैंगिक जनन द्वारा (By Sexual reproduction)
(2) पराजीनी तकनीक द्वारा (by transgenic technique)
(3) पादप संकरण विधि द्वारा (by plant hybridization technique)
(4) अलैंगिक जनन द्वारा (by asexual reproduction)
Ans. (2)
व्याख्या-
हाल ही में चर्चा में आए स्वर्ण चावल पराजीनी तकनीक से विकसित किए गए हैं। पराजीनी तकनीक में उत्तम गुणों के लिए उत्तरदायी जीवों का प्रतिस्थापन अन्य पादपों में कर उत्तम गुणों से युक्त पादप प्राप्त किये जाते हैं। आनुवांशिक परिवर्तन करके विटामिन A की कमी को दूर करने हेतु चावल के पौधों पर तीन जीनों का प्रत्यारोपण किया जाता है जिससे पौधा बीटा केरोटीन युक्त पीले रंग का चावल उत्पन्न करता है जो विटामिन A का प्रमुख स्रोत माना जाता है।
84. पराजीनी फसल ‘स्वर्ण चावल’ किस वांछनीय लक्षण के लिए तैयार की गई है?
[RAS Pre. Exam. 2009][CET-4.2.2023 (S-II)][Dy. Commandant – 23.08.2020](1) विटामिन ‘ए’
(2) आवश्यक अमीनो अम्ल
(3) इन्सुलिन
(4) लाक्षणिक मंड
Ans. (1)
85. पहली फसल जिसका जीनोम अनुक्रमित किया गया है, है-
[महिला पर्यवेक्षक परीक्षा- 06.01.2019](1) चावल
(2) गेहूँ
(3) मक्का
(4) जई
Ans. (1)
86. मानव जीनोम परियोजना का नेतृत्व किसने किया था?
(1) फ्रांसिस क्रिक और जेम्स वाटसन
(2) क्रेग वेंटर और फ्रांसिस कॉलिन्स
(3) ग्रेगर मेण्डल
(4) विलियम बेटसन
Ans. (2)
व्याख्या:
मानव जीनोम परियोजना का नेतृत्व क्रेग वेंटर और फ्रांसिस कॉलिन्स ने किया था। यह 1984 में आरम्भहुआ।
87. निम्न में से किन पराजीनी जन्तुओं का उत्पादन अधिकतम संख्या में किया जाता है? [LDC-23.10.2016](1) चूहों का
(2) खरगोशों का
(3) सूअरों का
(4) भेड़ों का
Ans. (1)
व्याख्या –
ऐसे जन्तुओं जिनके DNA में परिचालन द्वारा एक अतिरिक्त (बाहरी) जीन व्यवस्थित होता है जो अपना लक्षण व्यक्त करता है उसे पराजीवी या पराजीनी जन्तु कहते हैं। पराजीवी चूहे, खरगोश, सूअर, भेड़, गाय व मछलियाँ आदि पैदा हो चुके हैं। उसके बावजूद उपस्थित पराजीनी जन्तुओं में 95 प्रतिशत से अधिक चूहे हैं।
88. भारत में जैवपेटेन्ट के संदर्भ में क्या सत्य है !
[RPSC LDC-11.01.2014](1) सन् 2001 में पेटेन्ट प्रक्रिया हेतु भारत ने बूडापेस्ट संधि की।
(2) सन् 2002 से पूर्व जीवित सत्व एवं जैविक वस्तुओं पर पेटेन्ट की अनुमति नहीं थी।
(3) जैव तकनीक के क्षेत्र में पेटेन्ट प्रदान करने हेतु सन् 2002 में कानून में संशोधन हुआ।
(4) उपर्युक्त सभी
Ans. (4)
व्याख्या-
भारत में पेटेन्ट वैधता सीमा 20 वर्ष है। पेटेन्ट कानून 1970, 20 अप्रैल, 1972 को प्रभावी हुआ। 2001 में भारत ने बूडापेस्ट संधि की। 2002 में संशोधन हुआ।
89. किस वर्ष में भारतीय पेटेन्ट अधिनियम पारित हुआ था?
[LDC-09.09.2018](1) 1960
(2) 1970
(3) 1980
(4) 1990
Ans. (2)
90. पशुओं, विशेषतः दुधारू-गो, के अनुपूरक भोजन के रूप में प्रयुक्त जैव-उर्वरक है-
[R.A.S.-28.8.2016](1) अजोला
(2) राईजोबियम
(3) अजोस्पाइरीलियम
(4) अजोटोबैक्टर
Ans. (1)
व्याख्या –
एजोला (Azolla) – एक तैरती हुई फर्न है, जो शैवाल से मिलती-जुलती है। सामान्यतः एजोला धान के खेत या उथले पानी में उगायी जाती है। एजोला एक जैव उर्वरक है। एक तरफ जहाँ इससे धान (चावल) की उपज बढ़ती है, वहीं ये कुक्कुट, मछली और पशुओं के चारे के काम आता है। एजोला की पत्तियों में एनाबिना नामक नील हरित शैवाल के जाति का एक सूक्ष्मजीव होता है, जो सूर्य के प्रकाश में वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करता है और हरे खाद की तरह फसल को नाइट्रोजन की पूर्ति करता है। एजोला पशुओं के लिये पौष्टिक आहर भी है। पशुओं को एजोला खिलाने से उनका दुग्ध उत्पादन बढ़ता है। एजोला का उपयोग बायोडीजल तैयार करने, खाद्य पदार्थ जैसे-चटनी व पकोड़े बनाने, सजावट इत्यादि में भी किया जाता है। भारत में एजोला की लगभग सात-आठ किस्म पायी जाती है जिसमें Junwer 29 सर्वोत्तम है।
91. निम्न में से किस फसल में एजोला-एनाबीना जैव-उर्वरक का उपयोग किया जाता है?
[RAS Pre. Exam. 2009](1) गेहूँ
(2) चावल
(3) सरसों
(4) कपास
Ans. (2)
92. निम्नलिखित में से कौन सा अल्फा-लिनोलेनिक अम्ल (18 कार्बन युक्त ओमेगा-3 फैटी अम्ल ) का सर्वोत्तम स्रोत है?
[R.A.S. Pre. Exam.-28.08.2016](1) जई
(2) अलसी
(3) मोठ
(4) मूंग
Ans. (2)
व्याख्या-
वसा अम्ल (फैटी एसिड) कार्बन परमाणुओं की लम्बी श्रृंखला द्वारा गठित कार्बनिक अम्ल है, जिनके सिरे पर कार्बोक्सिलिक मूलक (-COOH) होता है। यह संतृप्त (Saturated) तथा असंतृप्त (Unsaturated) दोनों ही प्रकार का होता हैं जिस वसा अम्ल के सभी बंध एकल होते संतृप्त वसा अम्ल तथा जिसमें एकल के अतिरिक्त द्विबंध या त्रिबंध होते हैं, उसे असंतृप्त वसा अम्ल की श्रेणी में रखते हैं। अल्फा-लिनोलेनिक अम्ल एक असंतृप्त वसा अम्ल है, जिसमें 18 कार्बन परमाणु कड़ियाँ और तीन शीर्ष दोहरे बंध होते हैं। फिजियोलॉजिकल साहित्य में इसे 18:3 (n-3) लिखते हैं। इसका आण्विक सूत्र C, H, O, है। अल्फा-लिनोलेनिक अम्ल 302 कई सामान्य वनस्पति तेलों में पाया जाता है, किन्तु अलसी के बीज या तेल में यह प्रचुर मात्रा में उपस्थित रहता है।
93. अत्यधिक घनी मानव जनसंख्या से प्राकृतिक आवासों के विनाश के फलस्वरूप उत्पन्न जैव-विविधता प्रखर स्थल (बायोडाइवर्सिटी हॉट स्पॉट) पाये जाते हैं :
[R.A.S. Pre. Exam.-19.11.2013](1) बांग्लादेश में
(2) चीन में
(3) भारत में
(4) इण्डोनेशिया में
नीचे दिये गये कूटों में से सही उत्तर का चयन कीजियेः
(1) (i) एवं (ii)
(2) (ii) एवं (iv)
(3) (i), (ii) एवं (iii)
(4) (ii), (iii) एवं (iv)
Ans. (4)
व्याख्या-
विश्व में वे जैव भौगोलिक क्षेत्र जहाँ उच्च या समृद्ध जैविक विविधता पाई जाती है, जैव विविधता तप्त स्थल (Bio) कहलाते हैं। विश्व के जैव विविधता बाहुल्य क्षेत्रों में भारत के हिमालय क्षेत्र, पश्चिमी घाट, श्रीलंका, इण्डो बर्मा क्षेत्र (भारत-म्यांमार), सुण्डालैण्ड (इण्डोनेशिया) व निकोबार द्वीप (भारत), वैलेसिया क्षेत्र (इण्डोनेशिया), दक्षिणी मध्य चीन इत्यादि है।
94. हरे फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए कैल्सियम कार्बाइड़ का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि यह उत्पन्न करता है-
[R.A.S. Pre. Exam.-28.08.2016](1) ऑक्सिन
(2) फ्लोरिजन
(3) मिथाईलीन
(4) ऐसीटिलीन
Ans. (4)
व्याख्या :
एसीटिलीन का प्रयोग कच्चे फलों को शीघ्र पकाने में किया जाता है। ज्ञातव्य है कि फलों के रस को सुरक्षित रखने के लिए फार्मिक अम्ल का प्रयोग किया जाता है।
95. ग्लाइफॉस्फेट प्रतिरोधी प्रथम अभियांत्रित फसल “राउण्ड अप रेडी” में रूपान्तरित जीन होती है:
[R.A.S. Pre. Exam.-19.11.2013](1) इनोल पाइरुविक 3-फॉस्फेट ट्रांसफेरेज एन्जाइम के लिये।
(2) इनोल पाइरुवाइलसिकिमेट 3-फॉस्फेट सिन्थेज एन्जाइम के लिये।
(3) फॉस्फोइनोल पाइरुवेट एन्जाइम के लिये।
(4) फॉस्फोइनोल ट्रांसफेरेज एन्जाइम के लिये।
Ans. (2)
व्याख्या-
ग्लाइफोसेट (Glyphosate) एक खरपतवारनाशी है, इसका IUPAC नाम छ. (फॉस्फोनोमिथाइल ग्लाइसिन) हैं यह एक ऑर्गनोफॉस्फोरस यौगिक है, जो पौधे के एंजाइम 5 इनोलपाइरुवाइलसिकिमेट-3-फॉस्फेट सिंथेज को बाधित करने का कार्य करता है। इसे अमेरिकी कम्पनी मोनसेंटो के केमिस्ट जॉन ई. फ्रॉजो द्वारा एक शाकनाशी के रूप में 1970 में खोजा गया। मोनसेंटो इसे 1974 में ‘राउंड अप’ (शाकनाशी) नाम से कृषि उपयोग हेतु बाजार में लायी थी।
96. जलाशयों में न्यूटोफिकेशन होता है-
[R.A.S.-31.10.2015](1) नाइट्रोजीनस पोषक तत्त्वों एवं ओर्थोफोस्फेट के आधिक्य के कारण
(2) जलाशयों में मूर्तियों के विसर्जन के कारण
(3) ऑक्सीजन की कमी के कारण
(4) शैवालों की वृद्धि अथवा शैवाल ब्लूम के कारण
Ans. (1)
व्याख्या-
किसी जलाशय को पोषक तत्त्व से समृद्ध करना सुपोषण (यूट्रोफिकेशन) कहलाता है। सुपोषण की प्रक्रिया में जलाशय में पौधों तथा शैवाल (Algae) का विकास होता है। सुपोषण प्रायः जलीय तंत्र में फॉस्फेट युक्त डिटरजेंटों, उर्वरकों और मलयुक्त जल के मिलने के कारण उत्पन्न होता हैं।
97. पुनर्योगज डी.एन.ए. तकनीक के चरणों का सही अनुक्रम है-
[R.A.S. Pre. Exam.-31.10.2015]A. आनुवांशिक पदार्थ की पहचान एवं पृथक्करण
B. डी एन ए का विखण्डन
C. बाह्य जीन उत्पाद की प्राप्ति
D. प्रवाहिक प्रक्रिया
E. डी एन ए खण्ड को वाहक में जोड़ना
F. इच्छित डी एन ए खण्डों का पृथक्करण
G. रुचि वाले जीन का परिवर्धन
H. पुनर्योगज डी एन ए का पोषी कोशिक/जीव में स्थानान्तरण
(1) H→F G→E→A→D→B→C
(2) C→A→B→D→F→E→G→H
(3) A→D→C→B→E→G→F→H
(4) A→B→F G→E→H→C→D
Ans. (4)
व्याख्या-
पुनर्योगज DNA प्रौद्योगिकी के प्रक्रम- सर्वप्रथम पहचान किये गये DNA का पृथक्करण करते हैं। इसके लिये जीवाणुओं को लाइसोजाइम से, पादप कोशिकाओं को सेलुलेज से तथा कवकों को काइटिनेज एंजाइम द्वारा संसाधित किया जाता है। अंत में द्रुतशीतित एथेनॉल मिलाने से शोधित DNA अवक्षेपित हो जाता है। शोधित DNA को प्रतिबंधित एंजाइम द्वारा काटा जाता है। स्रोत DNA व संवाहक DNA को विशिष्ट प्रतिबंधन एंजाइम द्वारा काटने के बाद इन्हें लाइगेज द्वारा जोड़ा जाता है व पुनर्योगज DNA बन जाता है। पी सी आर की सहायता से DNA पॉलीमरेज एंजाइम का उपयोग कर पात्रे विधि द्वारा उपयोगी जीन की अनेक प्रतिकृतियों का संश्लेषण किया जाता है। इसके बाद पुनर्योगज DNA का परपोषी कोशिका में निवेशन कराते हैं। विजातीय DNA खंड का क्लोनिंग संवाहक में निवेश कराकर किसी भी जीवाणु, पौधा या जंतु कोशिका में स्थानान्तरित करने पर विजातीय DNA इनमें गुणित होने लगता है। सभी प्रौद्योगिकियों का अंतिम उद्देश्य वांछित प्रोटीन का उत्पादन करना होता है। बायोरियक्टर, वांछित उत्पाद पाने के लिए अनुकूलतम परिस्थितियाँ उपलब्ध कराता है।
98. वह टीका जो पुनर्योगज DNA प्रौद्योगिकी द्वारा बनाया जाता है, क्या कहलाता है?
[कनिष्ठ लेखाकार-11.02.2024](1) तीसरी पीढ़ी का टीका
(2) पहली पीढ़ी का टीका
(3) दूसरी पीढ़ी का टीका
(4) चौथी पीढ़ी का टीका
Ans. (1)
99. निम्न फसल समूहों में से कौन सा समूह ऐसा है जिसमें कोई फसल/फसलें जैव-ईंधन के रूप में प्रयुक्त नहीं की जा सकती?
[R.A.S. Pre. Exam.-31.10.2015](1) सोयाबीन, मक्का, रेपसीड
(2) गन्ना, मक्का, सरसों
(3) जेट्रोफा, गन्ना, पाम
(4) मसूर, चुकंदर, गेहूँ
Ans. (4)
व्याख्या-
वन, कृषि या गोबर इत्यादि के अपशिष्ट पदार्थों को जैव ईंधन कहा जाता है और इससे प्राप्त होने वाली ऊर्जा जैव ऊर्जा कहलाती है। इनका प्रयोग करके ऊष्मा, विद्युत या गतिज ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। जैव ईंधन में शामिल है- कृषि अवशेष, लकड़ी, कोयला, सूखा गोबर इत्यादि। जैसे – गन्ने की पत्तियों का उपयोग ईंधन के रूप में करके बिजली उत्पादन किया जाता है, सरसों के अवशेष खाना पकाने हेतु ईंधन के रूप में काम में लिए जाते हैं।
100. एक जैव पद्धति जिसमें पराश्रव्य ध्वनि का उपयोग किया जाता है-
[RAS (Pre) Exam. 14 June, 2012](1) सोनोग्राफी
(2) ई.सी.जी.
(3) ई.ई.जी.
(4) एक्स-रे
Ans. (1)
व्याख्या –
अल्ट्रासाउन्ड (पराध्वनि) स्कैनिंग (Ultra-sound Scanning) : इस तकनीक को इकोग्राफी या सोनोग्राफी (Echography or Sonography) भी कहा जाता है। सोनोग्राफी में ट्रान्सड्यूसर नामक एक युक्ति में उपस्थित लैड जिर्कोनेट (Lead Zirconate) नामक पदार्थ के क्रिस्टल रखे होते हैं। यह गर्भस्थ शिशु की वृद्धि ज्ञात करने व उसकी असामान्यताओं का पता लगाने में सहायक है। सोनोग्राफी द्वारा गुर्दे तथा पित्ताशय की पथरी, आंत्रीय अवरोध (Obstruction in intes-tine), गर्भाशय, फैलोपियन नलिकाओं आदि की असामान्यताओं का पता लगाया जाता है।
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