Rituals/Customs/Bad customs of Rajasthan Previous Year Question
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Rituals/Customs/Bad customs of Rajasthan MCQs
1. राजस्थान की वह परम्परा, जिसमें दूल्हे की बारात के घर से चले जाने के बाद घर की स्त्रियों द्वारा लोक नाट्य किया जाता है, कहलाता है-
[CET (Graduation ) – 07.01.2023, Shift-II](A) टूटिया
(B) रम्मत
(C) स्वांग
(D) ख्याल
उत्तर- (A) टूटिया- जिसमें दूल्हे की बारात से चले जाने के बाद घर की स्त्रियों द्वारा किया जाता है।
2. अनर्गल विवाह और बाल विवाह निषेध अधिनियम सर्वप्रथम किस रियासत में बनाया?
[Lecturer (Ayurveda) A.T./R.N.13 Nov., 2021](A) जयपुर
(B) कोटा
(C) अलवर
(D) उदयपुर
उत्तर- (C) अलवर रियासत ने सर्वप्रथम 10 दिसम्बर 1903 बाल विवाह- अनमेल विवाह अधिनियम बनाया। महाराजा सर जयसिंह प्रभाकर (1892-1937)।
3. अप्रैल, 1930 में बाल विवाह निरोधक कानून के प्रणेता कौन थे?
[Junior Assitant Elect. 2020](A) अर्जुनलाल सेठी
(B) रायबहादुर हरविलास
(C) हीरालाल शास्त्री
(D) जमनालाल बजाज
उत्तर- (B) हरविलास शारदा एक शिक्षाविद न्यायाधीर राजनेता एवं समाजसुधारक थे। ये आर्यसमाजी थे। इन्होंने सामाजिक क्षेत्र में वैधानिक प्रक्रियाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इनके अप्रतिम प्रयासों से ही बाल विवाह निरोधक अधिनियम, 1930 (शारदा एक्ट) उ अस्तित्व में आया।
4. अनमेल विवाह और अलवर रियासत विवाह निषेध अधिनियम सबसे पहले
[Women Supervisor (Non TSP) 2015][Women Supervisor (Non TSP) 2015](A) 5मार्च1902
(B) 10 दिसम्बर 1903
(C) 10 मार्च 1901
(D) 10 जनवरी 1904
उत्तर- (B) अलवर रियासत ने सर जयसिंह प्रभाकर (1892-1937) ने 10 दिसम्बर 1903 को बाल विवाह – अनमेल विवाह को निषेध किया। वाल्टर कृत राजपूत हितकारिणी सभा अनुसार 1885 महाराणा जसवंत सिंह ॥ के प्रधानमंत्री सर प्रताप सिंह ने बाल विवाह प्रति बंधक कानून बनाया।
5.कन्या वध को गैर कानूनी घोषित करने वाली राजस्थान की पहली रियासत थी-
[ हेडमास्टर प्रवेशिका (संस्कृत शिक्षा) 11 Oct. 2021](A) झालावाड़
(B) जयपुर
(C) शाहपुरा
(D) कोटा
उत्तर- (D) कन्यावध- 1833 ई. कन्या वध को गैर घोषित सर्वप्रथम कोटा रियासत के राव रामसिंह हाड़ौती के पॉलिटिकल एजेंट विल्किंसन के प्रयासों से 1834 बूंदी (महाराव सिंह), 1837 बीकानेर (महाराणा रतनसिंह), 1839 महाराणा मानसिंह (जोधपुर), 1844 (उदयपुर) महाराणा स्वरुप सिंह ने गैर घोषित किया।
5.राजस्थान के रीति-रिवाजो में’आणो’ क्या है?
[RAS Pre 2021](A) विवाह के बाद दुल्हन को दुसरी बार ससुराल भेजना
(B) जलझूलनी की एकादशी पूजा
(C) कुआ पूजन
(D)दुल्हन के परिवार द्वारा वर की बारात का डेरा देखने जाना
उत्तर- (A) राजस्थान के रीति-रिवाजों में ‘आणो’ का तात्पर्य विवाह के पश्चात् दुल्हन को दुसरी बार ससुराल भेजना होता है।
6. जयपुर राज्य ने ‘कन्यावध’ को किस वर्ष गैर कानूनी घोषित कर दिया?
[Lect. (ayurveda) Shalya- 12 Nov 2021](A) 1840
(B) 1842
(C) 1844
(D) 1846
उत्तर- (C) जयपुर में 1844 को कन्या वध गैर कानूनी घोषित ।
7. सती रोकथाम (अधिनियम 1987) कानून, किस राज्य सरकार द्वारा लागू किया गया कानून है?
[Constable Exam 7 Nov, 2020
(A) पश्चिम बंगाल
(B) राजस्थान
(C) बिहार
(D) असम
उत्तर- (B)4 सितम्बर 1987 दिवराला (सीकर) में रूपकँवर सती। राजस्थान सती निवारण अध्यादेश, 1987 लागू किया गया। 3 जनवरी 1988 को अधिनियम । राज्यपाल- बसंत राव पाटिल । मुख्यमंत्री- हरदेव जोशी। . राजस्थान में सर्वप्रथम सवाई जयसिंह
द्वितीय जयपुर द्वारा रोक लगाई गई।
8. निम्नलिखित में से कौन सा संस्कार जन्म से संबंधित है?
[J.En. (Civil) (Diploma)-2020][Handloom Inspector 2018, 22 Dec., 2019](A) सामेला
(B) बान
(C) मौसर
(D) जडूला
उत्तर- (D) जडूला- जब बालक को दो या तीन वर्ष का हो जाता है तो उसके बाल उतरवाये जाते है, जिसे मुंडन संस्कार के नाम से जाना जाता है।
9. सती (रोकथाम) अधिनियम को किस वर्ष राजस्थान सरकार द्वारा कब लागू किया गया था?
[Constable Exam 6. Nov, 2020 (II)](A) 1988 में
(B) 1987 में
(C) 1986 में
(D) 1985 में
उत्तर- (B) 4 सितम्बर 1987 ई. दिवराला (सीकर) में रूपकँवर सती हुई। राजस्थान सती निवारण अध्यादेश, 1987 लागू किया गया। 3 जनवरी 1988 को अधिनियम बना। तत्कालीन राज्यपाल- वसंत राव पाटिल, तत्कालीन मुख्यमंत्री- हरिदेव जोशी। राजस्थान मे सर्वप्रथम जयपुर रियासत में महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने सती प्रथा पर रोक लगाई।
10. गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने निम्न स्थलों पर सती प्रथा रोकने के आदेश दिए। निम्न में से कौनसा युग्म सही नहीं है?
[Compiler 21 Aug, 2016](A) अलवर : 1830
(B) जयपुर 1844
(C) डूंगरपुर : 1856
(D) जोधपुर : 1848
उत्तर- (C) सती प्रथा- राजस्थान में सर्वप्रथम रोक लगाने का प्रयास महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय (जयपुर)। ब्रिटिश प्रभाव में बूंदी नरेश राव विष्णुसिंह 1822 गैर-कानूनी घोषित। 1825 बीकानेर महाराजा सूरतसिंह। 1830 अलवर के शासक बन्ने सिंह द्वारा रोक। सवाई रामसिंह द्वितीय 1844 में रोक। 1844 डूंगरपुर महारावल डूंगरसिंह द्वारा रोक। 1848 जोधपुर महाराजा तख्तसिंह। (बांसवाड़ा), गणपतसिंह (प्रतापगढ़) द्वारा रोक। 1861 लक्ष्मणसिंह
11. निम्न में से राजस्थान में किस रीति-रिवाज का संबंध विवाह से है?
[Jr. Instruct. (Mec. diesel) 23 Dec., 2019]
(A) जङ्कला
(B) पनघट पूजा
(C) पगड़ी का दस्तूर
(D) सामेला
उत्तर- (D) जङ्गला- शिशु को दो या तीन वर्ष का होने पर अपने किसी कुलदेवी या देवता के स्थान पर बच्चे का पहली बार मुंडन किया जाता है। जलवा भूजल / पनघट पूजा- बच्चे के जन्म के कुछ दिनों पश्चात् घर-परिवार व मोहल्ले की औरतें एकत्रित होकर देवी-देवताओं के गीत गाती हुई जच्चा को पनघट की ओर पूजा कराने के लिए कुएं पर ले जाती है, जहां पर जल का पूजन किया जाता है। पगड़ी का दस्तूर- मृत व्यक्ति के बड़े पुत्र को रिश्तेदारों व परिजनों की उपस्थिति में पगड़ी बांध ने की रस्म को पगड़ी का दस्तूर कहते है। सामेला- जब बारात लड़की वाले के गांव पहुंच जाती है तो वधू पक्ष के मौजिज लोग बारात का स्वागत। करने आते है इसे सामेला या आगवानी कहते है।
12. उदयपुर राज्य में ‘डाकन प्रथा’ पर प्रतिबन्ध कब गया
[JSA (Chemistry) 14 Sep., 2019](A) 1850 में
(B) 1853 में
(C) 1855 में
(D) 1858 में
उत्तर- (B) डाकन प्रथा- एक सामाजिक कुप्रथा जिसमें स्त्री की हत्य यह मानकर कर दी जाती थी कि उसके शरीर में किसी बुरी आत्मा का निवास है। यह कुप्रथा मेवाड़ी दलित समाज विशेषकर भील/मीणा में प्रचलित थी। 1852 में मेवाड़ कमांडर जे.सी. ब्रुक तथ मेवाड़ के पालिटिकल एजेंट जार्ज पैट्रिक के प्रयासों से अक्टूबर 1853 में महाराण स्वरूपसिंह ने खैरवाड़ा में इसे गैर कानूनी घोषित किया।
13. ‘डाकन प्रथा’ को अवैध घोषित करने वाली सर्वप्रथम राजस्थान की कौनसी रियासत थी-
[Investigator-2016, Code- 07/](A) जयपुर
(B) जोधपुर
(C) बीकानेर
(D) उदयपुर
उत्तर- (D) डाकन प्रथा- अक्टूबर 1853 ई. उदयपुर (मेवाड़) में खैरवाड़ा में गैर कानूनी घोषित। शासक- महाराणा स्वरुप सिह घोषणा- भील के कंमाण्डेट जे.सी. ब्रुक। प्रचलन- भील और मीणा जनजाति में।
14. ‘चिकनी कोथली’ है-
[JEN (Civil), Exam – 18 May, 2022 ](A) पुत्र जन्मोत्सव की एक रस्म
(B) शादी की एक रस्म
(C) मृत्यु पर एक रस्म
(D) नए ग्रह प्रवेश की एक रस्म
उत्तर- (B) चिकनी कोथली शादी की रस्म से संबंधित है। वर पक्ष ना कन्या पक्ष के यहां चिकनी कोथली का नेग भेजता है। जिसमें मुख्यत कन्या के सुहाग भाग की सारी चीजें होती है एवं कन्या पक्ष चिकनी कोथली का नेग देता है।
15. निम्नलिखित में से कौनसी प्रथा विवाह समारोह से संबंधित नहीं है?
[Rajasthan Police Constable – 15 Jul, 2015 ](A) बढार
(B) कन्यावाल
(C) बड़ी पड़ला
(D) पानीवाड़ा
उत्तर- (D) पानीवाड़ा- मृत्यु सबंधी व्यक्ति की मृत्यु के समय लोग एकत्र होकर स्नान करके शोकाकुल परिवार को सांत्वना देते है। बढ़ार-विवाह के समय सामूहिक प्रतिभोज । कन्यावल- वधू के निकट संबंधी विवाह के दिन व्रत कर, उसे विदाकर भोजन करते है। बड़ी पड़ला- वधू क कपड़े एवं जेवर जो वर पक्ष द्वारा दिए जाते है।
16. राजस्थान में ‘सामेला’ शब्द किस अवसर पर प्रयुक्त होता है?
[JEN (Electric) Diploma 2020](A) जन्म से समय
(B) विवाह के समय
(C) गौना के समय
(D) मृत्यु के समय
उत्तर- (B) जब बरात वधूपक्ष के द्वार पहुंचती है तो उनकी आगवानी। की जाती है उस मधुपर्क/दुकाव/सामेला कहा जाता है।
17. निम्न में से ‘तोरण’ का सम्बन्ध किससे है?
[Lect. ( ayurveda) Shalya- 12 Nov 2021](A) जन्म
(B) शिक्षा
(C) विवाह
(D) मृत्यु
उत्तर- (C) विवाह की रस्में- तोरण- दुल्हा, दुल्हन के घर के मुख्य दरवाजे पर लगे लकड़ी के तौरण को तलवार / छड़ी से छूता है। गठजोड़, फेरा, दूकाव, मधुपर्क/समेला, हथलेवा, कांकण डोरा, चिकनी कोथली, टीका, सावो, मायरा अन्य रस्में है।
18. राजस्थान के रीति-रिवाजों में ‘मौसर’ किसे कहा जाता है?
[VDO- 28 Dec. 2021 Shift-1](A) दहेज
(B) मृत्यु-भोज
(C) विवाह के अवसर पर प्रीति भोज
(D)गृह प्रवेश
उत्तर- (B) राजस्थान के गांवों में मृत्यु होने के बाद किया जाने वाला भोज मौसर कहा जाता है। दायजा- दहेज। कुछ जगह इसे गंगा प्रसादी भी कहते है। गृह प्रवेश को नांगल कहते है। बढार- विवाह अवसर पर दिया जाने वाला सामूहिक भोज ।
19. विवाह के दूसरे दिन वर पक्ष द्वारा नवदंपत्ति के लिए आशीर्वाद व प्रीतिभोज को क्या कहते हैं?
[Basic Computer Instructor- 18 June 2022](A) कू
(B) बढ़ार
(C) औलंदी
(D) आणों
उत्तर- (B) ओलंदी- नव वधु के साथ जाने वाली लड़की या स्त्री बढ़ार- विवाह के दूसरे दिन वर पक्ष द्वारा नवदंपति के लिए आशीर्वाद । व प्रतिभोज कू- भील जनजाति के घरों को कू/टापरा कहा। जाता है। आणो- विवाह के पश्चात् दुल्हन को दूसरी बार ससुराल भेजना।
20. मृत्यु उत्सव के लिए राजस्थान में निम्नलिखित में से नाम है?
[Rajasthan Police ConstableJul, 2015](A) दापा
(B) मोसर
(C) हेल्मो
(D) बढार
उत्तर- (B) मौसर- नुक्ता/बारहवीं- मृत्यु भौज। दापा- वधु मूल्य, जनजातियों में भगाकर विवाह करना, गरासियों (सर्वाधिक)। बढार- सामूहिक प्रतिभोज, विवाह भोज।
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