Rowlatt Act and Jallianwala Bagh Massacre (1919) Previous Year Questions
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रॉलेट एक्ट और जलियाँवाला बाग हत्याकांड (1919)
1. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, रौलेट एक्ट ने किस कारण से सार्वजनिक रोष उत्पन्न किया?
Exam: I.A.S. (Pre) 2009
Options:
(a) इसने धर्म की स्वतंत्रता को कम किया
(b) इसने भारतीय परंपरागत शिक्षा को दबाया
(c) इसने लोगों को बिना मुकदमा चलाए जेल भेजने के लिए अधिकृत किया
(d) इसने श्रमिक संघ (ट्रेड यूनियन) की गतिविधियों को नियंत्रित किया
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सही उत्तर: (c) इसने लोगों को बिना मुकदमा चलाए जेल भेजने के लिए अधिकृत किया
व्याख्या:
रौलेट एक्ट (1919) को “काला कानून” कहा गया क्योंकि यह ब्रिटिश सरकार को किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा, बिना वकील और बिना दलील गिरफ्तार करने का अधिकार देता था।
इसे “बिना अपील, बिना वकील, बिना दलील” का कानून कहा जाता था।
इसका उद्देश्य क्रांतिकारी गतिविधियों को दबाना था, लेकिन इसने भारतीय जनता में गहरा आक्रोश पैदा किया।
गांधीजी ने इसके खिलाफ पहला अखिल भारतीय सत्याग्रह (रौलेट सत्याग्रह) शुरू किया।
2. रौलेट एक्ट लाने का क्या प्रयोजन था?
Exam: Jharkhand P.C.S. (Pre) 2013
Options:
(a) भूमि-सुधार
(b) राष्ट्रीय एवं क्रांतिकारी गतिविधियों पर रोक लगाना
(c) ‘बैलेंस ऑफ ट्रेड’ को ठीक करना
(d) द्वितीय विश्व युद्ध के बंदियों पर मुकदमा चलाना
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सही उत्तर: (b) राष्ट्रीय एवं क्रांतिकारी गतिविधियों पर रोक लगाना
व्याख्या:
रौलेट एक्ट (1919) का मुख्य उद्देश्य भारत में बढ़ रही राष्ट्रवादी और क्रांतिकारी गतिविधियों को कुचलना था।
इसे “द अनार्किकल एंड रिवोल्यूशनरी क्राइम एक्ट, 1919” भी कहा जाता था।
सिडनी रौलेट की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों पर इसे लागू किया गया।
इसके विरोध में जलियांवाला बाग हत्याकांड (13 अप्रैल, 1919) हुआ।
3. रौलेट एक्ट भारत में लागू किया गया था-
[U.P. P.C.S. (Pre) 1993, 48th to 52nd B.P.S.C. (Pre) 2008]
(A) सन् 1909 में
(B) सन् 1919 में
(C) सन् 1930 में
(D) सन् 1942 में
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उत्तर- (B) सन् 1919 में
रौलेट एक्ट भारत में मार्च 1919 में लागू किया गया था। इसे “काला कानून” भी कहा गया, क्योंकि इसके तहत किसी भी भारतीय को बिना मुकदमा चलाए जेल भेजा जा सकता था। यह कानून न्यायाधीश सिडनी रौलेट की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिश पर आधारित था।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
सन् 1909: यह वर्ष मॉर्ले-मिंटो सुधारों (Indian Councils Act 1909) से संबंधित है, रौलेट एक्ट से नहीं।
सन् 1930: इस वर्ष सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ हुआ था, रौलेट एक्ट से संबंध नहीं है।
सन् 1942: इस वर्ष भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ था, न कि रौलेट एक्ट लागू हुआ।
4. रौलेट एक्ट का लक्ष्य था-
[I.A.S. (Pre) 2012]
(A) युद्ध प्रयासों को अनिवार्य आर्थिक समर्थन
(B) बिना मुकदमा चलाए बंदी बनाना और मुकदमों की सुनवाई संक्षिप्त प्रक्रिया द्वारा
(C) खिलाफत आंदोलन का दमन
(D) प्रेस स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाना
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उत्तर- (B) बिना मुकदमा चलाए बंदी बनाना और मुकदमों की सुनवाई संक्षिप्त प्रक्रिया द्वारा
रौलेट एक्ट का मुख्य उद्देश्य था भारत में उभर रही क्रांतिकारी गतिविधियों को दबाना। इसके तहत सरकार को यह अधिकार मिल गया था कि वह किसी को भी बिना मुकदमा चलाए अनिश्चितकाल तक जेल में रख सकती थी और मुकदमे की प्रक्रिया को बहुत संक्षिप्त कर सकती थी।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
(A) युद्ध प्रयासों को अनिवार्य आर्थिक समर्थन: यह मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों से जुड़ा विषय है, रौलेट एक्ट का उद्देश्य नहीं था।
(C) खिलाफत आंदोलन का दमन: खिलाफत आंदोलन रौलेट एक्ट के बाद शुरू हुआ था, इसलिए यह विकल्प असंगत है।
(D) प्रेस स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाना: यद्यपि ब्रिटिश सरकार ने प्रेस पर भी नियंत्रण रखा था, परंतु रौलेट एक्ट का प्रमुख उद्देश्य प्रेस को नियंत्रित करना नहीं था।
5. रौलेट सत्याग्रह के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
[I.A.S. (Pre) 2015]
(1) रौलेट अधिनियम, ‘सेडिशन कमेटी’ की सिफारिश पर आधारित था।
(2) रौलेट सत्याग्रह में, गांधीजी ने होमरूल लीग का उपयोग करने का प्रयास किया।
(3) साइमन कमीशन के आगमन के विरुद्ध हुए प्रदर्शन रौलेट सत्याग्रह के साथ-साथ हुए।
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
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उत्तर- (b) केवल 1 और 2
रौलेट एक्ट, न्यायाधीश सिडनी रौलेट की अध्यक्षता में गठित सेडिशन कमेटी की सिफारिशों के आधार पर मार्च 1919 में पारित हुआ। गांधीजी ने इसके विरोध में रौलेट सत्याग्रह शुरू किया और इसके लिए उन्होंने होमरूल लीग और उसके कार्यकर्ताओं को सक्रिय रूप से जोड़ा। यह सत्याग्रह शांतिपूर्ण असहयोग का पहला बड़ा प्रयोग था।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
(3) साइमन कमीशन का भारत आगमन फरवरी 1928 में हुआ था, जबकि रौलेट सत्याग्रह वर्ष 1919 में हुआ था। इसलिए यह कथन कालक्रम की दृष्टि से गलत है।
6. जब रौलेट एक्ट पारित हुआ था, उस समय भारत का वायसराय कौन था?
[I.A.S. (Pre) 2008]
(a) लॉर्ड इर्विन
(b) लॉर्ड रीडिंग
(c) लॉर्ड चेम्सफोर्ड
(d) लॉर्ड वेवेल
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उत्तर- (c) लॉर्ड चेम्सफोर्ड
लॉर्ड चेम्सफोर्ड भारत के वायसराय 1916 से 1921 तक रहे। उन्हीं के कार्यकाल में 1919 में रौलेट एक्ट पारित हुआ, जिसे भारतीयों ने ‘काला कानून’ कहा। चेम्सफोर्ड के समय में ही जलियांवाला बाग हत्याकांड जैसी दुखद घटनाएं भी हुईं।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
लॉर्ड इर्विन: वे 1926 से 1931 तक वायसराय रहे।
लॉर्ड रीडिंग: उनका कार्यकाल 1921 से 1926 तक था।
लॉर्ड वेवेल: वे 1943 से 1947 तक भारत के वायसराय रहे।
7. ‘रौलेट एक्ट’ किस वायसराय के काल में पारित हुआ था?
[U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2014]
(a) लॉर्ड हार्डिंग II
(b) लॉर्ड रीडिंग
(c) लॉर्ड चेम्सफोर्ड
(d) लॉर्ड मिंटो II
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उत्तर- (c) लॉर्ड चेम्सफोर्ड
रौलेट एक्ट मार्च 1919 में लॉर्ड चेम्सफोर्ड के वायसराय काल में पारित हुआ। इसे ‘काला कानून’ कहा गया क्योंकि यह नागरिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का हनन करता था। इस कानून के तहत बिना कारण बताए किसी को भी जेल में डाला जा सकता था।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
लॉर्ड हार्डिंग II: 1910–1916 तक वायसराय रहे, रौलेट एक्ट से पहले के कार्यकाल में थे।
लॉर्ड रीडिंग: 1921–1926 के बीच वायसराय रहे, रौलेट एक्ट इनके समय में नहीं बना।
लॉर्ड मिंटो II: 1905–1910 में वायसराय थे, उनका कार्यकाल काफी पहले था।
8. रौलेट एक्ट का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने विरोध किया, क्योंकि इसका लक्ष्य था-
[41st B.P.S.C. (Pre) 1996]
(a) वैयक्तिक स्वतंत्रता को सीमित करना
(b) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को प्रतिबंधित करना
(c) सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व को विस्तृत करना
(d) देशद्रोह के आरोप में राष्ट्रीय नेताओं को बंदी बनाना
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उत्तर- (a) वैयक्तिक स्वतंत्रता को सीमित करना
रौलेट एक्ट का मूल उद्देश्य था भारतीयों की वैयक्तिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना। इस कानून के अनुसार अंग्रेज सरकार किसी को भी बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद कर सकती थी। इसीलिए कांग्रेस ने इसका तीव्र विरोध किया और गांधीजी ने ‘रौलेट सत्याग्रह’ का नेतृत्व किया।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
(b) कांग्रेस को प्रतिबंधित करना: रौलेट एक्ट का लक्ष्य कांग्रेस पर प्रतिबंध नहीं था, यह कानून आम नागरिकों पर लागू होता था।
(c) सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व: यह बात अलग मुद्दे (जैसे कि मॉर्ले-मिंटो सुधार) से जुड़ी है, रौलेट एक्ट से नहीं।
(d) देशद्रोह के आरोप में बंदी बनाना: यह प्रभाव हो सकता था, पर उद्देश्य केवल देशद्रोह नहीं, बल्कि सभी संदिग्धों पर नियंत्रण था।
9. अखिल भारतीय राजनीति में गांधी का पहला साहसिक कदम था–
[I.A.S. (Pre) 1999]
(a) असहयोग आंदोलन
(b) रौलेट सत्याग्रह
(c) चंपारन आंदोलन
(d) दांडी यात्रा
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उत्तर- (b) रौलेट सत्याग्रह
रौलेट सत्याग्रह (1919) अखिल भारतीय स्तर पर गांधीजी का पहला राजनीतिक आंदोलन था। इससे पहले के उनके आंदोलन जैसे चंपारन (1917), खेड़ा (1918), अहमदाबाद (1918) — क्षेत्रीय सीमाओं तक सीमित थे। लेकिन रौलेट सत्याग्रह एक राष्ट्रव्यापी विरोध था, जिसे गांधीजी ने होमरूल लीग, खिलाफत आंदोलन और सत्याग्रह सभा के मंचों के माध्यम से संगठित किया।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
असहयोग आंदोलन (1920-22): यह गांधीजी का दूसरा बड़ा अखिल भारतीय आंदोलन था, जो रौलेट सत्याग्रह के बाद आया।
चंपारन आंदोलन (1917): यह गांधीजी का पहला आंदोलन था, लेकिन यह सिर्फ बिहार के चंपारन क्षेत्र तक सीमित था।
दांडी यात्रा (1930): यह सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत थी, लेकिन गांधीजी तब तक पहले ही राष्ट्रीय नेता बन चुके थे।
10. रौलेट एक्ट के विरोध में किसने लगान न देने का आंदोलन चलाने का सुझाव दिया था?
[U.P. P.C.S. (Mains) 2008]
(a) अबुल कलाम आजाद
(b) गांधीजी
(c) रबींद्रनाथ टैगोर
(d) स्वामी श्रद्धानंद
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उत्तर- (d) स्वामी श्रद्धानंद
रौलेट एक्ट का देशभर में तीव्र विरोध हुआ। स्वामी श्रद्धानंद ने इसके विरोध में लगान न देने का आंदोलन चलाने का सुझाव दिया। यह एक क्रांतिकारी कदम था, क्योंकि यह ब्रिटिश प्रशासन की आर्थिक नींव को चुनौती देता था।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
अबुल कलाम आजाद: उन्होंने रौलेट एक्ट का विरोध किया लेकिन लगान न देने का सुझाव नहीं दिया।
गांधीजी: उन्होंने शांतिपूर्ण सत्याग्रह का मार्ग अपनाया, लेकिन लगान रोकने जैसा प्रत्यक्ष आह्वान उन्होंने इस आंदोलन में नहीं किया।
रबींद्रनाथ टैगोर: उन्होंने इस अधिनियम के विरोध में अपनी “नाइटहुड” की उपाधि लौटा दी, परंतु लगान आंदोलन से उनका कोई सीधा संबंध नहीं था।
11. द अनार्किकल एंड रिवोल्यूशनरी क्राइम एक्ट, 1919 को सामान्य बोलचाल में कहा जाता था–
[I.A.S (Pre) 1996]
(a) रौलेट एक्ट
(b) पिट्स इंडिया एक्ट
(c) इंडियन आर्म्स एक्ट
(d) अलबर्ट बिल
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उत्तर- (a) रौलेट एक्ट
“द अनार्किकल एंड रिवोल्यूशनरी क्राइम एक्ट, 1919” को ही सामान्य बोलचाल की भाषा में “रौलेट एक्ट” कहा जाता है। यह कानून न्यायाधीश सिडनी रौलेट की अध्यक्षता में गठित सेडिशन कमेटी की सिफारिशों पर आधारित था। इसका उद्देश्य भारत में बढ़ती क्रांतिकारी गतिविधियों को दबाना था।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
पिट्स इंडिया एक्ट (1784): यह ईस्ट इंडिया कंपनी के कार्यों पर ब्रिटिश सरकार का नियंत्रण स्थापित करने से जुड़ा था।
इंडियन आर्म्स एक्ट (1878): यह भारतीयों को हथियार रखने से रोकने के लिए लाया गया था।
अलबर्ट बिल (1883): यह भारतीय न्यायाधीशों को यूरोपीय लोगों पर अधिकार देने से संबंधित था।
12. कौन-सी महत्वपूर्ण घटना जलियांवाला बाग नरसंहार के तुरंत पूर्व घटी थी?
[U.P. P.C.S. (Mains) 2012]
(a) असहयोग आंदोलन
(b) रौलेट एक्ट का बनना
(c) सांप्रदायिक अवॉर्ड
(d) साइमन कमीशन का आना
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उत्तर- (b) रौलेट एक्ट का बनना
जलियांवाला बाग नरसंहार 13 अप्रैल 1919 को हुआ था, जो कि रौलेट एक्ट (मार्च 1919) के विरुद्ध चल रहे विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुआ। गांधीजी ने 6 अप्रैल 1919 को रौलेट सत्याग्रह की घोषणा की थी, जिससे देशभर में विरोध-प्रदर्शन हुए। अमृतसर में भी जनसभा के दौरान जनरल डायर ने निर्दोष लोगों पर गोलियां चलवा दीं।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
असहयोग आंदोलन (1920): यह जलियांवाला बाग कांड के बाद शुरू हुआ था।
सांप्रदायिक अवॉर्ड (1932): यह ब्रिटिश सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए पृथक निर्वाचन की घोषणा थी।
साइमन कमीशन (1928): यह घटना जलियांवाला बाग से लगभग एक दशक बाद हुई।
13. जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ–
[U.P P.C.S. (Pre) 1993, 46th B.P.S.C. (Pre) 2003]
(a) 5 मई, 1918
(b) 1 अप्रैल, 1919
(c) 13 अप्रैल, 1919
(d) 29 अप्रैल, 1919
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उत्तर- (c) 13 अप्रैल, 1919
13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में बैसाखी के पर्व पर हजारों लोग एक शांतिपूर्ण सभा के लिए एकत्र हुए थे। उसी दौरान जनरल डायर ने बगैर चेतावनी के भीड़ पर गोलियां चलवा दीं, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए। यह घटना रौलेट एक्ट के विरोध के संदर्भ में हुई और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक निर्णायक मोड़ बनी।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
5 मई 1918, 1 अप्रैल 1919, 29 अप्रैल 1919 – ये तिथियाँ जलियांवाला बाग हत्याकांड से संबंधित नहीं हैं।
14. जलियांवाला बाग नरसंहार किस गांधीवादी सत्याग्रह के संबंध में हुआ?
[64th B.P.S.C. (Pre) 2018]
(a) स्वदेशी सत्याग्रह
(b) रौलेट सत्याग्रह
(c) बारदोली सत्याग्रह
(d) वैयक्तिक सत्याग्रह
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक
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उत्तर- (b) रौलेट सत्याग्रह
जलियांवाला बाग नरसंहार सीधे रौलेट सत्याग्रह (1919) से संबंधित था, जिसे महात्मा गांधी ने रौलेट एक्ट के विरोध में आरंभ किया था। इस आंदोलन के अंतर्गत देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए और अमृतसर में भी एक ऐसी ही जनसभा जलियांवाला बाग में हुई, जहां यह नरसंहार हुआ।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
स्वदेशी सत्याग्रह: यह आंदोलन बंग-भंग (1905) के समय शुरू हुआ था, इससे इसका संबंध नहीं है।
बारदोली सत्याग्रह (1928): यह एक किसान आंदोलन था, और जलियांवाला से असंबंधित था।
वैयक्तिक सत्याग्रह (1940): यह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुआ, जलियांवाला से पहले नहीं।
15. वर्ष 1919 भारतीय इतिहास से संबंधित है–
[38th B.P.S.C. (Pre) 1992]
(a) कलकत्ता से दिल्ली में राजधानी के बदले जाने से
(b) जलियांवाला बाग त्रासदी से
(c) बंगाल-विभाजन से
(d) खिलाफत आंदोलन से
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उत्तर- (b) जलियांवाला बाग त्रासदी से
1919 का वर्ष भारतीय इतिहास में जलियांवाला बाग नरसंहार के कारण अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। 13 अप्रैल 1919 को, अमृतसर के जलियांवाला बाग में शांतिपूर्ण जनसभा पर जनरल डायर ने अंधाधुंध गोलीबारी करवाई थी, जिसमें सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए। यह घटना रौलेट एक्ट के विरोध में हुए सत्याग्रह के संदर्भ में घटी थी।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
(a) राजधानी का स्थानांतरण 1911 में हुआ था।
(c) बंगाल विभाजन 1905 में हुआ और 1911 में रद्द हुआ।
(d) खिलाफत आंदोलन 1919 के अंत और 1920 में प्रारंभ हुआ, लेकिन जलियांवाला बाग उससे पूर्व घट चुकी थी।
16. जलियांवाला बाग कत्लेआम किस शहर में हुआ?
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2010]
(a) मेरठ
(b) आगरा
(c) अमृतसर
(d) लाहौर
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उत्तर- (c) अमृतसर
जलियांवाला बाग नरसंहार 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था। यह स्थल एक संकरी गली से घिरा हुआ खुला मैदान था, जहाँ पर लोग बैसाखी के दिन शांतिपूर्वक रौलेट एक्ट के विरोध में एकत्र हुए थे। जनरल डायर ने इस भीड़ पर बिना चेतावनी के गोली चलवाई, जिससे सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो गई।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
मेरठ, आगरा, लाहौर – ये सभी शहर ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जलियांवाला बाग का संबंध केवल अमृतसर से है।
17. जनरल डायर का नाम किस घटना से जुड़ा हुआ है?
[M.P P.C.S. (Pre) 1993]
(a) ब्लैकहोल कलकत्ता
(b) रानी दुर्गावती की लड़ाई
(c) 1857 का संग्राम
(d) जलियांवाला बाग
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उत्तर- (d) जलियांवाला बाग
जनरल रेगिनैल्ड एडवर्ड हैरी डायर (R.E.H. Dyer) का नाम 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग नरसंहार से जुड़ा है। उन्होंने शांतिपूर्ण सभा पर बिना चेतावनी के गोली चलवाई, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए। इस अमानवीय कृत्य के कारण वह इतिहास में एक क्रूर सैन्य अधिकारी के रूप में कुख्यात हो गया।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
ब्लैकहोल कलकत्ता (1756): नवाब सिराजुद्दौला से जुड़ी घटना है, डायर का इससे कोई संबंध नहीं।
रानी दुर्गावती की लड़ाई (1564): मुगल अकबर के सेनापति से जुड़ी थी।
1857 का संग्राम: यह जनरल डायर के जन्म के समय से भी पहले हुआ था।
18. काफी संख्या में लोग अमृतसर के जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को एकत्रित हुए थे, गिरफ्तारी के विरोध में–
[U.P. P.C.S. (Pre) 2002]
(a) स्वामी श्रद्धानंद और मजहरुल हक
(b) मदन मोहन मालवीय और मोहम्मद अली जिन्ना
(c) महात्मा गांधी और अबुल कलाम आजाद
(d) डॉ. सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल
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उत्तर- (d) डॉ. सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल
डॉ. सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल की गिरफ्तारी के विरोध में ही 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन जलियांवाला बाग में सभा रखी गई थी। यह सभा पूरी तरह शांतिपूर्ण थी, लेकिन जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी करवा दी।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
स्वामी श्रद्धानंद और मजहरुल हक: इनका आंदोलन से सरोकार रहा, पर जलियांवाला बाग सभा से नहीं।
मदन मोहन मालवीय और मोहम्मद अली जिन्ना: राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े थे, लेकिन इस सभा में शामिल नहीं थे।
महात्मा गांधी और अबुल कलाम आजाद: गांधीजी ने सत्याग्रह का आह्वान किया था, पर वे इस सभा में उपस्थित नहीं थे।
19. जलियांवाला बाग में प्रदर्शन के लिए क्यों लोग जमा हुए थे?
[48th to 52nd B.P.S.C. (Pre) 2020]
(a) गांधीजी और लाजपत राय की गिरफ्तारी के प्रति विरोध प्रदर्शन करने
(b) किचलू तथा सत्यपाल के बंदी बनाने के विरोध में प्रदर्शन करने
(c) बैसाखी की प्रार्थना के लिए
(d) पंजाब सरकार के अमानवीय कार्यकलापों के प्रति विरोध प्रकट करने
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उत्तर- (b) किचलू तथा सत्यपाल के बंदी बनाने के विरोध में प्रदर्शन करने
13 अप्रैल 1919 को डॉ. सैफुद्दीन किचलू और डॉ. सत्यपाल की गिरफ्तारी के विरोध में अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण जनसभा आयोजित की गई थी। यह सभा रौलेट एक्ट के विरुद्ध चल रहे आंदोलन का हिस्सा थी। उसी दिन बैसाखी का पर्व भी था, जिससे भीड़ और अधिक बढ़ गई। इसी सभा पर जनरल डायर ने अंधाधुंध गोलियां चलवाईं।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
(a) गांधीजी और लाजपत राय उस समय गिरफ्तार नहीं हुए थे।
(c) बैसाखी का पर्व भी था, लेकिन सभा का मुख्य उद्देश्य राजनीतिक विरोध था।
(d) यह व्यापक कारण हो सकता है, परंतु मुख्य कारण किचलू और सत्यपाल की गिरफ्तारी थी।
20. 30 मई, 1919 को अपना अलंकरण (Honour) भारत सरकार को लौटाने वाले व्यक्ति थे–
[U.P. P.C.S. (Pre) 2001, U.P. Lower Sub. (Pre) 2004]
(a) जमनालाल बजाज
(b) तेज बहादुर सप्रू
(c) महात्मा गांधी
(d) रबींद्रनाथ टैगोर
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उत्तर- (d) रबींद्रनाथ टैगोर
रबींद्रनाथ टैगोर ने जलियांवाला बाग नरसंहार (13 अप्रैल 1919) की क्रूर घटना के विरोध में 30 मई 1919 को ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रदान की गई ‘नाइटहुड’ की उपाधि लौटा दी थी। टैगोर ने कहा था कि जब निर्दोषों का खून बहाया गया हो, तब ऐसे सम्मान को रखना एक कलंक है।
अन्य विकल्पों की जानकारी:
जमनालाल बजाज, तेज बहादुर सप्रू और महात्मा गांधी ने भी विभिन्न अवसरों पर ब्रिटिश शासन का विरोध किया, लेकिन ‘नाइट’ की उपाधि लौटाने का ऐतिहासिक कार्य टैगोर ने किया था।
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