जैन धर्म Previous Year Questions

Welcome to Shiksha247! Get ready to explore the fascinating world of Jainism with our Jainism Previous Year Questions. These questions are like little guides that help you understand the ancient teachings and beliefs of Jainism. Whether you’re preparing for exams or just curious to learn, each question is here to make Jainism interesting and easy to grasp. So, let’s dive into the exciting journey of discovering the wisdom of Jainism together!

Jainism MCQs

1. जैन धर्म के संस्थापक हैं-
(a) आर्य सुधर्मा
(b) महावीर स्वामी
(c) पार्श्वनाथ
(d) ऋषभदेव
U.P.P.C.S. (Mains) 2010
उत्तर- (d)
जैन धर्म के मूल संस्थापक या प्रवर्तक प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव या आदिनाथ माने जाते हैं। महावीर स्वामी जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर थे, जिन्होंने छठी शताब्दी ई. पू. में जैन धर्म का प्रसार किया।
2. जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर कौन थे ?
(a) पार्श्वनाथ
(b) ऋषभदेव
(c) महावीर
(d) चेतक
(e) त्रिशाल
Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2013
उत्तर-(b)
उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
3. जैन ‘तीर्थंकर’ पार्श्वनाथ निम्नलिखित स्थानों में से मुख्यतः किससे संबंधित थे?
(a) वाराणसी
(b) कौशाम्बी
(c) गिरिब्रज
(d) चम्पा
U.P.P.C.S (Mains) 2016
उत्तर – (a)
पार्श्वनाथ तेईसवें जैन तीर्थंकर हैं। इनका जन्म वाराणसी के राजा अश्वसेन के यहां हुआ था। इनकी माता का नाम वामा देवी था। इनका चिह्न सर्प है।
4. सूची-I को सूची -II से सुमेलित कीजिए तथा नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए- –
सूची-I ( तीर्थंकर) सूची-II ( प्रतिमा लक्षण )
A. आदिनाथ 1. वृषभ
B. मल्लिनाथ 2. अश्व
C. पार्श्वनाथ 3. सर्प
D. संभवनाथ 4. जल कलश
कूट :
A B C D
(a) 1 4 32
(b) 1 3 24
(c) 2 431
(d) 3 1 42
U.P.P.C.S. (Pre) 2017
उत्तर- (a)
सूची-1 एवं सूची-II का सुमेलन निम्नवत है-
सूची-I ( तीर्थंकर) सूची-II (प्रतिमा लक्षण)
आदिनाथ – वृषभ
मल्लिनाथ – जल-कलश
पार्श्वनाथ – सर्प
संभवनाथ – अश्व
5. सूची-I एवं सूची-II को सुमेलित कीजिए तथा नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-
सूची-I सूची-II
(तीर्थंकर) (उनके संज्ञान)
(A) पार्श्वनाथ (i) वृषभ
(B) आदिनाथ (ii) सिंह
(C) महावीर (iii) सर्प
(D) शांतिनाथ (iv) हिरण
कूट :
(a) A- (ii), B- (iii), C- (iv), D- (i)
(b) A- (iv), B- (iii), C- (ii), D- (i)
(c) A- (i), B- (ii), C- (iii), D – (iv)
(d) A- (iii), B- (i), C- (ii), D- (iv)
उत्तर- (d)
R.AS./R.T.S (Pre) 2021
सही सुमेलन इस प्रकार है-
सूची-1 (तीर्थंकर) सूची-I (उनके संज्ञान)
पार्श्वनाथ – सर्प
आदिनाथ – वृषभ
महावीर – सिंह
शांतिनाथ – हिरण
6. निम्नलिखित में से कौन-सा एक युग्म सही सुमेलित नहीं
( निर्वाण स्थल) (तीर्थंकर)
(a ) ऋषभनाथ – अष्टापद
(b) वासुपूज्य – सम्मेदशिखर
(c) नेमिनाथ – ऊर्जयंत
(d) महावीर – पावापुरी
U.P.P.C.S. (Pre) 2021
उत्तर-(b)
बासुपूज्य जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर थे। इनको निर्वाण चम्पापुरी में प्राप्त हुआ था। शेष सभी युग्म सही सुमेलित हैं।
7. निम्नलिखित तीर्थंकरों पर विचार कीजिए तथा उनको सही कालक्रमानुसार व्यवस्थित कीजिए :
I. अभिनंदन
II. विमल नाथ
III. मुनिसुव्रतनाथ
IV. पद्मप्रभु
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए।
कूट:
(a) I, IV, II और III
(b) III, I, II और IV
(d) IV, I, III और II
(c) IV, III, I और II
U.P.R.O. /A.R.O. (Mains) 2016
उत्तर- (a)
– जैन संस्थापकों को तीर्थकर, जबकि जैन महात्माओं को निर्गंथ कहा गया। जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर माने जाते हैं, जिन्होंने समय-समय पर जैन धर्म का प्रचार-प्रसार किया। ये हैं 1. ऋषभदेव 2. अजितनाथ 3. संभवनाथ 4. अभिनंदन 5. सुमतिनाथ 6. पद्मप्रभु 7. सुपार्श्वनाथ 8. चंद्रप्रभ 9. पुष्पदंत (सुविधिनाथ) 10. शीतलनाथ 11. श्रेयांसनाथ 12. वासुपूज्य 13. विमलनाथ 14. अनंतनाथ 15. धर्मनाथ 16. शांतिनाथ 17. कुंथुनाथ 18. अरनाथ 19. मल्लिनाथ 20 मुनिसुव्रत 21. नमिनाथ 22. नेमिनाथ या अरिष्टनेमि 23. पार्श्वनाथ एवं 24. महावीर स्वामी ।
8. महावीर स्वामी का जन्म कहां हुआ था ?
(a) कुंडग्राम में
(c) मगध में
(b) पाटलिपुत्र में
(d) वैशाली में 42nd B.P.S.C. (Pre) 1997 47th B.P.S.C. (Pre) 2005 53rd to 55th B.P.S.C. (Pre) 2011
उत्तर- (a)
महावीर स्वामी का जन्म कुंडग्राम या कुंडलपुर में (वैशाली के निकट) लगभग 599 ई. पू. में हुआ था। उनकी माता त्रिशला वैशाली के लिच्छवी गणराज्य के प्रमुख चेटक की बहन थीं तथा पिता सिद्धार्थ ज्ञातृक क्षत्रियों के संघ के प्रधान थे। उनके बड़े भाई नंदिवर्धन थे। कुछ प्राचीन संस्करण की NCERT पुस्तकों में महावीर स्वामी का जन्म 540 ई.पू. उद्धृत है। इसी आधार पर अनेक प्रकाशकों ने भी यही जन्म तिथि अपनी पुस्तकों में अंकित किया है, जिससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है। महावीर स्वामी की सही जन्म तिथि 599 ई. पू. ही उचित है, क्योंकि महावीर स्वामी, महात्मा बुद्ध के पहले के काल के हैं। महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. है। NCERT के नवीन संस्करणों में भी अब महावीर स्वामी का जन्म 599 ई. पू. प्रकाशित हो चुका है।
9. कुंडलपुर जन्म स्थान है-
(a) सम्राट अशोक का
(b) गौतम बुद्ध का
(c) महावीर स्वामी का
(d) चैतन्य महाप्रभु का
U.P.P.C.S. (Spl.) (Pre) 2004
उत्तर-(c)
उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
10. जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर जी का मोक्ष स्थान कहां स्थित है ?
(a) मनेर
(b) राजगीर
(c) पावापुरी
(d) जालन फोर्ट
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं / उपर्युक्त में से एक से अधिक
63rd B.P.S.C. (Pre) 2017
उत्तर-(c)
जैन धर्म के प्रवर्तक महवीर स्वामी का मोक्ष स्थान (निर्वाण) पावापुरी में स्थित है। बिहार शरीफ से 8 किमी. दक्षिण-पूर्व पावापुरी जैनियों का प्रमुख तीर्थस्थल है। पावापुरी बिहार के नालंदा से 25 किमी. दूर पर स्थित है। भगवान महावीर ने 527 ई. पू. अर्थात 72 वर्ष की आयु में बिहार के पावापुरी में कार्तिक कृष्ण अमावस्या को निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त किया।
11. महावीर जैन की मृत्यु निम्नलिखित में से किस नगर में हुई ?
(a) राजगीर
(b) सांची
(c) पावापुरी
(d) समस्तीपुर 45th B.P.S.C. (Pre) 2001
उत्तर-(c)
उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
12. तीर्थंकर शब्द संबंधित है-
(a) बौद्ध
(b) ईसाई
(c) हिंदू
(d) जैन
U.P.P.C.S. (Pre) 1993
उत्तर- (d)
‘तीर्थंकर’ शब्द जैन धर्म से संबंधित है। जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर माने जाते हैं, जिन्होंने समय-समय पर जैन धर्म का प्रचार-प्रसार किया। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव तथा अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी थे।
13. जैन तीर्थंकरों के क्रम में अंतिम कौन था ?
(a) पार्श्वनाथ
(b) ऋषभदेव
(c) महावीर
(d) मणिसुव्रत
I.A.S. (Pre) 1993
उत्तर-(c)
उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
14. निम्नलिखित में से कौन एक जैन तीर्थंकर नहीं था ?
(a ) चंद्रप्रभु
(c) नेमि
(b) नाथमुनि
(d) संभव
U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004
उत्तर-(b)
नाथमुनि जैन तीर्थंकर नहीं थे। विकल्प में दिए शेष सभी जैन तीर्थंकर थे।
15. प्रभासगिरि जिनका तीर्थ स्थल है, वे हैं –
(a) बौद्ध
(b) जैन
(c) शैव
(d) वैष्णव
U.P.P.C.S. (Spl) (Pre) 2008
उत्तर-(b)
प्रभासगिरि उ.प्र. के कौशाम्बी में स्थित जैन तीर्थ स्थल है। कौशाम्बी का प्रभासगिरि स्थल छठवें जैन तीर्थंकर पद्मप्रभ से संबंधित है।
16. जैन धर्म में पूर्ण ज्ञान’ के लिए क्या शब्द है ?
(a) जिन
(b) रत्न
(c) कैवल्य
(d) निर्वाण
उत्तर-(c)
I.A.S. (Pre) 1993
जैन धर्म में पूर्ण ज्ञान’ के लिए कैवल्य शब्द का प्रयोग किया गया है। महावीर स्वामी को 12 वर्षों की कठोर तपस्या तथा साधना के पश्चात जृम्भिकाग्राम के समीप ऋजुपालिका नदी के तट पर एक साल वृक्ष के नीचे कैवल्य (पूर्ण ज्ञान ) प्राप्त हुआ था, फलतः वे ‘केवलिन’ कहलाए।
17. महावीर स्वामी को किस नदी के तट पर ज्ञानोदय प्राप्त हुआ था ?
(a) स्वर्णसिक्ता
(b) पलाशिनी
(c) गंगा
(d) ऋजुपालिका
U.P.R.O/A.R.O. (Mains) 2017
उत्तर – (d)
उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें ।
18. त्रिरत्न सिद्धांत सम्यक् धारण, सम्यक् चरित्र एवं सम्यक् ज्ञान जिस धर्म की महिमा है, वह है-
(a) बौद्ध धर्म
(b) ईसाई धर्म
(c) जैन धर्म
(d) इनमें से कोई नहीं
U.P.P.C.S. (Pre) 2004
उत्तर- (c)
जैन धर्म में मोक्ष के लिए तीन साधन आवश्यक बताए गए हैं- सम्यक् धारण (दर्शन), सम्यक् चरित्र एवं सम्यक् ज्ञान। इन तीनों को जैन धर्म में ‘त्रिरत्न’ की संज्ञा दी गई है।
19. त्रिरत्न या तीन रत्न, जैसे सटीक ज्ञान, सच्ची आस्था और सटीक क्रिया, निम्न में से किससे संबंधित हैं?
(a) बौद्ध धर्म
(c) जैन धर्म
(b) हिंदू धर्म
(d) ईसाई धर्म
66th B.P.S.C. (Pre) 2020
उत्तर-(c)
उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
20. कौन-सा दर्शन त्रिरत्न को मानता है ?
(a) न्याय दर्शन
(b) योग दर्शन
(c) जैन दर्शन
(d) इनमें से कोई नहीं
Chhattisgarh P.S.C. (Pre) 2017
उत्तर- (c)
जैन धर्म (जैन दर्शन) में मोक्ष के लिए तीन साधन आवश्यक बताए गए हैं, ये हैं- सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान एवं सम्यक् चरित्र । इन तीनों को जैन धर्म में ‘त्रिरत्न’ की संज्ञा दी गई है। बुद्ध, धम्म एवं संघ बौद्ध धर्म (बौद्ध दर्शन) के ‘त्रिरत्न’ माने जाते हैं।
21. अणुव्रत सिद्धांत का प्रतिपादन किया था-
(a) महायान बौद्ध संप्रदाय ने
(b) हीनयान बौद्ध संप्रदाय ने
(c) जैन धर्म ने
(d) लोकायत शाखा ने
I.A.S. (Pre) 1995
उत्तर-(c)
जैन धर्म में पंच महाव्रत- अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य, अस्तेय एवं अपरिग्रह की व्यवस्था की गई है। जैन धर्म में गृहस्थों के लिए पंच महाव्रत अणुव्रत के रूप में व्यवहृत हुआ है, क्योंकि संसार में रहते हुए इन महाव्रतों का पूर्णतः पालन करना संभव नहीं, इसलिए आंशिक रूप से इनके पालन के लिए कहा गया – (1) अहिंसाणुव्रत, (2) सत्याणुव्रत, (3) अस्तेयाणुव्रत, (4) ब्रह्मचर्याणुव्रत और (5) अपरिग्रहाणुव्रत ।

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