Hindi Previous Year Question
अपठित गद्यांश में से व्याकरण संबंधी प्रश्न
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अपठित गद्यांश में से व्याकरण संबंधी प्रश्न PYQ
गद्यांश-1
[REET Level-1 Exam. 11.02.2018]
आज हमारे सामने अहं सवाल यह है कि धर्म बड़ा या राष्ट्र? उत्तर में यह निर्विवाद तय होना चाहिये कि राष्ट्र बड़ा है। लेकिन साथ ही आस-पास यह भी देखना है कि राष्ट्र की मौलिक अवधारणाएँ क्या हैं? क्या मिट्टी, पानी, नदी, पहाड़, राजा, प्रजा से ही राष्ट्र की मूर्ति बनती है? नहीं। राष्ट्र की सम्पूर्ण छवि और पूरा व्यक्तित्व हजारों वर्षों की मानवीय चेतना, जीवन के शाश्वत मूल्यों और अपने धरती-आकाश में अखण्ड विश्वास से बनता है। आदमी की वैज्ञानिक और मौलिक बुलन्दियों के साथ उसके सफर में और कुछ भी मुलायम सरीखा साथ रहा है। उसको कतरा- कतरा लेकर भी एक बनने की होशियारी सिखाता रहा है। लम्हा लम्हा के बीच समय के अरसों को बटोरता रहा है।
1. वह शब्द बताइए जिसमें दो उपसर्गों का प्रयोग हुआ है-
(1) निर्माण
(2) निर्विरोध
(3) निरीक्षक
(4) निरंकुश
Ans. (2)
2. इनमें से जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा का सही उदाहरण है-
(1) दानव-दानवता
(2) सर्व-सर्वस्व
(3) चतुर-चतुराई
(4) गाना-गान
Ans. (1)
3.’मौलिक’ शब्द किस वाक्यांश के लिये प्रयुक्त होता है?
(1) मूल से मिलाकर बनाया हुआ।
(2) मूल, जो किसी की नकल न हो।
(3) मूल में विश्वास करना
(4) मूल की स्थापना
Ans. (2)
4. इनमें से ‘आकाश’ का सही पर्याय है-
(1) सर
(2) वासव
(3) व्योम
(4) उत्पल
Ans. (3)
5. ‘आस-पास’ शब्द में कौन-सा समास है?
(1) द्वंद्व
(2) द्विगु
(3) कर्मधारय
(4) तत्पुरुष
Ans. (1)
गद्यांश-2
[REET Level-Exam. 11.02.2018]
‘शिक्षा’ बहुत व्यापक शब्द है। उसमें सीखने योग्य अनेक विषयों का समावेश हो सकता है। पढ़ना-लिखना भी उसी के अन्तर्गत है। इस देश की वर्तमान शिक्षा-प्रणाली अच्छी नहीं। इस कारण यदि कोई स्त्रियों को पढ़ाना अनर्थकारी समझे तो उसे उस प्रणाली का संशोधन करना या कराना चाहिए, खुद पढ़ने-लिखने को दोष न देना चाहिए। लड़कों ही की शिक्षा-प्रणाली कौन-सी बड़ी अच्छी है। प्रणाली बुरी होने के कारण क्या किसी ने यह राय दी है कि सारे स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए जाएँ! आप खुशी से लड़कियों और स्त्रियों की शिक्षा की प्रणाली का संशोधन कीजिए। उन्हें क्या पढ़ना चाहिए, कितना पढ़ना चाहिए, किस तरह की शिक्षा देनी चाहिए और कहाँ पर देनी चाहिए- घर में या स्कूल में इन सब बातों पर बहस कीजिए, जी में आवे सो कीजिए, पर परमेश्वर के लिए यह न कहिए कि स्वयं पढ़ने लिखने में कोई दोष है- वह अनर्थकर है, वह अभिमान का उत्पादक है, वह गृह-सुख का नाश करने वाला है। ऐसा कहना सोलहों आने मिथ्या है।
1. ‘अनर्थकारी’ शब्द का क्या अभिप्राय है?
(1) विपरीत अर्थ करने वाला
(2) अमौद्रिक अर्थ वाला
(3) विशिष्ट अर्थ करने वाला
(4) अनिष्ट करने वाला
Ans. (4)
2. इनमें कौन-सा शब्द पुंल्लिंग के रूप में प्रयुक्त होता है?
(1) शिक्षा
(2) अच्छी
(3) बहस
(4) अभिमान
Ans. (4)
3. इनमें कौन-सा युग्म सही विकल्प है?
(1) गौ-गौओं
(2) गृह-गृहें
(3) स्कूल-स्कूलें
(4) अनेक-अनेकों
Ans. (3)
4. ‘अध्यापक कक्षा में पढ़ा रहा होगा’ वाक्य में कौन-सा काल है?
(1) सामान्य भविष्यत् काल
(2) संभाव्य भविष्यत् काल
(3) संदिग्ध वर्तमान काल
(4) आसन्न भूत
Ans. (3)
5. ‘प्रणाली’ शब्द का सही अर्थ है-
(1) परम्परा
(2) राय
(3) मशवरा
(4) विधान
Ans. (1)
गद्यांश-3
[RUL FLevel-11 xam. 11.02.2018]
गाँधीजी सत्य और अहिंसा को जीवन में सर्वाधिक महत्त्व देते थे, सत्याग्रह व असहयोग आंदोलन द्वारा उन्होंने अंग्रेजों का मुकाबला किया। गाँधीजी सब मनुष्यों को समान मानते थे। धर्म, जाति, सम्प्रदाय, रंग आदि के आधार पर होने वाले भेदभाव को वे मानवता का कलंक मानते थे।
वे आर्थिक असमानता को भी मिटा डालना चाहते थे। वे वर्गविहीन, जातिविहीन समाज में विश्वास रखते थे। सामाजिक न्याय, शारीरिक श्रम को महत्त्व देते थे। गाँधी जी प्रजातांत्रिक राज्य को कल्याणकारी मानते थे। गाँधीजी के अनुसार नैतिक आचरण का जीवन में विशेष स्थान होना चाहिए। सत्य, न्याय, धर्म, अहिंसा, अपरिग्रह, निःस्वार्थ सेवा को मानवता के लिए सच्ची सेवा मानते थे। उनके राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय विचारों में वसुधैव कुटुम्बकम का दृष्टिकोण प्रमुख था। उनकी मान्यता थी कि किसी राष्ट्र का समुचित उत्थान अपने परिवार, जाति, गाँव, प्रदेश तथा देश की समस्याओं के सुधार से हो सकता है। स्वयं को सुधारों, सारा विश्व सुधरेगा उनका कहना यही था।
1. “शरीर यात्रा के लिए जितना आवश्यक हो उससे अधिक पैसा, अन्न आदि का न लेना” अर्थ को व्यक्त करने वाला शब्द है-
(1) अपरिचित
(2) प्रजातांत्रिक
(3) अपरिपक्व
(4) अपरिग्रह
Ans. (4)
2. ‘सत्याग्रह’ में कौन-सी संधि है?
(1) व्यंजन संधि
(2) दीर्घ स्वर संधि
(3) यण स्वर संधि
(4) विसर्ग संधि
Ans. (2)
3. ‘अंग्रेजों का मुकाबला किया’ में ‘काल’ है-
(1) आसन्न भूतकाल
(2) संभाव्य वर्तमान
(3) सामान्य भविष्यकाल
(4) सामान्य भूतकाल
Ans. (4)
4. निम्न में से स्त्रीलिंग कौन सा है?
(1) धर्म
(2) सम्प्रदाय
(3) रंग
(4) जाति
Ans. (4)
5. ‘अ’ उपसर्ग है-
(1) आचरण में
(2) अन्तरराष्ट्रीय में
(3) अहिंसा में
(4) अनुसार में
Ans. (3)
गद्यांश-4
[REET Level-Il Exam. 11.02.2018|
स्वावलंबन सफलता की कुंजी है। स्वावलंबी व्यक्ति जीवन में यश और धन दोनों अर्जित करता है। दूसरे के सहारे जीने वाला व्यक्ति तिरस्कार का पात्र बनता है। निरंतर निरादर और तिरस्कार पाता हुआ वह अपने आप में हीन-भावना से ग्रस्त होने लगता है। जीवन का यह तथ्य व्यक्ति के जीवन पर ही नहीं, वरन जातीय व राष्ट्र पर भी लागू होता है। यही कारण है कि स्वाधीनता संघर्ष के दौरान गाँधीजी ने देशवासियों में जातीय गौरव का भाव जगाने हेतु स्वावलंबन का संदेश दिया था। चरखा-आंदोलन और डांडी कूच इस दिशा में गाँधीजी के बड़े प्रभावी कदम सिद्ध हुए। स्वावलंबन के मार्ग पर चलकर ही व्यक्ति, जाति, समाज अथवा राष्ट्र उत्कर्ष को प्राप्त होते है।
1. ‘तिरस्कार’ शब्द में कौन-सी संधि प्रयुक्त हुई है?
(1) व्यंजन संधि
(2) विसर्ग संधि
(3) यण संधि
(4) गुण संधि
Ans. (2)
2. ‘हीन-भावना’ शब्द में कौन-सा समास है?
(1) कर्मधारय
(2) अव्ययीभाव
(3) द्वंद्व
(4) बहुव्रीहि
Ans. (1)
3. ‘उत्कर्ष’ का सही विलोम बताइए-
(1) अपकर्ष
(2) अपयश
(3) अपकार
(4) अवनति
Ans. (1)
4. ‘स्वावलंबी’ शब्द के लिये प्रयुक्त सही वाक्यांश है-
(1) स्वयं की इच्छा से सेवा करने वाला
(2) स्मरण करने योग्य
(3) जो हर प्रकार से आत्मनिर्भर हो
(4) बिना संकोच बोलने वाला
Ans. (3)
5. इनमें से विदेशी शब्द बताइए-
(1) राष्ट्र
(2) निरंतर
(3) व्यक्ति
(4) दौरान
Ans. (4)
गद्यांश-5
[REET Level-II Exam, 11.02.2018]
आज के विज्ञान-युग में प्रदूषण की समस्या एक बड़ी चुनौती बनकर खड़ी है। उद्योगों के विस्तार के साथ-साथ प्रदूषण भी और अधिक बढ़ा है। धरती पर वायुमण्डल इतना विषैला हो गया है कि किसी भीड़ भरे चौराहे पर साँस लेने में भी दिक्कत महसूस होने लगती है। प्रकृति में जब तक संतुलन बना हुआ था, तब तक जल और वायु दोनों ही शुद्ध थे।
उपयोगितावाद के हाथों प्राकृतिक साधनों का अंधा-धुंध दोहन हुआ है। परिणामस्वरूप वातावरण में निरंतर प्रदूषण बढ़ा ही है। आज स्थिति यह हो गई है कि न केवल हवा बल्कि जल स्रोत भी दूषित हो गए हैं। इतना ही नहीं अब तो ध्वनि-प्रदूषण के भी दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। यदि हम अब भी नहीं सँभले तो उसके विनाशकारी परिणाम शीघ्र सामने आएँगे।
1. कौन-सा शब्द पुंल्लिंग शब्दों से असंगत है?
(1) विनाश
(2) स्थिति
(3) वातावरण
(4) परिणाम
Ans. (2)
2. इनमें से वह शब्द बताइए जिसका वचन अथवा लिंग किसी भी परिस्थिति में नहीं बदलता-
(1) आलसी
(2) लिपि
(3) दीवार
(4) जल
Ans. (4)
3. ‘उपयोगितावाद’ शब्द का सही अर्थ बताइए-
(1) वह सिद्धान्त जिसमें किसी वस्तु की उपयोगिता बताई जाए।
(2) मौलिक उत्पत्ति का सिद्धान्त
(3) अधिक से अधिक लोगों का अधिक से अधिक हित साधन धर्म
(4) उपयोग में लाने का भाव
Ans. (3)
4. ‘यदि हम अब भी नहीं सँभले तो उसके विनाशकारी परिणाम शीघ्र सामने आएँगे’ वाक्य में कौन से काल की प्रयुक्ति हुई है?
(1) आसन्न भूतकाल
(2) संदिग्ध वर्तमान
(3) आज्ञार्थ वर्तमान
(4) संभाव्य भविष्यत्
Ans. (4)
5. “सभी चौराहों पर बहुत भीड़ रहती है’ वाक्य में रेखांकित शब्द का अर्थ बताइए-
(1) चार मंजिलों का भवन
(2) वह स्थान जहाँ चार रास्ते मिलते हों।
(3) चारों तरफ देखने वाला
(4) एकाधिक स्थान जहाँ चार रास्ते मिलते हों।
Ans. (4)
गद्यांश-6
[REET Level-ll Exam, 11.02.2018]
“मानव के पास समस्त जगत को देखने-परखने के दो नजरिए हैं एक आशावादी, दूसरा निराशावादी। इसे सकारात्मक और नकारात्मक दृष्टि भी कहते हैं।
जो आशावादी या सकारात्मक मार्ग पर चलते हैं, वे सदैव आनन्द की अनुभूति प्राप्त करते हैं तथा निराशावादी या नकारात्मक दृष्टि वाले दुःख के सागर में डूबे रहते हैं और सदा अपने आपको प्रस्थापित करने के लिए तर्क दिया करते हैं। वे भूल जाते हैं कि तर्क और कुतर्क से ज्ञान का नाश होता है एवं जीवन में विकृति उत्पन्न होती है। आशावादी तर्क नहीं करता, फलस्वरूप वह आन्तरिक आनन्द की प्रतीति करता है। वह मानता है कि आत्मिक आनन्द कभी प्रहार या काटने की प्रक्रिया में नहीं है। इसीलिए जगत में सदा आशावाद ही पनपा है, उसने ही महान व्यक्तियों का सृजन किया है। निराशावाद या नकारात्मकता की नींव पर कभी किसी जीवन प्रासाद का निर्माण नहीं हुआ।
1. ‘जगत’ शब्द में लिंग है-
(1) पुल्लिंग
(2) नपुंसकलिंग
(3) स्त्रीलिंग
(4) कोई नहीं
Ans. (1)
2. ‘विकृति’ में उपसर्ग है-
(1) ‘ई’ उपसर्ग
(2) ‘वि’ उपसर्ग
(3) ‘इ’ उपसर्ग
(4) ‘विक’ उपसर्ग
Ans. (2)
3. ‘इक’ प्रत्यय है-
(1) प्रत्येक
(2) अनेक
(3) अर्जित
(4) आत्मिक
Ans. (4)
4. ‘वे’ सर्वनाम है-
(1) अन्यपुरुष-पुरुषवाचक
(2) उत्तमपुरुष-पुरुषवाचक
(3) निजवाचक
(4) सम्बन्धवाचक
Ans. (1)
5. निम्न में क्रिया शब्द है-
(1) आपको
(2) आन्तरिक
(3) करता
(4) जगत
Ans. (3)
गद्यांश-7
[द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा-2011]
साहित्योन्नति के साधनों में पुस्तकालयों का स्थान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इनके द्वारा साहित्य के जीवन की रक्षा, पुष्टि और अभिवृद्धि होती है। पुस्तकालय सभ्यता के इतिहास का जीता-जागता गवाह है। इसी के बल पर वर्तमान भार को अपने अतीत-गौरव पर गर्व है। पुस्तकालय भार के लिए कोई नई वस्तु नहीं है।
पहले देवालय, विद्यालय और नृपालय इन संग्रहों के प्रमुख स्थान होते थे। इनके अतिरिक्त, विद्वजनों के अपने निजी पुस्तकालय भी होते थे। मुद्रणकला के आविष्कार से पूर्व पुस्तकों का संग्रह करना आजकल की तरह सरल बात न थी। आजकल साधारण स्थिति के पुस्तकालय में जितनी सम्पत्ति लगती है, उतनी उन दिनों कभी-कभी एक-एक पुस्तक की तैयारी में लग जाया करती थी। भारत के पुस्तकालय संसार भर में अपना सानी नहीं रखते थे। प्राचीन काल से लेकर मुगल सम्राटों के समय तक यही स्थिति रही। चीन, फारस प्रभृति सुदूर स्थित देशों से झुण्ड के झुण्ड विद्यानुरागी लम्बी यात्राएँ करके भारत आया करते थे।
1. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक है-
(1) पुस्तकालय व भारत
(2) भारत में पुस्तकालयों का ह्रास
(3) पुस्तकालयों की बुरी स्थिति
(4) पुस्तकालय
Ans. (1)
2. भारत को किस बात का गर्व था-
(1) पुस्तकालय का
(2) भूतकाल की विद्या का
(3) अतीत-गौरव का
(4) आधुनिक ज्ञान का
Ans. (3)
3. पहले पुस्तकालय होते थे-
(1) ऋषियों के आश्रम में
(2) विद्यालयों में
(3) सेठों के घरों में
(4) संस्थानों में
Ans. (2)
4. ‘नृपालय’ शब्द का अर्थ है-
(1) राजा की कृपा
(2) राजा की महानता
(3) राज-सिंहासन
(4) राज-भवन
Ans. (4)
5. अवतरण में गुण संधि से बना शब्द है-
(1) नृषालय
(2) विद्वज्जन
(3) विद्यानुरागी
(4) साहित्योन्नति
Ans. (4)
गद्यांश-8
निम्न अवतरण को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिये?
[ स्कूल व्याख्याता (हिन्दी) परीक्षा-2014]
गौतम ने ठीक ही कहा, कि मनुष्य की मनुष्यता यही है कि वह सबके सुख-दुःख को सहानुभूति के साथ देखता है।
यह आत्मनिर्मित बंधन ही मनुष्य को मनुष्य बनाता है। अंहिसा सत्य और अक्रोधमूलक धर्म का मूल उत्स यही है। मुझे आश्चर्य होता है कि अनजान में भी हमारी भाषा में यह भाव कैसे-कैसे रह गया है, लेकिन मुझे नाखून के बढ़ने पर आश्चर्य हुआ था। अज्ञान सर्वत्र आदमी को पछाड़ता है और आदमी है कि सदा उससे लोहा लेने को कमर कसे है।
1. गौतम ने मनुष्यता किसे कहा है-
(1) मानव द्वारा मानव की सेवा करने को
(2) मनुष्य के तद्नुभूति भाव को
(3) मानव द्वारा कर्तव्य पालन को
(4) प्रत्येक व्यवहार बौद्धिक प्रयोग को
Ans. (2)
2. ‘आत्मनिर्मित बंधन’ से क्या अभिप्राय है?
(1) अपने द्वारा बनाये गये नियमों से दूसरों को बाँधना
(2) स्वच्छंदतापूर्वक व्यवहार करना
(3) अपने ऊपर नियंत्रण रखना
(4) सब को जीने के लिए प्रेरित करना
Ans. (3)
3. ‘अक्रोधमूलक धर्म का उत्स यही है’ पंक्ति में आये उत्स शब्द का अर्थ है-
(1) अहिंसा
(2) झरना
(3) प्रारम्भ
(4) स्रोत
Ans. (4)
4. नाखून बढ़ने का भाव है-
(1) हिंसक होना
(2) निरंतर वृद्धि होना
(3) नाखून न काटना
(4) नाखून का महत्त्व स्वीकार करना
Ans. (1)
गद्यांश-9
निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्न संख्या 1 से 5 तक के उत्तर दीजिए-
[REET L.-II, 2016]
जब कुछेक व्यक्ति लाखों के भाग्य की डोर अपने हाथ में थामे रहेंगे, तब तक जीवन का यह रूप कृत्रिम अस्वाभाविक और असभ्य बना रहेगा। अतः हमें उन सबको इस पाशविक चक्र से मुक्त कराने की कोशिश करनी चाहिए। इसलिए सामाजिक भेद-भाव, आर्थिक विषमता और राजनीतिक तानाशाही को मिटा दिया जाना चाहिए। जहाँ तक हमारे देश का सम्बन्ध है, गाँधी जी ने इनके खिलाफ संघर्ष किया और उनका सारा संघर्ष अहिंसा की भावना पर आधारित रहा।
उनके अनुसार अहिंसा का अर्थ है सर्वोदय अर्थात सबका उदय, सबका कल्याण। उन्होंने अपना सारा जीवन सर्वोदय के लिए समर्पित कर दिया। वे अत्यन्त विनीत थे। उन्होंने किसी भी प्रकार के सदाचार या निभ्रांतता का दावा नहीं किया। उन्होंने धैर्यपूर्वक दूसरों के विचारों को सुना और ऐसे लोगों के साथ कभी भी अपना माथा गरम नहीं किया। इसी प्रकार का धैर्य आज के संसार में विजयी हो सकता है। इसीलिए गाँधीजी का जीवन लोगों को आदर्श बन गया है। मानवता के लिए यह आशा और उसके भविष्य के लिए एक प्रेरणा।
1. इनमें से सार्वनामिक विशेषण किसमें है?
(1) गाँधीजी ने इसके खिलाफ संघर्ष किया।
(2) इस पाशविक चक्र से मुक्त कराने।
(3) उनके अनुसार अहिंसा का अर्थ है।
(4) वे अत्यंत विनीत थे।
Ans. (2)
व्याख्या – ‘इस’ शब्द का प्रयोग संकेत के रूप में किया गया है, अतः यह सार्वनामिक विशेषण है।
2. इनमें से प्रत्यय से निर्मित शब्द कौन सा है?
(1) धैर्य
(2) कुछेक
(3) खिलाफ
(4) कोशिश
Ans. (1)
व्याख्या – धीर में ‘अ’ प्रत्यय लगने से धैर्य शब्द बना है।
3. इनमें से कौन सा शब्द संधि का उदाहरण नहीं है?
(1) संसार
(2) अत्यंत
(3) सदाचार
(4) सामाजिक
Ans. (4)
4. ‘अस्वाभाविक’ शब्द में इनमें से क्या है?
(1) संधि और समास
(2) समास और प्रत्यय
(3) उपसर्ग और प्रत्यय
(4) उपसर्ग और संधि
Ans. (3)
व्याख्या – ‘अ’ उपसर्ग व इक प्रत्यय का प्रयोग हुआ है।
5. इनमें से किसमें विशेषण का प्रयोग नहीं हुआ है?
(1) लाखों लोगों के
(2) आर्थिक विषमता
(3) अहिंसा की भावना
(4) एक प्रेरणा
Ans. (3)
व्याख्या – लाखों, आर्थिक व एक विशेषण शब्द है।
गद्यांश-10
निर्देश : प्र.सं. 1-3 के उत्तर निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित हैं-
[II Grade (Sans. Edu.) Hindi 13.02.2023]
नचिकेता जानना चाहता था कि मृत्यु के बाद जीवन है या नहीं, इसलिए उसने मृत्यु के देवता यम के प्रश्न किए। काफी आग्रह के बाद यम ने कहा कि देवों को भी इसका उत्तर नहीं पता है, लेकिन यम पता लगाने की कोशिश करेंगे। यम ने कहा कि जो मरता है, वह शरीर है, आत्मा नहीं, जो अनंत है। भौतिक जगत् या संसार से मोहित होकर हमारे मस्तिष्क विश्वास करते हैं कि अहं, जो बाहरी अनुभवों की अस्थायी उपज है, हमारी असली पहचान है। यह झूठी पहचान हमें विभिन्न ऐंद्रिक उत्तेजनाओं के प्रति इस ढंग से प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए प्रेरित करती है, जो अहं को सन्तुष्ट करती है। चूंकि कर्म के ब्रह्माण्डव्यापी नियम के अनुसार सभी जीवों को अपने कर्मों के फल भोगने पड़ते हैं, इसलिए आत्मा को हर बार किसी शरीर के बंधन में बँधकर और पिछले कर्मों द्वारा निर्धारित परिस्थितियों में अनेक जन्मों से होकर गुजरना पड़ता है। मुक्ति या मोक्ष इस बोध से उपजता है कि हमारी आत्मा ही हमारी असली पहचान है। बोध तभी प्राप्त होता है जब योग के बल से मन को शिक्षित किया जाता है कि वह इच्छाओं से ऊपर उठे, धर्म के नियमों का पालन करें, अहं को जीते और सांसारिक प्रलोभनों का त्याग करें जो वैसे भी क्षणभंगुर है।
1. गद्यांश के अनुसार बोध प्राप्ति में उपयोगी नहीं है?
(1) इच्छाओं से ऊपर उठना
(2) ऐन्द्रिक सुखों की लालसा
(3) अहं पर विजय
(4) भौतिक प्रलोभनों का परित्याग
Ans. (2)
2. ‘अहं’ यम के अनुसार क्या है-
(1) बाहरी अनुभवों की अस्थायी उपज
(2) ऐन्द्रिक उत्तेजनाएँ
(3) मुक्ति या मोक्ष का बोध
(4) अहंकार पर विजय
Ans. (1)
3. गद्यांश के अनुसार मन को शिक्षित करने के लिए निम्न में से क्या करना चाहिए?
(1) नित्य पूजा-पाठ आदि करें।
(2) तीथों की यात्रा करें।
(3) धर्म के नियमों का पालन करें।
(4) आजीविका के लिए कठोर परिश्रम करें।
Ans. (3)
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