भारतीय विद्युत नियम 1956
Welcome to Shiksha247, improve your exam preparation by using our big collection of Electric Questions. Shiksha247 has a bunch of old exam papers from different government job exams like Indian Railway, Delhi Metro, RPSC, RSMSSB, HSSC and other entrance exams. Solving these question is a good way to get ready for your exams and increase your chances of doing well.
lndian Electricity Rules 1956
नियम 28* वोल्टेज पर आधारित है:-
लो वोल्टेज 250 वोल्ट से कम, मध्यम वोल्टेज 250 वोल्ट से 650 वोल्ट तक, हाई वोल्टेज 650 वोल्ट से 33 किलो वोल्ट तक, एक्सट्रा हाई वोल्टेज 33 किलो वोल्ट से ज्यादा।
नियम 31* यह नियम अर्थिंग से संबंधित है:-
इस नियम अनुसार जिन कंडक्टर में अर्थ नहीं है उनमें एक आईरन प्लेट स्विच अर्थात ICDP स्विच होना चाहिए क्योंकि ओवर करंट होने पर इसका फ्यूज उड़ जाता है और यह स्विच एक निश्चित स्थान पर लगा होना चाहिए।
नियम 32* यह नियम भी अर्थिंग से संबंधित होता है:-
इस नियमानुसार जहां पर भी अर्थी हो वहां पर इंडिकेशन अवश्य लगाना चाहिए और कंज्यूमर के स्वयं के क्षेत्र में अर्थिंग होनी चाहिए। इसके साथ अर्थिंग को वहीं से स्टार्ट करना चाहिए जहां से सप्लाई स्टार्ट होती हो।
नियम 33* के अनुसार मीडियम, हाई, एक्स्ट्रा हाई वोल्टेज के लिए अर्थिंग अवश्य की जानी चाहिए और अर्थिंग की देखभाल व उसके रखरखाव की जिम्मेदारी को अब तक की होगी।
नियम 34* lndian electricity rules 1956 के अनुसार बिना इंसुलेशन युक्त वायर को किसी भी मकान या बिल्डिंग के ऊपर से नहीं गुजरना चाहिए। यदि तार को गुजारा भी जाए तो वह इतनी ऊंचाई तक होना चाहिए कि आसानी से किसी भी इंसान का हाथ उसमें टच ना हो और इसके साथ कंडक्टर में रेड स्विच का प्रयोग किया जाना चाहिए।
नियम 35* के अनुसार जहां पर भी उच्च वोल्टेज करंट हो या करंट का खतरा हो जैसे ट्रांसफार्मर, जनरेटर, पावर हाउस आदि पर खतरे का निशान बनाना चाहिए तथा पुल पर भी खतरे का निशान बना होना चाहिए।
नियम 36* के अनुसार जब किसी भी मशीन पर कार्य करे तो उस मशीन के बॉडी में अर्थिंग का प्रयोग करके चार्ज डिस्चार्ज कर देना चाहिए। ऐसा करने से शॉक लगने से बचा जा सकता है।
नियम 38* यह नियम इंसुलेशन से संबंधित है।
इस नियम के अनुसार मोटर, जनरेटर, रेक्टिफायर, वेल्डिंग मशीन, आदि में उचित इंसुलेशन किया जाना चाहिए। अंदर ग्राउंड केबल में उचित लैड सीथ का प्रयोग किया जाना चाहिए। सभी मशीन के फ्रेम को अर्थ किया जाना चाहिए।
नियम 42* के अनुसार मशीन को इस प्रकार डिजाइन किया जाना चाहिए कि उस पर रेटेड वोल्टेज से अधिक वोल्टेज अप्लाई करने पर भी उसका इंसुलेशन ना जले और मशीन खराब ना हो।
नियम 43* के अनुसार सभी इलेक्ट्रिकल सब स्टेशन, स्विचिंग स्टेशन में आग बुझाने के यंत्र अग्निशामक तथा सूखी रेत से भरी बाल्टी को भी रखा जाना चाहिए। और सभी सब स्टेशन में फर्स्ट एड बॉक्स होना चाहिए।
नियम 44* के अनुसार इलेक्ट्रिकल सब स्टेशन, स्विचिंग स्टेशन में शॉक ट्रीटमेंट का चार्ट होना चाहिए।
नियम 45* के अनुसार इलेक्ट्रिकल इंस्टॉलेशन या घरेलू फिटिंग आदि कार्य स्टेट गवर्नमेंट द्वारा पंजीकृत व्यक्ति के द्वारा ही किया जाना चाहिए अर्थात् उसी व्यक्ति से विद्युत कार्य करवाएं जिसके पास सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त लाइसेंस हो और अच्छा अनुभव हो।
नियम 46* के अनुसार किसी भी विद्युत इंस्टॉलेशन के एक्सपायरी होने का समय 5 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए अर्थात प्रतीक 5 वर्ष में घरेलू वायरिंग को एक बार चेक करवाना चाहिए कि कहीं से कोई फॉल्ट तो नहीं है ताकि अधिक नुकसान से बचा जा सके और इसका चार्ज उपयोग पर के द्वारा ही दिया जाना चाहिए।
नियम 47* के अनुसार जब तक सप्लायर के द्वारा पूरी तरह से जांच ना कर ली जाए तब तक उसके द्वारा विद्युत का कनेक्शन नहीं दिया जाना चाहिए। यदि वह पूरी तरह से संतुष्ट ना हो तो कनेक्शन देने से मना भी कर सकता है। सप्लायर उपभोक्ता को समस्या या फॉल्ट को सही करने के निर्देश देगा।
नियम 48* के अनुसार यदि यदि लीकेज करंट का मान रेटेड करंट के 1/5000 भाग से अधिक हो तो सप्लायर सप्लाई देने से मना कर सकता है।
नियम49* के अनुसार यदि उपभोक्ता के लीकेज करंट का मान 1/5000 भाग से अधिक है तो वह उपभोक्ता को 48 घंटे का एडवांस नोटिस देकर उपभोक्ता की सप्लाई को काट सकता है और तब तक सप्लाई बंद रख सकता है जब तक लीकेज करंट का मान कम ना कर दिया जाए।
नियम 50* के अनुसार के अनुसार उचित परिपथ वियोजक का उपयोग अर्थात अच्छी रेटिंग वाले फ्यूज, MCB का उपयोग किया जाना चाहिए। विद्युतरोधी पदार्थ ऐसा होना चाहिए कि जो पर्यावरणीय प्रभाव से मुक्त हो। किसी भी फेज तार को खुला नहीं छोड़ना चाहिए।
नियम 52* के अनुसार विद्युत इंस्टॉलेशन के रखरखाव की पूर्ण जिम्मेदारीउपभोक्ता की होगी।
नियम 54* के अनुसार मध्यम वोल्टेज के लिए वोल्टेज परिवर्तन 5% और उच्च व अति उच्च वोल्टेज के लिए इसका मान 12. 5% होना चाहिए। और आवृत्ति में 3% तक परिवर्तन किया जा सकता है।
नियम 56* lndian electricity rules 1956 के अनुसार स्टार 3 फेज 4 वायर कनेक्शन में न्यूट्रल वायर को अर्थ किया जाना चाहिए। न्यूट्रल वायर को सही तरीके से जांच लेना चाहिए और सभी इक्यूमेट के फेज वायर को अर्थ किया जाना चाहिए।
नियम 74* ओवरहेड लाइन से संबंधित है इसके अनुसार ओवरहेड लाइन ट्रांसमिशन लाइन के कंडक्टर की ब्रेकिंग स्ट्रेंथ अर्थात तार की विद्युतधारा बहने के वजन की क्षमता 317.5 2 किलोग्राम से कम नहीं होनी चाहिए। और लो वोल्टेज के लिए यह 136 किलोग्राम से कम ना हो।
नियम 75* के अनुसार ओवरहेड लाइन जहां पर वायर जॉइंट किया हो वहां की यांत्रिक क्षमता उसके सामान्य क्षमता से 95% से कम नहीं होनी चाहिए।
नियम 85* के अनुसार विद्युत वितरण लाइन (electric distribution line) में दो खंभों के बीच की अधिकतम दूरी 67 मीटर (220 फीट) होनी चाहिए।
नियम 88* के अनुसार विद्युत वितरण तथा ट्रांसमिशन लाइन में प्रयुक्त गार्डिग तार की धारा बहने के वजन की क्षमता 635 किलोग्राम से कम नहीं होनी चाहिए और इसे अर्थिंग किया जाना चाहिए।
नियम 90* यह नियम अर्थिंग से संबंधित है। इसके अनुसार लाइन में 1.6 मीटर में 4 पॉइंट होने चाहिए और पोल की स्टेवायर को जमीन से 3 मीटर तक इंसुलेटेड किया जाना चाहिए।
घर की वायरिंग के सामान्य नियम:-
- दीवार पर स्विच बोर्ड फर्श के तल से 1.5 मीटर की ऊंचाई पर लगा होना चाहिए। ध्यान रहे स्विच बोर्ड लगाते समय बोर्ड किसी दरवाजे खिड़की की आड़ में ना लगाएं क्योंकि जब खिड़की पूरी खोले तो बोर्ड में टच ना हो।
- टू-वे स्विच को हॉल, सीढ़ियों इत्यादि के लिए ही प्रयोग किया जाना चाहिए।
- स्विच बोर्ड और विद्युत घंटी में इंडिकेशन स्विच लगा होना चाहिए ताकि जब अंधेरा हो तो परेशानी न हो और उसका प्रयोग किया जा सके।
- रसोईघर में बिजली की फिटिंग इस प्रकार से होनी चाहिए कि प्रत्येक विशिष्ट स्थान पर सही रोशनी हो जाए तथा साधारण उपयोग में उन पर कोई छाया ना पड़े।
- सभी प्लग व सॉकेट 3-pin वाले होने चाहिए और सॉकेट का उपयुक्त पिन स्थाई अर्थ के साथ लगा होना चाहिए।
- छत के पंखे को फर्श से कम से कम 2.7 मीटर ऊंचाई पर लटकाया जाना चाहिए। और इसकी ऊंचाई 3 मीटर से अधिक न हो साथ ही पंखे को हुक या जंजीर में ही लटकाना चाहिए और जिस हुक में पंखा लटकाया जाएगा वह हुक पूर्णता इंसुलेटेड होना चाहिए।
- बाथरूम में सॉकेट आउटलेट 130 सेंटीमीटर से नीचे लगा होना चाहिए।
- सामान्य लाइट के लिए 3 पिन 5 एम्पीयर वाला सॉकेट आउटलेट और पावर के लिए 3 पिन 15 एंपियर वाला सॉकेट आउटलेट प्रयोग किया जाना चाहिए सभी सॉकेट अलग-अलग स्विच से कंट्रोल होने चाहिए तथा स्विच सॉकेट के बिल्कुल पास में लगाना चाहिए।
- घरेलू वायरिंग में प्रयुक्त होने वाला सभी सामान ISI मार्क लगा हुआ होना चाहिए।
- बाथरूम बाथरूम की लाइटिंग का स्विच बाथरूम के दरवाजे के बाहर लगे होने चाहिए।
- वायरिंग की सुरक्षा के लिए MCB और फ्यूज का उपयोग किया जाना चाहिए और फ्यूज की फेज वायर को श्रेणी क्रम में जोड़ना चाहिए।
- भवन में लगी हुई सभी प्रकाश लाइट 2.25 मीटर की ऊंचाई से कम पर लगी नहीं होनी चाहिए।
- घरेलू वायरिंग में वायर का चुनाव इलैक्ट्रिक वायर कोर्ड कलर के अनुसार ही होना चाहिए।
- अर्थ वायर में किसी भी प्रकार का स्विच सॉकेट नहीं जोड़ना चाहिए।
For more Technician Questions | Click Here |
Note : इन Questions को तैयार करने में पूर्ण सावधानी बरती गई है। फिर भी अगर कोई गलती मिलती है, तो कमेंट बॉक्स में हमें इससे अवगत कराएं। हमारी टीम जल्द से जल्द उसे ठीक कर देगी।