Hindi Previous Year Question
अपठित पद्यांश में से व्याकरण संबंधी प्रश्न
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अपठित पद्यांश में से व्याकरण संबंधी प्रश्न
पद्यांश-1
[REET (Level-II, S-II) -23.07.2022]
हाथी से हाथी जूझ पड़े, भिड़ गये सवारों से।
घोड़े पर घोड़े टूट पड़े, तलवार लड़ी तलवारों से।
हय रुण्ड गिरे, गज मुण्ड गिरे,
कट-कट अवनी पर शुण्ड गिरे।
लड़ते-लड़ते अरि झुण्ड गिरे, भू पर हय विकल वितुण्ड गिरे।
मेवाड़ केसरी देख रहा, केवल रण का न तमाशा था।
वह दौड़-दौड़ करता था रण, वह मान रक्त का प्यासा था।
चढ़कर चेतक पर घूम-घूम, करता सेना रखवाली था।
ले महामृत्यु को साथ-साथ, मानो साक्षात कपाली था।
रण-बीच चौकड़ी भर-भर कर, चेतक बन गया निराला था।
रण-बीच चौकड़ी भर-भर कर, चेतक बन गया निराला था।
राणा प्रताप के घोड़े से, पड़ गया हवा का पाला था।
गिरता न कभी चेतक तन पर, राणा प्रताप को कोड़ा था।
वह दौड़ रहा अरिमस्तक पर, या आसमान पर घोड़ा था।
1. महाराणा प्रताप किसके रक्त के प्यास थे?
(1) स्वाभिमान के संरक्षक के
(2) सम्मान के आकांक्षी के
(3) मुगल सेनानायक मानसिंह के
(4) अपमान से पीड़ित के।
Ans. (3)
2. उपर्युक्त पद्यांश की भाषा
(1) आम बोलचाल की हिन्दी
(2) देशज शब्द प्रधान हिन्दी
(3) विदेशी शब्द प्रधान हिन्दी
(4) तत्सम शब्द प्रधान हिन्दी
Ans. (4)
3. निम्नलिखित में से किस पंक्ति में नाद सौंदर्य है?
(1) मेवाड़ केसरी देख रहा, केवल रण का न तमाशा था।
(2) गिरता न कभी चेतन तन पर, राणा प्रताप का कोड़ा था।
(3) राणा प्रताप के घोड़े से, पड़ गया हवा का पाला था।
(4) हय रुण्ड गिरे, गज मुण्ड गिरे, कट कट अवनी पर शुण्ड गिरे।
Ans. (4)
4. घोड़े का हवा के पाला पड़ने का आशय है-
(1) बहुत तेज तूफान आना।
(2) तेज हवा की वजह से घोड़ा दौड़ नहीं पा रहा था।
(3) हवा का रुक जाना।
(4) चेतक घोड़ा हवा के प्रबल वेग के समान तेजी से दौड़ रहा था।
Ans. (4)
5. पद्यांश में मूलतः वर्णित है-
(1) मातृभूमि की रक्षार्थ युद्धकर्म एवं युद्धक्षेत्र का दृश्य।
(2) मानसिंह द्वारा महाराणा प्रताप का अपमान।
(3) चेतक की शिथिलता।
(4) मानसिंह का अनुनय ।
Ans. (1)
पद्यांश-2
[II Grade (Hindi) – 22.12.2022]
“ब्रह्मा से कुछ लिखा भाग्य में,
मनुज नहीं लाया है,
अपना सुख उसने अपने
भुजबल से ही पाया है।।
प्रकृति नहीं डरकर झुकती है
कभी भाग्य के बल से,
सदा हारती वह मनुष्य से,
उद्यम से श्रमजल से।
1. पद्यांश के आधार पर असंगत कथन बताइये-
(1) श्रम से प्रकृति पर विजय प्राप्त कर इच्छानुसार फल प्राप्ति हो सकती है।
(2) मनुष्य स्वयं अपने भाग्य का निर्माता है।
(3) जन्म से पूर्व ही प्रकृति मनुष्य के भाग्य में सब कुछ लिख देती है।
(4) भाग्यवादी मानते हैं कि ईश्वर ही भाग्य का निर्माता है।
Ans. (3)
2. “ब्रह्मा से कुछ लिखा भाग्य में, मनुज नहीं लाया है” पंक्ति का आशय है-
(1) ईश्वर ही प्रकृति है जो मनुष्य के भाग्य को लिखती है।
(2) मनुष्य भाग्य से नहीं अपितु कर्म से इच्छित फल प्राप्त करता है।
(3) कर्म की अपेक्षा भाग्य श्रेष्ठ है।
(4) मनुष्य अपना भाग्य अपने सुख से प्राप्त करता है।
Ans. (4)
पद्यांश-3
[REET (Level-II, S-II) -24.07.2022]
डार द्रुम पलना, बिछौना नव पल्लव के,
सुमन झिंगूला सोहै तन छबि भारी दै।।
पवन झुलावै, केकी-कीर बतरावैं ‘देव’,
कोकिल हलावै-हुलसावै कर तारी दै।।
पूरित पराग सों उतारो करै राई नोन।
कंजकली नायिका लता न सिर सारी दै।।
मदन महीप जू को बालक बसन्त ताहि,
प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै।।
1. उपर्युक्त काव्यांश को पढ़कर आपके मन में विचार उत्पन्न होता है?
(1) राम सौन्दर्य के प्रति अनुराग की भावना
(2) कृष्ण सौन्दर्य के प्रति प्रेम की भावना
(3) मीरा के प्रति दया भावना
(4) प्रकृति के प्रति प्रेम का भाव
Ans. (4)
2. निम्नलिखित पंक्ति में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया है?
(1) सुमन झिंगूला सोहै तन छबि भारी दै।
(2) पवन झुलावै, केकी-कीर बतरावैं ‘देव’।
(3) प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै।
(4) जाचक तेरे दान ते भये कल्पतरू भूप।
Ans. (2)
3. निम्नलिखित पंक्ति में पढ़ते समय बीच में या अधिक स्थानों पर ठहरने को कहते हैं? “डार द्रुप पलना, बिछौना नव पल्लव के”
(1) यति
(2) गति
(3) गण
(4) गणबद्ध
Ans. (1)
4. कंजकली नायिका, लता न सिर सारी दै।। रेखांकित शब्दों में प्रयुक्त अलंकार है-
(1) रूपक अलंकार
(2) उपमा अलंकार
(3) यमक अलंकार
(4) श्लेष अलंकार
Ans. (1)
5. कवि के अनुसार बसंत का परिवर्तन दिखाई देता है-
(1) तन-मन और वन पर
(2) केवल वन पर
(3) केवल गोपियों पर
(4) केवल पक्षियों पर
Ans. (1)
पद्यांश-4
[REET (Level-II, S-I)-24.07.2022]
“हिमालय के आँगन में, उसे प्रथम किरणों का दे उपहार।
उषा ने हँस अभिनंदन किया और पहनाया हीरक हार।
जागे हम, लगे जगाने, विश्वलोक में फैला फिर आलोक।
व्योम-तम-पुंज हुआ तब नष्ट, अखिल संसृति हो उठी अशोक।
विमल वाणी ने वीणा ली, कमल-कोमल कर में सप्रीत।
सप्तस्वर सप्तसिन्धु में उठे, छिड़ा तब मधुर साम संगीत।
बचाकर बीज-रूप से सृष्टि, नाव पर झेल प्रलय का शीत।”
1. ‘उषा ने हँस अभिनन्दन किया।’ से अभिप्राय है-
(1) धरती के प्राणों में उन्माद से
(2) प्रकृति के उषाकालीन रूप सौन्दर्य से
(3) वसंत के रूप में सौन्दर्य से
(4) ईश्वर की प्रार्थना से
Ans. (2)
2. निम्न पंक्ति में ‘रूपक अलंकार’ प्रयुक्त हुआ है।
(1) हिमालय के आँगन में, उसे प्रथम किरणों का दे उपहार।
(2) जागे हम, लगे जगाने, विश्वलोक में फैला फिर आलोक।
(3) कमल-कोमल कर में सप्रीत।
(4) नाव पर झेल प्रलय का शीत।
Ans. (3)
3. ‘बीज-रूप से सृष्टि’ पंक्ति में निहित अलंकार का उदाहरण है?
(1) उत्प्रेक्षा
(2) उपमा
(3) श्लेष
(4) अनुप्रास
Ans. (2)
4. ‘विश्वलोक में फैला आलोक’ पंक्ति में रेखांकित शब्द से आशय है-
(1) भारत द्वारा अखिल विश्व में ज्ञान प्रसार से।
(2) श्रीकृष्ण द्वारा दिये उपदेश से।
(3) नायिका के रूप सौन्दर्य से।
(4) भारत की अत्यन्त कोमलता से।
Ans. (1)
5. उपर्युक्त काव्यांश में कवि की निम्नलिखित भाव दशा को उद्घाटित किया है-
(1) चिन्ता
(2) आशा
(3) लज्जा
(4) आनन्द
Ans. (4)
पद्यांश-5
[REET (Level-I, S-1) -23.07.2022]
दुर्योधन वह भी दे न सका, आशिष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला, जो था असाध्य, साधने चला।
जब नाश मनुज पर छाता है
पहले विवेक मर जाता है
हरि ने भीषण हुँकार किया, अपना स्वरूप विस्तार किया,
डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान कुपित होकर बोले।
“जंजीर बढ़ाकर साध मुझे,
हाँ-हाँ दुर्योधन ! बाँध मुझे
यह देख गगन मुझमें लय है, यह देख पवन मुझमें लय है
मुझमें विलीन झंकार सकल, मुझमें लय हैं संसार सकल
सब जन्म मुझी से पाते हैं-
फिर लौट मुझी में आते हैं।”
1. दुर्योधन क्या असाध्य कार्य करना चाह रहा था?
(1) अपनी सम्पत्ति में से सब कुछ न्योछावर कर देने का
(2) समाज से आशीर्वाद लेने का
(3) हरि को बाँधने का
(4) विवेक को जाग्रत करने का
Ans. (3)
2. मनुष्य पर नाश के छाने का क्या प्रभाव पड़ता है?
(1) मनुष्य की मेधा प्रखर हो जाती है।
(2) मनुष्य सरल और सहज स्वभाव का हो जाता है।
(3) मनुष्य सही कर्म की तरफ उद्यत हो जाता है।
(4) मनुष्य का विवेक मर जाता है।
Ans. (4)
3. उपर्युक्त पद्यांश की भाषा है-
(1) संस्कृतनिष्ठ हिन्दी
(2) तद्भवनिष्ठ हिन्दी
(3) आम बोलचाल की हिन्दी
(4) देशज शब्दप्रधान हिन्दी
Ans. (1)
4. निम्न पंक्तियों में से किस पंक्ति में नाद सौंदर्य है?
(1) दुर्योधन वह भी दे न सका।
(2) डगमग-डगमग दिग्गज डोले।
(3) भगवान कुपित होकर बोले।
(4) फिर लौट मुझी में आते हैं।
Ans. (2)
5. इस पद्यांश में मुख्यतः वर्णित है?
(1) कृष्ण का प्रेम
(2) दुर्योधन का विनय
(3) प्रकृति चित्रण
(4) हरि की विराट शक्ति
Ans. (4)
पद्यांश-6
[स्कूल व्याख्याता (हिन्दी)-2014]
सच है, मनुज बड़ा पापी है, नर का वध करता है।
पर, भूलो मत, मानव के हित मानव ही मरता है।।
लोभ, द्रोह, प्रतिशोध, वैर, नरता के विघ्न अमित हैं।
तप, बलिदान, त्याग के सम्बल भी न किन्तु परिमित हैं।।
मत सोचो दिन रात पाप में मनुज निरत होता है।
हाय, पाप के बाद वही तो पछताता रोता है।।
यह क्रन्दन, यह अश्रु मनुज की आशा बहुत बड़ी है।
बतलाता है, यह मनुष्यता अब तक नहीं मरी है।।
नहीं एक अवलम्ब, जगत का आभा पुण्यव्रती की।
तिमिर व्यूह में फँसी किरण भी आशा है धरती की ।।
1. उपर्युक्त अवतरण में ‘नरता’ के कौन-कौन से विघ्न माने गये हैं?
(1) अंध, लोभ, वैर, प्रतिशोध
(2) वैर, प्रतिशोध, द्रोह, लोभ
(3) द्रोह, वैर, मोह, लोभ
(4) लोभ, मद, मोह, प्रतिशोध
Ans. (2)
2. उपर्युक्त अवतरण में ‘यह क्रन्दन, यह अश्रु …….’ पंक्ति में किस प्रकार के आँसुओं की बात कही गयी है?
(1) पश्चात्ताप के आँसू
(2) व्यथा के आँसू
(3) खुशी के आँसू
(4) सहानुभूति के आँसू
Ans. (1)
3. उक्त अवतरण में ‘…. मानव के हित मानव ही मरता है’ का भावार्थ है-
(1) अपने हित साधन हेतु आदमी ही आदमी को मारता है।
(2) युद्ध में जीत किसी की भी हो, मरता तो मनुष्य ही है।
(3) परहित के लिए मनुष्य मृत्यु का वरण कर लेता है।
(4) मनुष्य ही मनुष्य के काम आता है।
Ans. (4)
4. उक्त अवतरण में ‘तिमिर व्यूह में फँसी किरण भी. ..’ पंक्ति में किरण का भावार्थ है-
(1) अंधेरी रात में टिमटिमाते दीपक का क्षीण प्रकाश
(2) तूफानी रात में संघर्षरत प्रकाश की किरण
(3) पश्चात्ताप और हताशा से घिरे मन में नवजीवन की आशा का संचार
(4) बादलों से घिरे सूर्य का क्षीण प्रकाश
Ans. (3)
पद्यांश-7
[REET L-II, 26.09.2021]
हम पंछी उन्मुक्त गगन के, पिंजरबद्ध न गा पाएँगे,
कनक-तीलियों से टकराकर
पुलकित पंख टूट जाएँगे।
स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में
अपनी गति, उड़ान सब भूले,
बस सपनों में देख रहे हैं
तरु की फुनगी पर के झूले ।
हम बहता जल पीने वाले
मर जाएँगे भूखे-प्यासे,
कहीं भली है कटुक निबौरी
कनक कटोरी की मैदा से ।
1. उपर्युक्त कविता का केन्द्रीय भाव है?
(1) स्वातन्त्र्य प्रेम
(2) देश प्रेम
(3) समाजवाद
(4) मातृभक्ति
Ans. (1)
2. ‘कहीं भली है कटुक निबौरी, कनक कटोरी की मैदा से’ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
(1) यमक
(2) अनुप्रास
(3) सन्देह
(4) श्लेष
Ans. (2)
व्याख्या – उपर्युक्त वाक्य में अनुप्रास अलंकार है क्योंकि ‘क’ अक्षर की पुनरावर्ती हो रही है।
3. ‘स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में, अपनी गति, उड़ान सब भूले’ पंक्ति में ‘स्वर्ण-श्रृंखला’ किसे कहा गया है?
(1) वैभव-विलासयुक्त गुलामी
(2) सोने की जंजीरों को
(3) वैभव रहित गुलामी को
(4) संपन्नता के सुख को
Ans. (1)
4. निम्न में से तद्भव शब्द है
(1) स्वर्ण
(2) पंछी
(3) कटुक
(4) किरण
Ans. (2)
व्याख्या – पंछी का तत्सम रूप – पक्षी
पद्यांश-8
[III Grade (Hindi) 26.02.2023]
चंचल पग दीपशिखा के घर
गृह, पग, वन में आया वसंत।
सुलगा फाल्गुन का सूनापन
सौन्दर्य शिखाओं में अनंत
सौरभ शीतल की ज्वाला से
फैला उर-उर में मधुर दाह
आया बसन्त, भर पृथ्वी पर
स्वर्गिक सुन्दरता का प्रवाह
कलि के पलकों में मिलन स्वप्न
अलि के अन्तर में प्रणय गान
लेकर आया, प्रेमी वसंत
आकुल जड़-चेतन स्नेह प्राण!
1. धरती पर स्वर्ग जैसा सौन्दर्य कब होता है?
(1) फाल्गुन में
(2) वसंत में
(3) चैत्र में
(4) होली आने पर
Ans. (2)
2. ‘सौरभ शीतल’ से क्या अभिप्राय है?
(1) फाल्गुन के सूनेपन से
(2) धरती के सौन्दर्य से
(3) सुगंधित वातावरण से
(4) जड़-चेतन से
Ans. (3)
3. ‘अलि’ का पर्यायवाची है-
(1) मधुमास
(2) वासव
(3) माधव
(4) मधुप
Ans. (4)
पद्यांश-9
[I Grade (Sanskrit Edu.) 15.11.2022]
अगर मैं तुमको
ललाती साँझ के नभ की अकेली तारिका
अब नहीं कहता,
या शरद के भोर की नीहार न्हायी कुंई,
टटकी कली चंपे की
वगैरह, तो
नहीं कारण कि मेरा हृदय उथला
या कि सूना है, या कि मेरा प्यार मैला है।
बल्कि केवल यही,
ये उपमान मैले हो गए हैं
देवता इन प्रतीकों के कर गए हैं कूच
कभी बासन अधिक घिसने से मुलम्मा छूट जाता है।
1. यहाँ ‘मुलम्मा’ शब्द का अर्थ है-
(1) चमक
(2) परत
(3) मूल धातु
(4) पानी
Ans. (1)
2. ‘देवता इन प्रतीकों के कर गए हैं कूच’ का तात्पर्य है-
(1) देवता प्रतीक से दूर चले गए हैं।
(2) प्रतीक अर्थहीन हो गए हैं।
(3) देवताओं का प्रतीक में प्रयोग उचित नहीं है।
(4) देवता एवं प्रतीक का कोई संबंध नहीं है।
Ans. (2)
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