प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत
प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं
- ऐतिहासिक ग्रन्थ
- पुरातात्विक स्रोत
- साहित्यिक स्रोत (धर्म ग्रन्थ)
- विदेशी यात्रियों का वर्णन
Table of Contents
ऐतिहासिक ग्रन्थ
- भारत का सबसे प्राचीन धर्मग्रंथ/ऐतिहासिक ग्रन्थ वेदों को माना गया है
- वेदों के निर्माणकर्ता महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास को माना जाता है।
- हिन्दू धर्म में चार वेद माने गये हैं-
1. ऋग्वेद (1500-1000 ई.पू.)
- ऋचाओं के क्रमबद्ध ज्ञान के संग्रह को ऋग्वेद कहा जाता है। चारों वेदों में ऋग्वेद सबसे प्राचीनतम है। इसमें 10 मंडल, 1028 सूक्त (वालखिल्य पाठ के 11 सूक्तों सहित) और 10,462 ऋचाएँ हैं।
- ऋग्वेद के तीसरे मंडल में सूर्य देवता सावित्री को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र है। इसके 8 मंडल की हस्तलिखित ऋचाओं को खिल कहा जाता है। इसके 9वें मंडल में सोम देवता का वर्णन है।
- चारों वर्णों के समाज की कल्पना भी ऋग्वेद के 10वें मंडल में वर्णित पुरुष सूक्त में है, जिसमें चार वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र) आदि पुरुष ब्रह्मा के क्रमशः मुख, भुजाओं, जंघाओं और चरणों से उत्पन्न बताये गये हैं।
- वामनावतार के तीन पगों का आख्यान भी ऋग्वेद में मिलता है। ऋग्वेद में इन्द्र के लिए 250 तथा अग्नि के लिए 200 ऋचाओं की रचना की गयी है।
नोट-प्राचीन इतिहास के साधन के रूप में वैदिक साहित्य में ऋग्वेद के बाद शतपथ ब्राह्मण का स्थान है।
2. यजुर्वेद
- सस्वर पाठ के लिए मंत्रों तथा बलि के समय अनुपालन के लिए नियमों का संकलन यजुर्वेद कहलाता है।
- इसके पाठकर्ता को अध्वर्यु कहते हैं।
- यजुर्वेद गद्य (कृष्ण यजुर्वेद) और पद्य (शुक्ल यजुर्वेद) दोनों रचनाओं में पाया जाता है।
3. सामवेद
- सामवेद में गाने योग्य ऋचाओं का संकलन पाया जाता है।
- इसके पाठकर्ता को उद्रातृ कहते हैं।
- सामवेद को भारतीय संगीत का जनक भी कहा जाता है।
- सामवेद की ऋचाओं की कुल संख्या 1549 है।
4. अथर्ववेद
- अथर्ववेद अथर्वा ऋषि द्वारा रचित वेद है।
- अथर्ववेद में रोग निवारण, जादू-टोना, श्राप, वशीकरण, आर्शीवाद स्तुति, प्रायश्चित, औषधि, अनुसंधान, विवाह, प्रेम, राजकर्म, मातृभूमि महात्मय आदि अनेक विषयों से संबंध मंत्र तथा सामान्य मनुष्यों के विचारों, विश्वासों व अंधविश्वासों आदि का वर्णन पाया जाता है।
नोट-सबसे नवीन वेद अथर्ववेद माना जाता है।
- वेदों को भली-भाँति समझने के लिए 6 वेदागों की रचना हुई जो निम्न प्रकार से है- शिक्षा, ज्योतिष, कल्प, व्याकरण, निरुक्त तथा छंद आदि।
- भारतीय ऐतिहासिक कथाओं का सबसे अच्छा क्रमबद्ध विवरण पुराणों में मिलता है।
- पुराणों के रचयिता लोहमर्ष अथवा इनके पुत्र अग्रश्रवा माने जाते हैं।
- अथर्ववेद में पुराणों की कुल संख्या 18 है।
- पुराणों में मत्स्यपुराण सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक मानी जाती है। इसमें 20 काण्ड, 731 सूक्त एवं 5849 मंत्र हैं।
- स्मृति ग्रंथों में सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक मनुस्मृति मानी जाती है। यह शुंग काल का मानक ग्रंथ है।
पुरातात्विक स्रोत
- भारतीय पुरातत्वशास्त्र का जनक ‘सरल एलेक्जेण्डर कनिंघम’ को माना जाता है। ‘बोगाज-कोई’ (1400 ई.पू.) अभिलेख से वैदिक देवताओं की जानकारी प्राप्त होती है।
- ‘भारतवर्ष’ के बारे में सर्वप्रथम जानकारी हाथीगुम्फा अभिलेख से मिलती है।
- एरण अभिलेख से सती-प्रथा का पहला लिखित साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
- मंदसौर अभिलेख से रेशम बुनकर की श्रेणियों की जानकारी प्राप्त होती है। कश्मीरी नवपाषाणिक पुरास्थल बुर्जहोम से गर्तावास का साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
- पुरातात्विक साक्ष्य की जानकारी से सम्बन्धित प्रमुख अभिलेख-
◇ जूनागढ़ (गिरनार) अभिलेख – रुद्रदामन
◇ हाथीगुम्फा अभिलेख – कलिंग राज खारवेल
◇ नासिक अभिलेख – गौतमी बलश्री
◇ ‘ऐहोल अभिलेख – पुलकेशिन-II
◇ देवपाड़ा अभिलेख – बंगाल शासक विजयसेन
◇ प्रयाग स्तम्भ अभिलेख – समुद्रगुप्त
◇ ग्वालियर अभिलेख – प्रतिहार नरेश भोज
◇ मंदसौर अभिलेख – मालवा नरेशस यशोधर्मन
◇ भीतरी स्तंभ अभिलेख – स्कंदगुप्त
◇ बिहार स्तम्भ अभिलेख – स्कन्दगुप्त
◇ मेहरौली स्तम्भ अभिलेख – चन्द्रगुप्त-II
- ‘पंचायतन’ मंदिर वास्तुकला की एक शैली है। इसमें चार अन्य मंदिरों से घिरा एक प्रमुख (केन्द्रीय) मंदिर होता है।
प्रमुख पंचायतन मंदिर निम्नलिखित हैं-
◇ जगदीश मंदिर – उदयपुर (राजस्थान)
◇ गोंडेश्वर मंदिर – महाराष्ट्र
◇ कंदरिया महादेव, लक्ष्मण मंदिर – खजुराहो (मध्य प्रदेश)
◇ दशावतार मंदिर – देवगढ़ (उत्तर प्रदेश)
◇ ब्रह्मेश्वर, लिंगराज मंदिर – भुवनेश्वर (उड़ीसा)
साहित्यिक स्रोत (धर्म ग्रन्थ)
- भगवान बुद्ध के पूर्वजन्म की कहानी जातक ग्रंथों में मिलती है। हीनयान का प्रमुख ग्रंथ ‘कथावस्तु’ है जिसमें महात्मा बुद्ध के जीवन चरित्र को कथानकों के माध्यम से दर्शाया गया है।
- जैन साहित्य को आगम कहा जाता है। जैन धर्म का प्रारम्भिक इतिहास ‘कल्पसूत्र’ से ज्ञात होता है।
- भगवती सूत्र में महावीर के जीवन-कृत्यों समकालिकों के साथ उनके संबन्धों की जानकारी मिलती है। अर्थशास्त्र के लेखक चाणक्य (कौटिल्य या विष्णुगुप्त) है। अर्थशास्त्र में मौर्य कालीन इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है।
- संस्कृत साहित्य में ऐतिहासिक घटनाओं को क्रमबद्ध लिखने का सर्वप्रथम प्रयास कल्हण ने किया। कल्हण द्वारा रचित पुस्तक राजतरंगिणी है जिसका सम्बन्ध कश्मीर के इतिहास से है।
- अष्टाध्यायी (संस्कृत भाषा व्याकरण की प्रथम पुस्तक) के लेखक पाणिनी है। इसमें मौर्य के पहले का इतिहास तथा मौर्ययुगीन राजनीतिक अवस्था जानकारी प्राप्त होती है।
- पतंजलि पुष्यमित्र शुंग के पुरोहित थे, इनके महाभाष्य से शुंगो के इतिहास का पता चलता है।
विदेशी यात्रियों का वर्णन
यूनानी-रोमन लेखक
- हेरोडोटस इसे ‘इतिहास का पिता’ कहा जाता है। इसने अपनी पुस्तक हिस्टोरिका में 5वीं शताब्दी ईसापूर्व के भारत-फारस के सम्बन्धों का वर्णन है।
- मेगस्थनीज – यह सेल्युकस निकेटर का राजदूत था, जो चन्द्रगुप्त मौर्य के राजदरबार में आया था। इन्होंने अपनी पुस्तक इण्डिका में मौर्य – युगीन समाज एवं संस्कृति के विषय में लिखा है।
- टॉलमी इसने दूसरी शताब्दी में ‘भारत का भूगोल’ नामक पुस्तक लिखी।
- प्लिनी प्लिनी ने प्रथम शताब्दी में ‘नेचुरल हिस्ट्री’ नामक पुस्तक लिखी जिसमें भारतीय पशुओं, पेड़-पौधों, खनिज पदार्थों आदि के बारे में वर्णन मिलता है।
- डाइमेकस इसका वर्णन मौर्य-युग से सम्बन्ध रखता है। यह सीरियन नरेश आन्तियोकस का राजदूत था, जो बिन्दुसार के राजदरबार में आया था।
चीनी लेखक
- फाहियान यह चीनी यात्री गुप्त नरेश चन्द्रगुप्त द्वितीय के दरबार में आया था। इसने मध्यप्रदेश के समाज एवं संस्कृति के बारे में वर्णन किया तथा बताया कि मध्यप्रदेश की जनता सुखी एवं समृद्ध है।
- हुएनसाँग- यह हर्षवर्धन के शासनकाल में भारत आया था। यह 629 ई. में चीन hat H भारत की यात्रा के लिए रवाना हुआ था। इसने लगभग एक वर्ष बाद भारत के कपिशा राज्य में प्रवेश किया। इसकी पुस्तक सि-यू-की नाम से प्रसिद्ध है।
- इत्सिंग यह सातवीं शताब्दी के अन्त में भारत आया था। इसने नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय तथा तत्कालीन के भारत का वर्णन किया है।
- संयुगन-यह चीनी यात्री 518 ई. में भारत आया। अपने तीन वर्षीय यात्रा में इन्होंने बौद्ध धर्म की प्राप्तियाँ एकत्रित की।
अरबी लेखक
- अलवरुनी यह महमूद गजनवी के साथ भारत आया था। इसकी कृति ‘किताब-उल-हिन्द’ या तहकीक-ए-हिन्द (भारत की खोज) है। इसने राजपूत कालीन समाज, धर्म, रीति-रिवाज व राजनीति आदि का वर्णन किया है।
- इब्न-बतूता उत्तर अफ्रीका के मोरक्को प्रदेश में इनका जन्म हुआ। इन्होंने 14वीं शताब्दी में भारत की यात्रा की। इनकी पुस्तक ‘रिहला’ है। इसमें भारतीय उपमहाद्वीप के सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन के बारे में जानकारी मिलती है।
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