Non-Cooperation Movement Previous Year Questions

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असहयोग आंदोलन

1. निम्नलिखित में से किसने 1920 के नागपुर के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में असहयोग के प्रस्ताव को प्रस्तावित किया था?

[U.P.P.C.S. (Pre) 2011]

(a) सी.आर. दास ने
(b) एनी बेसेंट ने
(c) बी.सी. पाल ने
(d) मदन मोहन मालवीय ने

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उत्तर- (a) सी.आर. दास ने

दिसंबर 1920 में नागपुर में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में असहयोग आंदोलन के प्रस्ताव को सी.आर. दास ने प्रस्तावित किया था। इससे पहले सितंबर 1920 में कलकत्ता अधिवेशन में गांधीजी ने इसे प्रस्तुत किया था, लेकिन नागपुर में इसे औपचारिक रूप से समर्थन मिला।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
एनी बेसेंट ने आंदोलन का विरोध किया था।
बी.सी. पाल और मदन मोहन मालवीय प्रस्तावक नहीं थे।


2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहला असहयोग आंदोलन किस वर्ष में शुरू किया था?

[M.P. P.C.S. (Pre) 1990]

(a) 1917
(b) 1918
(c) 1920
(d) 1928

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उत्तर- (c) 1920

असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 को शुरू किया गया था। इसकी घोषणा गांधीजी ने रौलेट एक्ट, जलियांवाला बाग नरसंहार और खिलाफत आंदोलन के समर्थन में की थी। कांग्रेस ने इसे अपने विशेष अधिवेशन (कलकत्ता) और फिर नागपुर अधिवेशन में समर्थन दिया।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
1917 – चंपारण आंदोलन
1918 – खेड़ा आंदोलन
1928 – साइमन कमीशन के विरोध की शुरुआत

3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने असहयोग आंदोलन किस वर्ष प्रारंभ किया था?

[U.P. Lower Sub. (Pre) 2008, 53rd to 55th B.P.S.C. (Pre) 2011]

(a) 1918 ई. में
(b) 1919 ई. में
(c) 1920 ई. में
(d) 1921 ई. में

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उत्तर- (c) 1920 ई. में

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1920 में असहयोग आंदोलन प्रारंभ किया था। यह अंग्रेजों के अन्याय और अत्याचार के विरोध में एक शांतिपूर्ण असहयोग का प्रयास था।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
1918-1919 – यह आंदोलन से पहले के वर्षों में अन्य क्षेत्रीय आंदोलनों तक सीमित था।
1921 – आंदोलन पहले ही प्रारंभ हो चुका था।


4. महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया प्रथम जन आंदोलन था–

[U.P.P.C.S. (Pre) 2007]

(a) असहयोग आंदोलन
(b) नमक आंदोलन
(c) भारत छोड़ो आंदोलन
(d) नील आंदोलन

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उत्तर- (a) असहयोग आंदोलन

महात्मा गांधी के नेतृत्व में प्रथम राष्ट्रव्यापी जन आंदोलन असहयोग आंदोलन (1920-22) था। यद्यपि 1917 में चंपारण में उन्होंने किसानों के लिए पहला सत्याग्रह किया था, पर वह एक क्षेत्रीय आंदोलन था।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
नील आंदोलन (चंपारण) – क्षेत्रीय आंदोलन था
नमक आंदोलन (1930) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) बाद में हुए

5. खिलाफत के प्रश्न पर असहयोग आंदोलन कब शुरू हुआ?

[M.P. P.C.S. (Pre) 1992]

(a) 1918
(b) 1920
(c) 1922
(d) 1924

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उत्तर- (b) 1920

सितंबर 1920 में कलकत्ता में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में हुए कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में असहयोग आंदोलन को प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। इसके पीछे दो मुख्य कारण थे:

  1. खिलाफत के प्रश्न पर ब्रिटिश सरकार का उदासीन रवैया,

  2. पंजाब में जलियांवाला बाग जैसी घटनाओं पर दोषियों को दंडित न करना।
    1 अगस्त 1920 से गांधीजी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन प्रारंभ हुआ।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
1918 – खेड़ा आंदोलन
1922 – चौरी-चौरा कांड व आंदोलन की वापसी
1924 – आंदोलन पहले ही समाप्त हो चुका था


6. निम्न में से कौन-सा एक असहयोग आंदोलन को प्रारंभ करने का कारण नहीं था?

[U.P. P.C.S. (Mains) 2017]

(a) खिलाफत का प्रश्न
(b) नमक कानून
(c) पंजाब में अत्याचार
(d) रौलेट एक्ट

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उत्तर- (b) नमक कानून

असहयोग आंदोलन (1920-22) की प्रमुख वजहें थीं:

  • खिलाफत का प्रश्न (तुर्की में खलीफा पद का अपमान)

  • पंजाब में जलियांवाला बाग नरसंहार और अत्याचार

  • रौलेट एक्ट का दमनकारी स्वरूप
    लेकिन नमक कानून 1930 के नमक सत्याग्रह का प्रमुख कारण था, जो असहयोग आंदोलन से लगभग एक दशक बाद हुआ।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
बाकी तीनों विकल्प असहयोग आंदोलन की पृष्ठभूमि से प्रत्यक्ष रूप से संबंधित थे।

7. गांधीजी ने असहयोग आंदोलन कब प्रारंभ किया?

[48th to 52nd B.P.S.C (Pre) 2008]

(a) 1920
(b) 1919
(c) 1921
(d) 1922

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उत्तर- (a) 1920

गांधीजी ने असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 को औपचारिक रूप से प्रारंभ किया। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के अन्यायों के खिलाफ शांतिपूर्ण असहयोग पर आधारित था। बंगाल, पंजाब, मुंबई और उत्तर भारत में इसे जबरदस्त जनसमर्थन मिला। आंदोलन के दौरान मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, लाला लाजपत राय, सरदार पटेल और डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे नेता सक्रिय रूप से न्यायालय और सरकारी संस्थाओं का बहिष्कार कर आंदोलन में शामिल हुए।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
1919 – रौलेट सत्याग्रह का समय
1921 – आंदोलन चल रहा था
1922 – चौरी-चौरा कांड के कारण आंदोलन की वापसी की घोषणा


8. ‘एक वर्ष में स्वराज’ का नारा गांधीजी ने कब दिया?

[U.P. P.C.S. (Mains) 2012]

(a) दांडी मार्च के समय
(b) असहयोग आंदोलन के समय
(c) सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय
(d) गोलमेज सम्मेलन के समय

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उत्तर- (b) असहयोग आंदोलन के समय

गांधीजी ने असहयोग आंदोलन (1920) के दौरान ही घोषणा की थी कि यदि जनता पूरी निष्ठा से आंदोलन में भाग ले तो एक वर्ष के भीतर स्वराज प्राप्त किया जा सकता है। यह नारा लोगों में आत्मविश्वास और प्रेरणा भरने के लिए दिया गया था।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
दांडी मार्च (1930) – नमक कानून के विरोध में था
सविनय अवज्ञा आंदोलन – यह असहयोग के बाद आया
गोलमेज सम्मेलन – यह लंदन में 1930-32 के बीच हुआ था

9. 1919 के सुधारों की भारतीयों की आकांक्षाओं को पूर्ण करने में असफलता के साथ, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ‘स्वराज’ अथवा ‘स्वशासन’ हेतु आंदोलन किया, नेतृत्व में–

[U.P. P.C.S. (Mains) 2017]

(a) महात्मा गांधी के
(b) जी.के. गोखले के
(c) बाल गंगाधर तिलक के
(d) मोतीलाल नेहरू के

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उत्तर- (a) महात्मा गांधी के

1919 के मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार भारतीयों की उम्मीदों को पूरा करने में असफल रहे। इन्हीं की प्रतिक्रिया स्वरूप महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्वराज की मांग को लेकर असहयोग आंदोलन (1920) प्रारंभ किया। गांधीजी ने पहली बार कांग्रेस को जन आंदोलन में बदला और स्वराज को जनता की मुख्य मांग बना दिया।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
गोखले और तिलक 1915 से पहले सक्रिय थे।
मोतीलाल नेहरू असहयोग आंदोलन के समर्थक थे लेकिन नेतृत्व गांधीजी का था।


10. “एक वर्ष के भीतर स्वराज की प्राप्ति” लक्ष्य था–

[U.P. P.C.S. (Mains) 2010]

(a) सविनय अवज्ञा आंदोलन का
(b) गृहशासन आंदोलन का
(c) खिलाफत आंदोलन का
(d) असहयोग आंदोलन का

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उत्तर- (d) असहयोग आंदोलन का

महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन (1920) के समय यह स्पष्ट रूप से कहा था कि यदि देशवासी पूरी निष्ठा से कार्य करें, तो एक वर्ष में स्वराज प्राप्त किया जा सकता है। यह नारा आंदोलन की आत्मा बना और लाखों भारतीयों ने इसे अपनाया।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) नमक कानून के विरोध में था।
गृहशासन आंदोलन (1916) एक अलग उद्देश्य से शुरू हुआ था।
खिलाफत आंदोलन धार्मिक भावना से जुड़ा था, न कि स्वराज के लक्ष्य से।

11. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा असहयोग आंदोलन के संबंध में सही नहीं है?

[U.P.P.C.S. (Mains) 2013]

(a) इस आंदोलन की अवधि वर्ष 1920 से 1922 तक थी।
(b) एक वर्ष के भीतर स्वराज की प्राप्ति इसका लक्ष्य था।
(c) इसमें बहिष्कार की योजना थी।
(d) एम.ए. जिन्ना ने इस आंदोलन का समर्थन किया था।

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उत्तर- (d) एम.ए. जिन्ना ने इस आंदोलन का समर्थन किया था।

असहयोग आंदोलन (1920–1922) में गांधीजी ने स्वराज के लक्ष्य को लेकर लोगों को सरकारी संस्थाओं, उपाधियों, स्कूलों और विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने के लिए प्रेरित किया। आंदोलन को एक वर्ष में स्वराज प्राप्त करने के संकल्प के साथ चलाया गया था।
मोहम्मद अली जिन्ना ने इस आंदोलन का विरोध किया, क्योंकि वे संवैधानिक राजनीति के पक्षधर थे और गांधीजी की सीधी कार्यवाही की नीति से सहमत नहीं थे।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
(a), (b), और (c) तीनों कथन ऐतिहासिक रूप से सही हैं।


12. गांधीजी के असहयोग आंदोलन में लोगों को शराब से परहेज करने का आग्रह किया गया। फलस्वरूप सरकार के राजस्व में भारी कमी आयी। एक प्रदेश की सरकार ने लोगों को फिर से शराब पीने को प्रेरित करने के लिए प्रमुख व्यक्तियों की एक सूची प्रसारित की जो शराब पीते थे। उस प्रदेश का नाम बताइए।

[64th B.P.S.C. (Pre) 2018]

(a) आंध्र प्रदेश
(b) बिहार
(c) बॉम्बे
(d) गुजरात
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं / उपर्युक्त में से एक से अधिक

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उत्तर- (b) बिहार

गांधीजी ने असहयोग आंदोलन के दौरान शराब के बहिष्कार को भी आंदोलन का अंग बनाया। बिहार में शराब के बहिष्कार से सरकार को राजस्व में भारी हानि हुई। इसे रोकने के लिए बिहार सरकार ने एक विचित्र रणनीति अपनाई—उन्होंने सिकंदर, नेपोलियन, शेक्सपियर, जूलियस सीज़र जैसे ऐतिहासिक महान व्यक्तियों की सूची जारी की, जो शराब पीते थे, ताकि लोग प्रेरित हों और शराब सेवन फिर से शुरू करें।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
अन्य प्रांतों में भी शराब के बहिष्कार से असर हुआ, लेकिन यह अनूठा प्रचार अभियान विशेष रूप से बिहार सरकार द्वारा चलाया गया था।

13. नीचे कथनों पर ध्यान दीजिए – असहयोग आंदोलन से:

  1. कांग्रेस सर्वप्रथम जन-आंदोलन बनी।

  2. हिंदू-मुस्लिम एकता में वृद्धि हुई।

  3. जनता के मन से ब्रिटिश ‘शक्ति’ का भय हट गया।

  4. ब्रिटेन की सरकार भारतीयों को राजनीतिक रियायतें देने को राजी हुई।

इन कथनों में से–

[I.A.S. (Pre) 1996]

(a) 1, 2, 3 और 4 सही हैं
(b) 1, 2 और 3 सही हैं
(c) 1 और 3 सही हैं
(d) 3 और 4 सही हैं

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उत्तर- (b) 1, 2 और 3 सही हैं

असहयोग आंदोलन (1920–22) के दौरान:

  • कांग्रेस पहली बार एक जन आंदोलन के रूप में उभरी (1)।

  • आंदोलन में हिंदू-मुस्लिम एकता की अद्वितीय मिसाल देखी गई, विशेषकर खिलाफत आंदोलन के साथ जुड़ाव के कारण (2)।

  • जनता में ब्रिटिश सत्ता का भय समाप्त होने लगा (3)।
    लेकिन, ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन के बावजूद कोई राजनीतिक रियायत नहीं दी, और आंदोलन को चौरी-चौरा कांड के बाद वापस लेना पड़ा (4 असत्य)।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
(d) विकल्प गलत है क्योंकि 4 गलत है, और केवल 3 सही है।


14. ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी को जो उपाधि दी थी और जिसे उन्होंने असहयोग आंदोलन में वापस कर दिया, वह थी–

[I.A.S. (Pre) 1993, U.P. Lower Sub. (Pre) 2004]

(a) हिंद केसरी
(b) कैसर-ए-हिंद
(c) रायबहादुर
(d) राइटच ऑनरेबल

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उत्तर- (b) कैसर-ए-हिंद

महात्मा गांधी को ब्रिटिश सरकार द्वारा ‘कैसर-ए-हिंद’ पदक प्रथम विश्व युद्ध में चिकित्सा सेवाओं में योगदान के लिए दिया गया था। लेकिन उन्होंने 1920 में असहयोग आंदोलन के दौरान इस उपाधि को वापस कर दिया, यह उनके सत्याग्रह के उस सिद्धांत का हिस्सा था जिसमें वे सभी सरकारी उपाधियों और सम्मान का बहिष्कार करते थे।

अन्य विकल्पों की जानकारी:

  • रायबहादुर – जमनालाल बजाज ने यह उपाधि लौटाई थी।

  • हिंद केसरी – एक राष्ट्रीय सम्मान था, न कि ब्रिटिश सरकार द्वारा दिया गया।

  • राइटच ऑनरेबल – यह पदवी गांधीजी से संबंधित नहीं थी।

15. निम्न में से किसने असहयोग आंदोलन के दौरान अपनी वकालत छोड़ दी थी?

[U.P. P.C.S. (Pre) 1999]

(a) महात्मा गांधी ने
(b) मदन मोहन मालवीय ने
(c) तेज बहादुर सप्रू ने
(d) चितरंजन दास ने

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उत्तर- (d) चितरंजन दास ने

असहयोग आंदोलन के दौरान चितरंजन दास (C.R. Das) ने ब्रिटिश न्यायालयों की वकालत छोड़ दी थी। उनके साथ कई अन्य प्रमुख वकीलों जैसे मोतीलाल नेहरू, राजेन्द्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल ने भी वकालत का त्याग कर आंदोलन को गति दी। यह आंदोलन के एक प्रमुख चरण — सरकारी संस्थाओं के बहिष्कार — का हिस्सा था।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
महात्मा गांधी तो वकील थे, लेकिन उन्होंने वकालत पहले ही छोड़ दी थी।
मदन मोहन मालवीय और तेज बहादुर सप्रू ने असहयोग आंदोलन का समर्थन नहीं किया और वकालत नहीं छोड़ी।


16. निम्नलिखित में से किसने असहयोग आंदोलन को समर्थन दिया, परंतु इसके परिणाम नहीं देख सके?

[U.P. P.C.S. (Pre) 2010]

(a) बाल गंगाधर तिलक
(b) लाला लाजपत राय
(c) मोतीलाल नेहरू
(d) चितरंजन दास

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उत्तर- (a) बाल गंगाधर तिलक

बाल गंगाधर तिलक ने असहयोग आंदोलन का समर्थन किया था, परंतु 1 अगस्त 1920 को उनकी मृत्यु हो गई — और इसी दिन गांधीजी ने असहयोग आंदोलन औपचारिक रूप से प्रारंभ किया। इसलिए तिलक इस ऐतिहासिक आंदोलन के प्रभावों और परिणामों को नहीं देख सके।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
लाला लाजपत राय, मोतीलाल नेहरू और चितरंजन दास सभी ने आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और इसके परिणामों को देखा भी।

17. किस क्षेत्र में राहुल सांकृत्यायन 1920 के असहयोग आंदोलन में सक्रिय थे?

[56th to 59th B.P.S.C. (Pre) 2015]

(a) छपरा
(b) दिल्ली
(c) लखनऊ
(d) पटना

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उत्तर- (a) छपरा

राहुल सांकृत्यायन, जो ‘यायावर’ उपनाम से भी प्रसिद्ध हैं, 1920 के असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से जुड़े थे। वे विशेष रूप से बिहार के छपरा क्षेत्र में कार्य कर रहे थे और वहाँ बाढ़ पीड़ितों की सहायता कर रहे थे। गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित होकर उन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लिया।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
दिल्ली, लखनऊ और पटना से उनका आंदोलनकालीन संबंध नहीं था, बल्कि छपरा उनकी उस समय की मुख्य कर्मभूमि थी।


18. निम्नलिखित में से कौन चौरी-चौरा कांड की वास्तविक तिथि है?

[U.P. Lower Sub. (Pre) 2002, U.P. P.C.S. (Mains) 2006]

(a) फरवरी 5, 1922
(b) फरवरी 4, 1922
(c) फरवरी 2, 1922
(d) फरवरी 6, 1922

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उत्तर- (b) फरवरी 4, 1922

चौरी-चौरा कांड 4 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा कस्बे में घटित हुआ था। असहयोग आंदोलन के अंतर्गत एक जुलूस पुलिस थाने के सामने निकाला गया, जिस पर पुलिस ने गोली चलाई। इसके प्रतिशोध में भीड़ ने थाना जला दिया, जिसमें 23 सिपाही मारे गए। यह घटना इतनी गंभीर थी कि गांधीजी ने उसी के चलते 12 फरवरी 1922 को आंदोलन को स्थगित कर दिया।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
5, 6 और 2 फरवरी की तिथियाँ आम भ्रम का कारण हैं, लेकिन सरकारी रिकार्ड और शहीद स्मारक के अनुसार सही तिथि 4 फरवरी है।

19. फरवरी, 1922 में पुलिस चौकी में आग लगाने की घटना से संबंधित ‘चौरी चौरा’ किस राज्य में है?

[67th B.P.S.C. (Pre) (Re. Exam), 2021]

(a) राजस्थान
(b) मध्य प्रदेश
(c) बिहार
(d) उत्तर प्रदेश
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं / उपर्युक्त में से एक से अधिक

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उत्तर- (d) उत्तर प्रदेश

चौरी-चौरा, जहां 4 फरवरी 1922 को पुलिस चौकी में आग लगाई गई थी, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है। यह ऐतिहासिक घटना असहयोग आंदोलन का महत्वपूर्ण मोड़ बनी, क्योंकि गांधीजी ने इस हिंसात्मक घटना के विरोध में 12 फरवरी 1922 को आंदोलन को वापस ले लिया।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार से इस घटना का कोई संबंध नहीं है।


20. चौरी-चौरा किस जनपद में स्थित है?

[U.P. P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008, U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2013]

(a) देवरिया
(b) गोरखपुर
(c) कुशीनगर
(d) महाराजगंज

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उत्तर- (b) गोरखपुर

चौरी-चौरा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद में स्थित है। यहीं पर असहयोग आंदोलन के दौरान पुलिस द्वारा गोलियां चलाए जाने के बाद क्रुद्ध भीड़ ने थाना जला दिया था। इस घटना ने गांधीजी को यह सोचने पर विवश कर दिया कि जनता अब भी हिंसा पर उतारू हो सकती है, इसलिए उन्होंने आंदोलन वापस ले लिया।

अन्य विकल्पों की जानकारी:
देवरिया, कुशीनगर, और महाराजगंज गोरखपुर के आस-पास के जिले हैं, पर चौरी-चौरा विशेष रूप से गोरखपुर जनपद में आता है।

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